भक्ति के बिना मनुष्य जीवन पशु समान - संत राम बालक दास जी

आज भी पाठक परदेसी जी द्वारा अति उत्तम चौपाई पर प्रसंग रखा गया " बसन हीन नहिं सोह सुरारी..... के भावार्थ को स्पष्ट करने की विनती बाबा जी से कि

भक्ति के बिना मनुष्य जीवन पशु समान - संत राम बालक दास जी


प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे संत शिरोमणि रामबालक दास जी पाटेश्वर धाम  द्वारा किया गया, जिसमें सभी भक्तजन जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किये
   सत्संग  में पाठक परदेसी जी जो कि एक साहित्यकार हैं, प्रतिदिन भक्ति भावना से जुड़े हुए ऐसे अद्भुत प्रसंग पर जिज्ञासाए प्रस्तुत करते हैं, जिसके प्रत्युत्तर में बाबा जी के व्याख्यान से हम सभी ज्ञान की गंगा मे प्रतिदिन डुबकी लगाते हैं
   आज भी पाठक परदेसी जी द्वारा अति उत्तम चौपाई पर प्रसंग रखा गया " बसन हीन नहिं सोह सुरारी..... के भावार्थ को स्पष्ट करने की विनती बाबा जी से कि बाबा जी ने इन पंक्तियों के भावार्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि राम जी की भक्ति के बिना जीवन कैसा है हम कितना भी धन खर्च कर कर स्वादिष्ट भोजन का निर्माण करें यदि उसमें इतना सा भी नमक हम डालना भूल जाते हैं तो वह भोजन व्यर्थ है जीवन में आपने सब कुछ किया कितना भी धन संपत्ति आपने कमाया  है परंतु बिना भक्ति के ये सब  आपको नर्क के ओर ही ले जाएगी आप नाश को प्राप्त करेंगे भक्ति के बिना जीवन ही  प्रमाद या  धोखा मात्र हैँ , मनुष्य सत्य तो समझ नही पाया की हमें वास्तव में जीवन मिला ही क्यों है जिसके लिए मिला था वह तो पाया ही नहीं,कभी सोचा है कि बचपन खेल में चला गया जवानी नींद में हमने बिता दी और बुढ़ापा देख कर अब हम पछता रहे हैं, अतः बचपन में ही यह भाव मन में हो कि प्रभु भक्ति भाव भजन करुणा दया त्याग समर्पण एक दूसरे के प्रति विश्वास प्रभु की आराधना के बिना जीवन ही व्यर्थ है
       प्रकृति ने हमें शीतल जल दिया खुला आकाश दिया अन्न उत्पन्न करने हेतु धरती माता की गोद दी स्वशन  हेतु शुद्ध वायु प्रदान की उष्मा हेतु अग्नि का वरदान दिया भगवान हमारी रक्षा हेतु स्वयं अवतार लेते हैं मां जो कि नर्क तुल्य कष्ट झेल कर हमें जन्म देती है और हम इस अमूल्य जीवन के साथ क्या कर रहे हैं हम मूर्खों की तरह पशु जीवन जीते हैं वही सुबह उठना फिर खाना लड़ना झगड़ना दूसरों की व्यर्थ की बातें पर निंदा करना, आपके जीवन को सार्थक कभी नहीं बनाता अपने जीवन को प्रभु भजन में लगाइए जागो 
जब जागो तब सवेरा है भगवान महाप्रभु की शक्ति को समझना हमारे लिए आवश्यक है अपने जीवन के अंतिम समय अंतिम सांस में भी हम प्रभु का हृदय से स्मरण करते हैं उन्हें करुणा से पुकारते हैं तो वह करुणासागर निधान प्रभु हमें ह्रदय से लगा लेते हैं
   इस प्रकार आज का सत्संग प्रभु के भक्ति भाव से भरा हुआ एवं बाबाजी के सु मधुर भजन सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु करते हैं हम शुरू आज का काम  प्रभु "के साथ समाप्त हुआ
  
आप भी जुड़ें ऑनलाइन सत्संग से  9425510729 पर मैसेज करके