कैसे बने श्री राम पतित पावन सुनिए कथा ऑनलाइन सत्संग में

कैसे बने श्री राम पतित पावन सुनिए कथा ऑनलाइन सत्संग में

कैसे बने श्री राम पतित पावन सुनिए कथा ऑनलाइन सत्संग में

प्रतिदिन की भांति आज भी ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई   संचालन वाट्सएप  ग्रुप में पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे किया गया जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कीये
       सत्संग परिचर्चा में पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखी की गौतम नारी माता अहिल्या प्रसंग पर प्रकाश डालने की कृपा हो, इसे स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि अहिल्या माता हमारे रामचरितमानस की वह पात्र है जिनके कारण राघव का नाम 
पतित पावन हुआ,
      "रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम "
 रघुकुल में जन्म लेते ही वे रघुकुल के स्वामी हो गए इसीलिए उन्हें रघुपति कहा, राघव मां कौशल्या ने जब बचपन में राम जी को पुकारा तो उन्होंने राघव कहकर उन्हें संबोधित किया, राजाराम अर्थात दशरथ जी के हृदय में भगवान राम की के लिए जो भाव थे इसीलिए उन्होंने उन्हें राजाराम कहा, परंतु पतित पावन शब्द वे तब हुए जब विश्वामित्र जी उन्हें वन यात्रा पर ले गए एवं पाषाण पड़ी अहिल्या को चरण धूलि से उद्धार किया तो राम जी पतित पावन कहलाए और अंत में कहा गया सीताराम तो स्वयंवर में माता सीता के विवाह उपरांत विश्वामित्र जी की कृपा से राम से वे श्री सीताराम हो गए  इसीलिए उन्हें यह सुंदर पंक्तियों से संबोधित किया जाता है
      माता अहिल्या पंचकन्या में एक है जिनकी मूर्ति स्थापना श्री पाटेश्वर धाम के विश्व की एकमात्र तीर्थ स्थली कौशल्या जन्मभूमि मंदिर में स्थापित की जा रही है जिनमें माता अहिल्या माता कुंती माता शबरी माता तारा माता द्रोपति पंचकन्या की मूर्तियां स्थापित की जानी है जिसे मातृ  खंड कहां जाएगा यह 108 मूर्तियों की स्थापित  सद्भावना पूर्ण हिंदू धर्म का समागम मंदिर है वर्तमान में यहां प्रथम तल में 45 मूर्तियां की स्थापना की जा चुकी है द्वितीय तल में 30 से 32 मूर्तियां को स्थापित किया जाएगा और अंत में माता कौशल्या मंदिर के तृतीय तल में शेष मूर्तियां स्थापित की जाएंगी यहां सभी मूर्तियों के नीचे उनसे संबंधित चरित्र का उल्लेख भी होगा
        माता अहिल्या की तीन कारणों से यह गति हुई प्रथम कारण राम जी को पतित पावन घोषित करने के लिए रामजी की लीला में माता एक मुख्य पात्र थी, द्वितीय अहिल्या माता को उनकी प्रसिद्धि में देख देवों के द्वारा उनके पराभाव करा के इस गति में पहुंचाया गया तीसरा बहुत ही शिक्षाप्रद और मुख्य कारण है कि माता अहिल्या को अपने ऊपर अहंकार था कि मेरे जैसे रूपवती गुणवती कोई नहीं यह अहंकार  भी दूर करना आवश्यक था इससे हमें प्रेरणा मिलती है कि हम चाहे कितने भी ज्ञानी हो जाए विद्वान हो जाए कितने भी सुंदर बन जाए कितने भी ताकतवर बन जाए परंतु दुर्घटना से सावधान अवश्य रहे अति विश्वास ना करें नहीं तो हमारी भी गति माता अहिल्या  जैसे हो सकती है
 इस प्रकार आज का ज्ञान पूर्ण सत्संग पूर्ण हुआ
आप भी 94125510729 पर मैसेज भेजकर इस ऑनलाइन सत्संग से जुड़ सकते है

नरेन्द्र विश्वकर्मा मो.7028149519