ऑनलाइन सत्संग -श्री राम बलाका दास

ऑनलाइन सत्संग  -श्री राम बलाका दास

पूरा विश्व आज कोरोना महामारी के कारण हताहत हो चुका है जीवन अति संघर्ष से जूझ रहा है, अस्पतालों की हालत बहुत ही दयनीय है बीमारी अपना विकराल रूप ले चुकी है इस विकराल स्थिति में संत राम बालक दास जी ने अपने प्रति दिन के ऑनलाइन सत्संग में सभी को धैर्य पूर्वक कोरोना गाइड लाइन्स का पालन करते हुए सामाजिक दूरी का संदेश देते हुए अपने -अपने घरों में रहने के लिए प्रेरित किया एवं सभी को मास्क का उपयोग करने के लिए कहा, आज जीवन को जिस असीमित संघर्ष से जूझना पड़ रहा है वह हमारे ही कर्मों का फल है हम अपने जीवन को जो असंतुलित बना चुके हैं आयुर्वेद योगा वेद शास्त्रों के बताए अनुशासन से दूर हो चुके हैं और खानपान जो हमारा बिगड़ चुका है उसी का आज यह परिणाम है भगवान के दिए गए भोज्य पदार्थों को त्याग कर जो उल्टे सीधे भोजन हम ग्रहण करते हैं उसे हमारी दिनचर्या अनियंत्रित हो चुकी है अतः  समय पर इसे हमें बदलना अत्यावश्यक हो चुका है अच्छा यही है कि अपनी दिनचर्या को परिवर्तित कीजिए कोरोना नियमों का पालन कीजिए| बुरा समय है तो यह भी बीत ही जाएगा
        आज की सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की माॅ भगवती की षष्ठम स्वरूप कात्यायनी हैं। योग में इनका वास आज्ञा चक्र में होता है इसका क्या आशय है बाबा जी। इसे स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि हमारे शरीर में 9 चक्र होते हैं यह हमारे ऋषि-मुनियों के द्वारा अलग-अलग भाव को केंद्रित करते हुए बनाए गए हैं माता का प्रत्येक रूप प्रत्येक चक्र को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है मां के अलग-अलग रूपों में सभी भाव चक्र हो या आज्ञा चक्र उनको संतुलित करने की क्षमता होती है मां कात्यायनी के दो रूप है एक मां कात्यायनी महिषासुर का वध करने वाली है इसीलिए माता के इस स्वरूप को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है और माता वरदायिनी भी है जो भी कन्या माता के कात्यायनी रूप का पूजन करती है उस कन्या को इच्छित वर की प्राप्ति होती है
         राजकुमार यादव जी ने जिज्ञासा रखी की 
          व्यवहारिक जीवन से जुड़े एक प्रश्न है गुरु देव नवरात्रि काल में सूतक को छोड़कर बाल, दाढ़ी-मूंछ, बनाना,सिर मुंडवाना चाहिए कि नहीं यदि नहीं तो क्यों ?इसका कहीं उल्लेख या वर्णन  मिलता है बताने की कृपा करें   इसे स्पष्ट करते हैं बाबा जी ने बताया कि नवरात्रि के 9 दिन माता के पूजा पाठ ध्यान भजन साधना के लिए होते हैं इस सब कार्यों से एक तो समय की क्षति भी होती है और दूसरा अपवित्रता भी फैलती है अतः सात्विक जीवन में रहकर अच्छा पठन-पाठन हवन पूजन 9 दिन करना चाहिए 
     आज की परिचर्चा में बाबा जी ने दो मुखी गाय के दर्शन के विषय में बताया दो मुखी गाय की स्थिति तब बनती है जब कोई गौमाता जनने की स्थिति में होती है जब उनकी बछड़े का मुख बाहर होता है तब गौ माता का मुख एक तरफ होता है और उनकी बछिया का मुख एक तरफ तो इस स्थिति में यदि कोई उनका दर्शन करता है और उनकी परिक्रमा करता है तो यह बहुत ही सौभाग्य दायनी होता है समृद्ध कारी होता है
 इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग भजनों से भरा हुआ ज्ञान से भरा हुआ एवं प्रेरणादायक
रहा

रिपोर्ट //नरेन्द्र  विश्वकर्मा