25 अप्रैल को श्रद्धांजलि कार्यक्रम हुआ सम्पन्न -पाटेश्वर धाम

25 अप्रैल को श्रद्धांजलि कार्यक्रम हुआ सम्पन्न -पाटेश्वर धाम

बालोद पाटेश्वर धाम के पीठाधीश्वर संत राम जानकी दास महात्यागी का विगत 9 अप्रैल को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उनके साकेत धाम गमन के पश्चात जहां 19 अप्रैल को दशगात्र हुआ तो वही 25 अप्रैल को षोडशी संस्कार संपन्न हुआ। इस आयोजन में देश भर से हजारों की संख्या में संत और श्रद्धालु पहुंचे। 9 राज्यों से साधु संत की मंडली पहुंची हुई थी। जिनकी मौजूदगी में विभिन्न संस्कार हुए। इस दौरान प्रमुख रुप से महंताई का कार्यक्रम हुआ। साधु संतों की अगुवाई में संत राम जानकी दास के उत्तराधिकारी संत राम बालक दास को पाटेश्वर धाम का महंत बनाया गया।
पूरे विधि विधान के साथ उनको महंताई सौंपी गई। इस दौरान महंत के रूप में संत बालक दास ने भक्तों को दर्शन दिया। कई जिले से पहुंचे भक्त उनके दर्शन को लेकर कतार में खड़े रहे और बारी-बारी से उनका दर्शन लाभ लिया। महंत के रूप में गुरू के दर्शन पाने भक्त आतुर थे। साथ साथ भजन सत्संग व साधु संतों की वाक्यांजली का कार्यक्रम भी मंच पर चलता रहा। सुबह से ही पाटेश्वर धाम में लोगों की भीड़ जुटी रही।

संत राम बालक दास ने कहा कि यह पाटेश्वर धाम सिर्फ भोजन और भजन के लिए है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि संत राम जानकी दास के समाधि स्थल पर समाधि मंदिर बनेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि अब आप सब जब भी आएंगे तो सबसे पहले समाधि दर्शन करेंगे। उसके बाद अन्य मंदिरों का दर्शन करेंगे। समाधि स्थल को दिव्य समाधि मंदिर मनाया जाएगा। जिसे 1 वर्ष के भीतर तैयार किया जाएगा। अगले वर्ष रामनवमी तक यह बनकर तैयार होगा। इसके लिए सर्व प्रथम एक गुप्त दान भोपाल मध्य प्रदेश से ₹1 लाख 11000 प्राप्त हुआ है। उन्होंने सभी से अपील किया कि इसमें सहयोग करें।25 से 30 लाख की लागत इसमें आएगी। इस समाधि मंदिर में परिक्रमा करेंगे। गुंबद का निर्माण होगा। जहां पर हिंदू धर्म से जुड़े विभिन्न ग्रंथ रखे रहेंगे। ये उपासना, साधना का मंदिर, ध्यान मंदिर होगा। रामायण, गीता, भागवत, जैन सहित विभिन्न गुरु ग्रंथ वहां रखे रहेंगे। लोग वहां उनका अध्ययन कर सकेंगे। लोग यहां अपना समय बिता सकेंगे। सभी सेवक मिलकर यह समाधि मंदिर बनाएंगे। जिस तरह आप सभी ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन तन मन धन से किया। इसी तरह आगे भी करेंगे। मां कौशिल्या के जन्मभूमि मंदिर को भी पूरा करेंगे। कीर्ति स्तंभ का निर्माण करवाया जा रहा है। जिसमें सभी दानदाताओं का नाम लिखा जाएगा। जब तक अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में राम लला का मंदिर बनेगा। तब तक यहां पाटेश्वर धाम में मां कौशल्या का मंदिर भी तैयार होगा। गुरुदेव की समाधि मंदिर अगले वर्ष भक्तो को राम नवमी तक समर्पित किया जाएगा

संत राम बालक दास ने घोषणा की कि सबसे बड़ा मेला पाटेश्वर धाम में रामनवमी का होगा। गुरु पूर्णिमा का मेला तो हम आयोजित करते ही हैं। लेकिन अब रामनवमी को बड़ा मेला के रूप में मनाएंगे। क्योंकि हमारे गुरू राम जानकी दास अपने देह त्याग रामनवमी को किए। यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। चैत नवरात्र के 9 दिनों विविध आयोजन के साथ यह रामनवमी मेला का समापन होगा। समाधि स्थल पर विविध आयोजन होंगे। संत बालक दास ने कहा मुझे महंत, जगत गुरु के बजाय मुझे बालक दास कहलवाना अच्छा लगता है। महंत पद को मैंने आज्ञा समझकर स्वीकार किया हूं।

कैसे पाटेश्वर धाम की शुरुआत हुई, कैसे 1973-75 के दौर में संत राम जानकी दास आए और राम नाम जपते हुए लोगों के बीच अलख जगाया और लोगों का कारवां जुड़ता गया। तो साथ ही बालक दास कैसे उनके शिष्य बन के मार्गदर्शन में कैसे आगे बढ़े, इस पर आधारित राम जानकी दास महात्यागी की जीवनी पर शॉर्ट फिल्म भी बनाई जाएगी। सुंदरानी वीडियो वर्ल्ड द्वारा 45 मिनट का फ़िल्म फिल्माया जाएगा। तो वही जल्द ही सेवकों के बीच गुरु आश्रम सेवा की परंपरा शुरू की जाएगी। हर सेवक को कम से कम 7 दिन आश्रम में रहकर सेवा कार्य करना होगा।

इस श्रद्धांजलि सभा में स्वर्गीय राम जानकी दास को श्रद्धांजलि देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सहित भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, सांसद मोहन मंडावी सहित अन्य भी पहुंचे थे। पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा राम जानकी दास जी ने 1973 से लेकर कई वर्ष तक तपस्या की। राम नाम जाप किया। धुनि जोत आज भी प्रज्वलित है। आज हजारो लोग आए हैं। ये निश्चित ही उनके प्रति श्रद्धा है। तो वहीं छग का कोई जिला नही बचा होगा जहां बालक दास जी ने यज्ञ ना कराया हो। छग के हर बड़े आयोजन में उनकी उपस्थिति होती है। प्रत्यक्ष 20 साल से आपकी सेवा देख रहा हूँ। अपने गुरु राम जानकी के प्रति समर्पित भाव से काम करते हैं। रात 12 बजे भी मुझे अपने गुरु के लिए फोन करते थे। 15 साल के कार्यकाल में हमसे जो हो सकता था हमने यहां कायाकल्प बदलने का प्रयास किया। बालक दास ने बेहतर आर्किटेक्ट की भूमिका निभाई है। जिनके मार्ग दर्शन में यहां भव्य मंदिर बन रहे हैं। जो पहले जंगल होते थे आज तीर्थ स्थल हो गए हैं।

इसी कार्यक्रम के दौरान भाजपा के नेताओं द्वारा धर्मांतरण का मुद्दा भी उठाया गया और संत राम बालक दास को सनातन धर्म का रक्षक बताया गया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि हमारे जशपुर, कुनकुरी में धर्मांतरण पर रोक लगाने में बालक दास जी ने अहम भूमिका निभाई है। आज भी कुछ धर्म विध्वंसक काम कर रहे हैं। जिनसे हमें बच के रहना है। कुनकुरी में 10 दिन तक महायज्ञ हुआ था। उनके अगवाई में वहां हिंदू धर्म की रक्षा में शिव मंदिर का भी निर्माण किया गया। सांसद विजय बघेल ने भी कहा कि आज भी कुछ लोग राम को छोड़ रावण की पूजा करने में लगे हैं। ऐसे कुछ लोग मंच में सम्मान भी पाते हैं। कुछ राजनीतिक रोटी सेकने वाले भी हैं। उनसे हमें बचकर रहना है।

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा घनघोर जंगल के रूप में इस स्थान की पहचान थी, राम जानकी दास के चरण पड़ने से यहां की पहचान बदल गई। उनके शिष्य राम बालक दास ने भी खुद को अपने गुरू की तरह ढाला और उनके कार्यों को आगे बढ़ा रहे। जो देश के कई कोने में हिंदुत्व के पुनरोत्थान के लिए जाने जाते हैं। धर्म के संरक्षण व संस्कार का काम इस धाम द्वारा किया जा रहा है आज इसकी आवश्यकता औऱ बढ़ गई है। आज जिस प्रकार से इस राज्य में एक तरफ नक्सलवाद है। शहर में लूट हत्या व्यभिचार नशा बढ़ रहा है। युवा धर्म कर्म छोड़ नशे में प्रवाहित हो तो उसका भविष्य क्या हो सकता है, ऐसे भटके लोगों को सही रास्ते पर लाने का काम साधु संत और पाटेश्वर धाम से हो सकता है।

वहीं सांसद मोहन मण्डावी ने कहा जब संत मिल जाते है तो आपके सब दुख खत्म हो जाते हैं। उनके दर्शन से करोड़ो का फल प्राप्त होता है। बाबा राम जानकी दास जी अमर हो गए। उन्होंने इस स्थल में राम नाम जगाया। राम कथा गांव गांव में फैलाया। सन्त कभी नही मरते। उन्होंने लोगों को सावधान किया कि धर्मान्तरण कभी नही करना ।

इस आयोजन के दौरान अवधेश चन्देल ,पूर्व विधायक
विजय बघेल सांसद दुर्ग
लाभचंद बाफना,पूर्व विधायक, प्रमोद सिंग, भाजपा जिला अध्यक्ष कृष्णकांत पवार, पूर्व विधायक राजेंद्र राय, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष देवलाल ठाकुर, संतोष पांडे, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष थानेश्वर साहू,
यज्ञदत्त शर्मा, किशोरी साहू देवेन्द्र जायसवाल, सन्दीप लोढा, रूपेश सिन्हा मौजूद थे। मंच संचालन गौतम सिन्हा, आभार प्रदर्शन जयेश ठाकुर ने किया।