जिले में जर्जर स्कूल भवनों में लग रहे स्कूल , रोज दुर्घटना हो रही , सरकार अब भी बेहोश - घनश्याम चन्द्राकर, प्रदेश उपाध्यक्ष, आप।

जिले में जर्जर स्कूल भवनों में लग रहे स्कूल , रोज दुर्घटना हो रही , सरकार अब भी बेहोश - घनश्याम चन्द्राकर, प्रदेश उपाध्यक्ष, आप।
जिले में जर्जर स्कूल भवनों में लग रहे स्कूल , रोज दुर्घटना हो रही , सरकार अब भी बेहोश - घनश्याम चन्द्राकर, प्रदेश उपाध्यक्ष, आप।

आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ 26/06/2022 

जिले में जर्जर स्कूल भवनों में लग रहे स्कूल , रोज दुर्घटना हो रही , सरकार अब भी बेहोश - घनश्याम चन्द्राकर, प्रदेश उपाध्यक्ष, आप। 

आत्मानंद और बाकी स्कूलों में शिक्षक के स्तर पर सवालिया निशान? सिर्फ रंगरोगन से स्तर नही सुधरेगा - दीपक आरदे, जिला अध्यक्ष बालोद आप। 

आम आदमी पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष घनश्याम चंद्राकर ने आज बालोद जिले में जर्जर स्कूल भवनों का लेकर कुंभकर्णी नींद सो रही भूपेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि प्रदेश में लग रहे स्कूल भवनों की स्कूल बंद रहते हुए भी मरम्मत नहीं की गई और न ही सुध ली गई सिर्फ राजनीतिक खेल खेलते भूपेश सरकार का समय जा रहा है। आत्मानंद स्कूल का सिर्फ खूब प्रचार प्रसार हुआ, दिखावे के लिए कुछ शालाओं के भवनों में करोड़ों रुपए खर्च कर, बेतहाशा भ्रष्टाचार कर , कार्य करवाए गए। अमूमन प्रदेश के बाकी स्कूल जस के तस सिर्फ रंग लगाकर लीपापोती कर दी गई और भगवान भरोसे छोड़ दिया गया । बारिश में अब आए दिन दुर्घटना हो रही है कही छत का प्लास्टर गिर रहा है तो कही छत । अभिवावक परेशान है पता नही कब क्या हो जाए , रोज दुर्घटना हो रही , भूपेश सरकार अब भी बेहोश है। 

एक घटना अभी प्रकाश में आई है कि जर्जर हो चुके भवनों में लग रहे है स्कूल, हर पल दशहत में परिजन व शिक्षक लेकिन सरकार के कान पर जूं भी नही रेंग रही है। दूसरी घटना एक आत्मानंद स्कूल की है। तेज हवाओं के साथ हुई बारिश के कारण स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल भवन का छप्पर ही उड़ गया। इसकी वजह से स्कूल के अंदर रखा सामान तेज बारिश में भीग गया। पूरे स्कूल परिसर में निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण जल जमाव हो गया है। अभी एक माह पूर्व ही इस अंग्रेजी माध्यम विद्यालय का कायाकल्प मुख्यमंत्री के आगमन को देखते हुए पूर्ण किया गया था।आत्मानंद स्कूल के भवन की जर्जर छत धराशायी हुई है। इसी बीच गुरुवार को तेज हवाओं के साथ हुई बारिश की वजह से एक छप्पर उड़ गया। इससे भवन में हुए निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल है। अच्छी बात यह रही कि इस दौरान यहां कोई बच्चे या स्टाफ नहीं था, नहीं तो बड़ा हादसा हो जाता। जिला अध्यक्ष दीपक आरदे ने कहा कि जिले के बच्चो के साथ शिक्षा स्तर को लेकर सिर्फ खिलवाड़ किया जा रहा। गांव के ग्रामीणों और स्कूल में शिक्षा हासिल कर रहे बच्चों के प्राइमरी स्कूल की आधे से ज्यादा ने अपनी आप बीती बताते हुए कहा कि जर्जर छत का आलम यह है की कभी भी यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है। बच्चों सहित शिक्षको को सदैव अनहोनी का खतरा बना रह रहा है।बहुत से जिले में पहली बारिश की तेज हवाओं ने गांव के परिजनों ने हमे फोन पर भी बताया कि प्लास्टर गिरा है और कही कही छत तेज हवा से उड़ गई है। बगीचा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत सरधापाठ हुई आधी एस्बेस्टस छत उड़ गई है १ की मरम्मत पर ध्यान न देकर स्कूल के इसी जर्जर भवन में ही स्कूल का संचालन कर रहे है और नन्हें बच्चों की जान पर खतरा लगातार बना रहता है। 

इसके अलावा अंग्रेजी शिक्षा का कबाड़ा होते लगभग पूरे प्रदेश में देखा जा सकता है। रोजगार कैसे मिलेगा यदि शिक्षा का स्तर ही इतना खराब रहा ।इधर शासन शिक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च कर रही है और गुरुदेव ही ट्यूडे की सही स्पेलिंग न बता पाए तो क्या होगा।शिक्षकों ने बताया नवंबर महीने के बाद आता है सितंबर अब तो इस शिक्षा स्तर का भगवान ही मालिक है। कमोबेश गांव के स्कूल में स्तर यही है। नया शिक्षा सत्र शुरू होते ही शिक्षा गुणवत्ता भी सामने आने लगी है। प्राथमिक शाला के बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा नहीं मिल पा रही। ऐसा इसलिये क्योंकि स्कूल में शिक्षकों की अंग्रेजी अत्यंत कमजोर है। स्कूल की दीवार पर सप्ताह के सातों दिनों के नाम और अंग्रेजी वर्ष के महीनों के नाम अंग्रेजी में लिखे है, लेकिन कई त्रुटियां इसमें नजर आ रही हैं. हद तो तब हो गयी जब शिक्षक ही इसे गलत बता रहे, लेकिन सही स्पेलिंग शिक्षकों को भी नहीं पता है। 

मोटी तनख्वाह लेने वाले शिक्षकों को महीनों की स्पेलिंग तक नहीं पता है। शिक्षकों से सहीं स्पेलिंग पूछी गयी तो उन्होने कुछ गलतियों को गलत तो बताया पर सही स्पेलिंग नहीं बता सके। इधर जुलाई महीने की स्पेलिंग दीवार पर सही लिखी थी, लेकिन संस्था प्रमुख से जब पूछा गया तो वे उसे गलत बताते जुलाई की स्पेलिंग जीयूएलए आई बताने से पीछे हट रहे थे. वहीं एक संस्था में एक महिला शिक्षक बच्चों की इंग्लिश कॉपी चेक करती दिखीं, जब उनके दीवार में लिखी गलतियां पूछी गयी तो उन्होने सबसे पहले यह कहा कि सेप्टेंबर में कहीं भी पी अक्षर का उपयोग नहीं होता. सेप्टेंबर मेंएस के बाद आईलिख दिया. यहांसेप्टेंबर की स्पेलिंग भी गलत ही बता पाई। इधर सप्ताह के दिनों में गलती के बाद महीनों के नाम भी जमकर गलतियां दिखीं. अंग्रेजी वर्ष का अंतिम महीना यहां सितंबर अंकित है।मान लिया जाय कि शिक्षकों की अंग्रेजी कमजोर पर अंग्रेजी महीनों के नाम तो सभी को पता हैं. नवंबर के बाद दिसंबर का महीना आता है। ये तो बहुत साधारण जानकारी है जो सभी शिक्षकों को तो होती ही है। बच्चो के शिक्षा का स्तर क्या होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है और प्रदेश का भविष्य ये बच्चे क्या करेंगे। सरकार से निवेदन है अब भी जागे और केजरीवाल जी के शिक्षा मॉडल की सिर्फ नकल न कर पूरी शिक्षा नीति का अनुसरण करे और प्रदेश के सभी स्कूल दुरुस्त कर शिक्षा स्तर में सुधार करे। जनता सब देख रही है अन्यथा विदाई तय समझे आने वाले दिनों में विधान सभा चुनाव के बाद। 

*जिला मीडिया टीम* आम आदमी पार्टी,बालोद 7898338991 

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