भगवान कृष्ण की माखन चोरी लीला का संदेश क्या है, ऑनलाइन सत्संग पाटेश्वर धाम

आज के सत्संग में बाबा जी ने विगत 4 दिनों से चल रहे भगवान श्री कृष्ण की लीला का वर्णन अपनी मधुर वाणी में कीया जिससे आज ग्रुप का आनंद कई गुना अधिक हो गया

भगवान कृष्ण की माखन चोरी लीला का संदेश क्या है,  ऑनलाइन सत्संग पाटेश्वर धाम

बालोद जिला के पाटेश्वर धाम के बालयोगेश्वर महान संत श्री राम बालक दास जी द्वारा प्रतिदिन उनके ऑनलाइन ग्रुप सीता रसोई संचालन ग्रुप में सुंदर, पावन पवित्र,अद्भुत और अलौकिक ऑनलाइन सत्संग का आयोजन प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे प्रतिदिन किया जाता है,देशव्यापी ऑनलाइन सत्संग में सभी सत्संगी भाई जुड़कर राजनीतिक सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक, समसामयिक  जानकारियों से परिचित हो रहे हैं, प्रसिद्धि की चरम सीमा को प्राप्त करने वाला यह ऑनलाइन सत्संग आज सभी के लिए प्रेरणा का एवं ज्ञान का केंद्र बना हुआ है
        आज के सत्संग  में बाबा जी ने विगत 4 दिनों से चल रहे भगवान श्री कृष्ण की लीला का वर्णन अपनी मधुर वाणी में कीया जिससे आज ग्रुप का आनंद कई गुना अधिक हो गया भगवान श्री कृष्ण के गौ माता के प्रति प्रेम अनुभूति हेतु किए गए प्रयासों को बाबा जी द्वारा वर्णन किया गया., कन्हैया जो अभी मात्र 4 वर्ष के हैं, इस उम्र में उन्होंने चौर्य प्रचार मंडली का निर्माण किया यह मंडली इसलिए गठित हुई कि जो भी हमारे गोकुल धाम का घी दूध मक्खन कंस को जा रहा था बाहर ना जाए क्योंकि जब गैया की सेवा हम करते हैं गोबर हम उठाते हैं तो यहां गाय का घी दूध मक्खन हमारे ही घर में रहे, हमें ही और हमारे घर के बच्चों बालकों को प्राप्त होना चाहिए,  भगवान श्री कृष्ण ने इसी उम्र में गो चारण की लीला भी प्रारंभ की इस हेतु भगवान श्री कृष्ण ने गौ माता के लिए बंसी का आह्वान किया जिसकी विद्या हेतु भोलेनाथ स्वयं प्रकट हुए, चौर्य प्रचार मंडली अपने मकसद मे सफल हो रही थी जो भी व्यक्ति छुपा कर अपने घर में माखन रखता तो उसे या तो लूट लिया जाता है या कंकड़ पत्थर मारकर मटकी को फोड़ कर उसे खा लिया जाता था लेकिन उसे कंस  की भूमि में कभी नहीं भेजा जाता था और इस प्रकार इस लीला से हमें संदेश प्राप्त होता है कि हमें भी और हमारे घर के बाल बच्चों को आवश्यक रूप से पंचगव्य का सेवन करना चाहिए, स्वावलंबी गो परिवार का निर्माण हमारे घर में अवश्य रूप से होना चाहिए
    सत्संग को आगे बढ़ाते पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखी थी "....कमठ पीठ...... रामचरितमानस के प्रसंग के अर्थ को स्पष्ट करने की विनती की, बाबा जी ने चौपाई के अर्थ को व्यक्त करते हुए बताया कि भले ही आकाश में फूल खिल सकते हो कोई बांझ  का पुत्र किसी को मार सकता हो कछुए की पीठ पर भी कुछ भी उगाया जा सकता हो परन्तु हरि भजन किए बिना मुक्ति हमें कभी प्राप्त नहीं हो सकती यह अटल सिद्धांत है अतः हमें पूर्ण समर्पण से हरि को तन मन से मानना एवं पूजना चाहिए
 इस प्रकार बाबाजी के सु मधुर भजन "ईश्वर अपने साथ है तो डरने की क्या बात है"
 के साथ आज का सत्संग पुर्ण हुआ