जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं

जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं  जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं
जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं  जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं

जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं जापान में धरती कांपी:फुकुशिमा में 7.1 तीव्रता का भूकंप; पूरे देश में झटके महसूस किए गए, लेकिन सुनामी का खतरा नहीं

टोक्यो 31 मिनट पहले जापान में शनिवार शाम 7:37 बजे 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। इसके झटके पूरे देश में महसूस किए गए, लेकिन सबसे ज्यादा असर फुकुशिमा प्रांत में रहा। फुकुशिमा में बड़ा न्यूक्लियर प्लांट है।

लोकल मीडिया के मुताबिक, प्लांट में अब तक कोई असामान्य बात नजर नहीं आई है।

एक्सपर्ट की टीम प्लांट का निरीक्षण करने पहुंच गई है। जापान की मेटेरोलॉजिकल एजेंसी ने कहा है कि इस भूकंप से सुनामी का खतरा नहीं है। उत्तर भारत में कांपी धरती:दिल्ली-NCR और राजस्थान समेत कई राज्यों में भूकंप के झटके; जान-माल का नुकसान नहीं भूकंप का केंद्र राजधानी टोक्यो से करीब 306 किलोमीटर दूर जमीन से 60 किमी गहराई में था। इसी जगह 10 साल पहले भी बड़ा भूकंप आया था। तब उठी सुनामी की लहरों ने फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट को तबाह कर दिया था। इसे पर्यावरण को नुकसान के लिहाज से बड़ी घटना माना गया था। 2011 में भूकंप के बाद सुनामी से हुई थीं 16 हजार मौतें जापान में मार्च 2011 में 9 तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप के कारण जबर्दस्त सुनामी आई थी। तब समुद्र में उठी 10 मीटर ऊंची लहरों ने कई शहरों में तबाही मचाई थी। इसमें करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई थी। इसे जापान में भूकंप से हुआ अब तक का सबसे बड़ा नुकसान माना जाता है।

रिंग ऑफ फायर पर बसा है

जापान जापान भूकंप के सबसे ज्यादा सेंसेटिव एरिया में है। यह पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में आता है। रिंग ऑफ फायर ऐसा इलाका है जहां कॉन्टिनेंटल प्लेट्स के साथ ओशियनिक टेक्टॉनिक प्लेट्स भी मौजूद हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप आता है। इनके असर से ही सुनामी आती है और वॉल्केनो भी फटते हैं। दुनिया के 90% भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर में आते हैं। रिंग ऑफ फायर का असर न्यूजीलैंड से लेकर जापान, Alasca और उत्तर और South America तक देखा जा सकता है। 15 देश इस रिंग ऑफ फायर की जद में हैं। यह इलाका करीब 40 हजार किलोमीटर में फैला है। दुनिया में जितने भी एक्टिव वॉल्केनो हैं, उनमें से 75% इसी एरिया में हैं।