भगवान श्री गणेश सभी गणो में प्रथम पूज्य है -श्री राम बालक दास

भगवान श्री गणेश सभी गणो में प्रथम पूज्य है -श्री राम बालक दास

पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी, के द्वारा सोशल मीडिया का अद्भुत उपयोग करते हुए सभी भक्त गणों को धर्म से जोड़ने हेतु प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन अपने विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में प्रातः 10:00 बजे संचालित किया जाता हैं, इसमें उनके भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं एवं विभिन्न ज्ञान प्राप्त करते हैं
          गणेश स्थापना पर्व के इस अवसर पर बाबा जी ने गणेश जी के महत्व को विदित कराते हुए,सभी को बताया कि श्री गणेश भगवान गणों में प्रथम पूज्य एवं सभी देवों में सर्वप्रथम  हैं कोई भी शुभ कार्य करने से पूर्व उनका पूजन करना अनिवार्य होता है नहीं तो किसी ना किसी विघ्न का सामना करना पड़ सकता है इसीलिए भगवान श्रीगणेश को विघ्नहर्ता भी कहा गया है, गौरी शंकर पुत्र भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य की उपाधि माता-पिता भक्ति के कारण प्राप्त हुई थी जब देवों में यह प्रतियोगिता आयोजित की गई कि कौन संपूर्ण ब्रह्मांड की परिक्रमा लगा कर आता है तब भगवान श्री गणेश ने अपने माता पिता के सात परिक्रमा करके यह सिद्ध किया था कि माता पिता से बड़ा पूज्य पूरे विश्व में कोई नहीं, सभी देवो ने उनकी इस बुद्धिमता को देखते हुए उन्हें प्रथम पूज्य की उपाधि प्रदान की थी, भगवान श्री गणेश के एक भाई कार्तिकेय जो कि देवों के सेनापति है और एक बहन अशोकसुंदरी है,, विवाह   विश्व कर्मा की पुत्रियां रिद्धि सिद्धि के साथ हुआ था जिनसे इनके दो पुत्र शुभ और लाभ हुए, श्री गणेश का जन्म आज से 12016 वर्ष पूर्व माना जाता है इनका वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है,
     भगवान श्री गणेश को बुधवार का वार एवं बुध और केतु का स्वामी माना गया है, जिस भी व्यक्ति को बुध और केतु का कष्ट हो भगवान श्री गणेश की पूजन करते हैं, इनके 12  नाम अत्यधिक प्रचलित है जिनका स्मरण करने से सभी भक्त जनों के सभी तरह के दुख तो दूर होते ही हैं साथ ही समृद्धि का भी आगमन होता है भगवान श्रीगणेश के पूजन के लिए लाल पुष्प शमी पत्र दुबी एवं सिंदूर से उनका पूजन किया जाता है, कपूर के साथ उनकी आरती उतारकर एवं संध्याकाल को गौ माता के शुद्ध घी से उनके चरणों में दीपक जला कर उनका पूजन करने से, एवं भोग में लड्डू का मोदक अर्पित कर, रुद्राक्ष की माला पहनाई जाने पर सब तरह के फल प्राप्त होते ही हैं साथ ही सारे विघ्न दूर होकर रिद्धि सिद्धि के साथ समृद्धि भी प्राप्त होती है एवं शुभ लाभ की कामना पूर्ण हो जाती है
     भगवान श्री गणेश जल तत्व की स्वामी है इसीलिए उन्हें विभिन्न चल जैसे वर्षा जल गंगाजल एवं इत्र आदि से सुगंधित किए हुए जल से अभिषेक करना चाहिए
         सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम  अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से पूछा कि दीपावली पर्व पर माता लक्ष्मी सरस्वती एवं श्री गणेश जी की चित्र की पूजा क्यों की जाती है तब बाबा जी ने बताया कि  जीवन में बुद्धि विद्या और धन तीनों का ही बहुत अधिक महत्व है कि यदि आपके पास धन है और बुद्धि नहीं तो कोई महत्व नहीं और यदि बुद्धि और धन है और विद्या नहीं तो उसका भी कोई महत्व नहीं इसीलिए धन के लिए माता लक्ष्मी का तो बुद्धि के लिए भगवान श्री गणेश का तो विद्या के लिए माता सरस्वती का आह्वान किया जाता है और हमारे हिंदू धर्म में इससे प्रतीकात्मक रूप को दर्शाया गया है इसीलिए हमें अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देते हुए, बुद्धि का अर्जन करते हुए धन कमाने के लिए प्रेरित करना चाहिए
 परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने एक और जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से पूछा कि 
             एक कथानुसार त्रिपुरासुर के वध में असफल रहने पर भगवान शंकर ने नारद के सुझाव पर गणेशजी की पूजा के बाद युद्ध किया तब उन्हें विजय मिली। कृपया इस प्रसंग के संबंध में विस्तार से बताने की कृपा करेंगे बाबाजी।, जब त्रिपुरासुर वध के लिए भगवान शिव ने प्रस्थान किया तो वे भगवान श्री गणेश जी की पूजन करना भूल गए तब युद्ध में उन्हें कई विघ्नों का सामना करना पड़ा उनके अस्त्र गिर गये शिव गण और नंदी इधर-उधर भागने लगे तब नारद जी की प्रेरणा से उन्होंने वही युद्ध स्थल पर ही गणपति जी का आह्वान कर उनका पूजन किया और त्रिपुरासुर का वध किया

//रिपोर्ट नरेंद्र विश्वकर्मा