नवरात्रि में घी की ज्योति तिल के तेल की ज्योति या सरसों के तेल की ज्योति ही मान्य ,, बाकी तेल से जलाई जाने वाली ज्योति का कोई फल नहीं,,,  संत राम बालक दास

नवरात्रि में घी की ज्योति तिल के तेल की ज्योति या सरसों के तेल की ज्योति ही मान्य ,, बाकी तेल से जलाई जाने वाली ज्योति का कोई फल नहीं,,,  संत राम बालक दास

प्रतिदिन की भांति आज भी ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास' महा त्यागी जी ' के द्वारा उनके भक्तों के विभिन्न जिज्ञासाओं के समाधान के साथ किया गया जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी धार्मिक समसामयिक एवं विभिन्न विषयगत जिज्ञासाओं का समाधान तो प्राप्त किए ही साथ ही अद्भुत सत्संग प्राप्त कर बाबा जी एवं अन्य भक्तों के सुमधुर  भजनों का आनंद भी उठाएं
     आज की सत्संग परिचर्चा में प्रेमचंद जी ने जिज्ञासा रखी थी क्या घर बनाने हेतु भी कोई मुहूर्त की आवश्यकता होती है और यदि यह सब ना देखा जाए तो क्या कोई अन्य दोष सकता है इस पर बाबा जी ने बताया कि किसी भी चीज के लिए सर्वप्रथम तो आपका मन साफ  होना चाहिए, साथी हमारे कर्म अच्छे होने चाहिए लोग वस्तु को नहीं वास्तु को देखते हैं, घर में गलत वस्तु रखते हैं और कहते घर का वास्तु खराब है, अतः वास्तु को महत्व न देते हुए वस्तु पर ध्यान देना आवश्यक है यदि वस्तु ठीक हो तो बहुत सारे मुहूर्त भी गलत होते हुए भी हमारा सब कुछ अच्छा ही करते हैं, और यदि अच्छे से अच्छा मुहूर्त देखकर भी आप कार्य कर रहे हैं परंतु वह कार्य पाप की कमाई से किया जा रहा है तो वह  फलदायक नहीं होगा, फिर भी पूर्ण प्रयास करना चाहिए कि हमारे वास्तु के हिसाब से शुभ मुहूर्त देखकर ही घर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो


          मुसरा से वैष्णव जी ने जिज्ञासा रखी की ज्योति कलश स्थापना के पीछे कोई पौराणिक या वैदिक कथा हो तो कृपया बताएँ,क्या भगवान राम एवं कृष्ण जी ने भी ज्योति कलश स्थापित किया था,जैसे कि लोकगीतों में सुनने को मिलता हैँ, बाबा जी ने बताया कि लोकगीतों की प्रमाणिकता नहीं है क्योंकि यह वेद पुराणों से संबंधित नहीं होता लेकिन ज्योति कलश को जलाए जाने की दो-तीन मान्यता है, ज्योत जलाने की परंपरा दो प्रकार से होती एक तो संपूर्ण विश्व के कल्याण के लिए और दूसरा अपनी मनोकामना के लिए ,इसलिये आवश्यक नहीं कि पूरे 9 दिन तक ही ज्योति जलाये,कोई 12 घंटे की तो कोई 24 घंटे की तो कोई 1 दिन अपनी इच्छा अनुसार  जोत जला सकते है, लेकिन नवरात्र में प्रयास करें कि 9 दिन का जोत जलाएं ज्योत जलाने के लिए आवश्यक है कि वह गाय के घी या फिर अखंड ज्योत तिल के तेल से जलाई जानी चाहिए, लेकिन इसके लिए भी आवश्यक है कि आप बाजार से तेल ना लेकर तिल को खरीद कर जहां तेल निकलता हो वहां से इसे प्राप्त करें, या फिर आपको जब तिल ना मिल पाए तो सरसों को ले जाकर उससे प्राप्त तेल से ही दीपक या फिर ज्योत जलाए अगर यह तीनों ही उपलब्ध ना हो तो जोत बिल्कुल नहीं जलानी चाहिए इसका कोई औचित्य नहीं रह जाता, इस तरह से आप 1 घंटे की भी जोत जलाएंगे तो वह सार्थक होती है,मिट्टी की नांदी के  ही दिया जलाया जाना चाहिए इसके अलावा किसी और पात्र में दिया नहीं जलाना चाहिए, रूई से बनाए बत्ती से जोत नहीं जलाई जानी चाहिए बल्कि मौली धागा या कलावा  से बनी बाती से ज्योत जलाना चाहिए, शुभम करोति कल्याणम.... मंत्र एवं  दुर्गा माता के मंत्र ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली.... मंत्र उपचार के साथ पूर्व की ओर या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके दीप जलाना चाहिए, इसकी स्थापना माता के दाहिनी ओर होनी चाहिए और बीच में   दिप ना बुझे इसकी सुरक्षा को भी सुनिश्चित कर लीजिए, पीढ़े में या मिट्टी के स्थान पर गोबर लीपा हो वहां पर कलश की स्थापना करें, या फिर चावल से अष्ट कमल बनाकर आप इस दीप को रख सकते हैं पर ध्यान रखना है कि यह बुझना नहीं चाहिए, जोत में जलाई गई बत्ती को आप बार-बार नहीं बदल सकते पहले दिन जो हमने बत्ती ली है वहीं आखिरी दिन तक चलनी चाहिए तभी अखंड ज्योत मानी जाती है, इस तरह से बहुत से नियमों के साथ आप जोत की स्थापना कर सकते हैं और आजकल विभिन्न समितियों एवं मंदिरों में जोत ज्वाला का स्थापना किया जाता है जिसमें इन सभी नियमों का ध्यान नहीं रखा जाता इस तरह से यह केवल धुआँ करने मात्र और तेल की बर्बादी है अतः आप यह ध्यान रखें कि गाय के घी से सरसों तेल,तिल के तेल से पूर्ण नियम द्वारा ही इसकी स्थापना हो

रिपोर्ट //नरेंद्र विश्वकर्मा