मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के बीच छिड़े सत्ता संघर्ष ने अब गैंगवार की शक्ल ले ली है और इसका खामियाजा प्रदेश भुगत रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के बीच छिड़े सत्ता संघर्ष ने अब गैंगवार की शक्ल ले ली है और इसका खामियाजा प्रदेश भुगत रहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के बीच छिड़े सत्ता संघर्ष ने अब गैंगवार की शक्ल ले ली है और इसका खामियाजा प्रदेश भुगत रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के बीच छिड़े सत्ता संघर्ष ने अब गैंगवार की शक्ल ले ली है और इसका खामियाजा प्रदेश भुगत रहा है।

मुंगेली / भारतीय जनता पार्टी के नगर मंडल अध्यक्ष राणाप्रताप सिंह ठाकुर ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री के बीच छिड़े सत्ता संघर्ष ने अब गैंगवार की शक्ल ले ली है और इसका खामियाजा प्रदेश भुगत रहा है। मण्डल अध्यक्ष राणा प्रताप सिंह ठाकुर ने कहा कि कोरोना के चलते स्थिति विकराल होने के बावज़ूद सामूहिकता की ऐसी कमी है कि स्वास्थ्य मंत्री को ही भरोसे में नहीं लिया जा रहा है,कोविड को लेकर होने वाली बैठकों से स्वास्थ्य मंत्री को ही दूर रखा जाता है। यहां तक कि राज्यपाल द्वारा बुलायी गयी सवर्दलीय बैठक में भी विभागीय मंत्री को सीएम बघेल ने अवसर नहीं दिया। इससे पहले खुद स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले वर्ष सार्वजनिक रूप से नाराजगी जाहिर की थी। मुंगेली नगर भाजपा मंडल अध्यक्ष राणाप्रताप सिंह ने गिरीश शुक्ला, जिलाध्यक्ष शैलेश पाठक,सुनील पाठक,कोटू दादवानी, मुकेश रोहरा,रामशरण यादव के समक्ष प्रदेश सरकार पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि सीएम बघेल का अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा है। हद तो तब हो गयी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलायी गयी मुख्यमंत्रियों की वचुर्अल बैठक में भी शामिल होने के बदले सीएम बघेल ने असम में चुनाव प्रचार करना अधिक ज़रूरी समझा। खुद भी नहीं आये और स्वास्थ्य मंत्री को भी उस बैठक में शामिल नहीं होने दिया। मण्डल अध्यक्ष ने आगे कहा कि ऐसी गंभीर बैठकों को भी घृणित राजनीति की भेंट चढ़ा दिया जाता है। पिछले दिनों आयोजित सवर्दलीय बैठक में पहले कहा गया कि सभी आमंत्रितों को लिंक भेजा जाएगा, नेतागण जहां हैं वहीं से जुड़ सकते हैं लेकिन ऐन बैठक के समय सबको रायपुर जिला पंचायत भवन बुला लिया गया। उन्होंने कहा कि यह सब इसलिए किया गया ताकि उस समय जशपुर में रहे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय बैठक में शामिल न हो सकें और उसे ही बाद में मुद्दा बनाया जाए जबकि कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को कोंडागांव से ही बैठक में शामिल होने की सुविधा दे दी गयी। भाजपा की तरफ से फिर भी प्रदेश उपाध्यक्ष शामिल हुए लेकिन कांग्रेस, भाजपा अध्यक्ष के उपस्थित नहीं होने का कारण नहीं बताकर कांग्रेस झूठ बोलती रही। भाजपा मंडल अध्यक्ष राणा प्रताप सिंह ठाकुर ने कहा कि अब जब प्रदेश सरकार को प्रदेश के बिगड़ते हालात पर त्वरित निर्णय करना चाहिए,स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने का प्रयास करना चाहिए, छत्तीसगढ़ की जनता की चिंता करनी चाहिए, तब प्रदेश सरकार और सीएम असम से आये बोडो प्रत्याशियों को शराब परोसने, उनके लिए बकरा भात की व्यवस्था में लगी है। चित्रकोट में उनके होने का खुलासा हो जाने के बाद प्रत्याशियों को अज्ञात जगह में छिपाया गया है। राणाप्रताप ने कहा कि भाजपा द्वारा सवाल उठाने पर बड़ी हिकारत से बघेल यह स्वीकार करते हैं कि वे असम के प्रत्याशियों की मेहमान नवाजी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बघेल का यह जवाब शर्मनाक है कि ये सभी प्रत्याशी पहले भाजपा गठबंधन में थे। ऐसे गैर जिम्मेदार सीएम से आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं? सरकार को चाहिए कि असम के उन प्रत्याशियों को जहां भी छिपा कर रखा गया है, उन सभी का कोविड टेस्ट कराया जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए। ऐसे ही ज़मातियों के कारण पिछली बार छत्तीसगढ़ बुरी तरह संक्रिमत हुआ था। भाजपा मंडल अध्यक्ष राणा प्रताप सिंह ठाकुर ने सवाल किया है कि शराब के सेस का पैसा मुख्यमंत्री बघेल ने असम चुनाव में खर्च कर दिया है? शराब की हर बोतल पर जो 20 रुपए कोरोना टैक्स लगाकर लोगों से वसूला जा रहा है, सेस 400 करोड़ और डीएमएफ फंड में जमा 800 करोड़ रुपये जो जमा है, उसका अभी तक कितना पैसा खर्च किया गया है, छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहती है। क्या ये सारे पैसे असम चुनाव में खर्च कर दिए गए हैं? उन पैसों का कोई हिसाब नहीं लेकिन मुख्यमंत्री बघेल फिर से झूठी गंभीरता दिखाते हुए ‘सीएम रिलीफ फंड’ के नाम पर राशि जुटा रहे हैं। कैम्पा फंड का बुरी तरह दुरुपयोग किया गया है, उससे नियमों को ताक पर रख लग्जरी वाहन खरीदे गए हैं। ठाकुर ने कहा कि इसके अलावे केंद्र से दी गई तमाम सहायता का क्या किया गया, इसका कोई हिसाब नहीं है। इससे अधिक शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए वेंटीलेटर को खोल कर भी इतने दिनों में नहीं देखा गया। अब जब इतनी किल्लत हुई है तो कह रहे हैं कि वेंटीलेटर खराब है। क्या सालभर में प्रदेश सरकार उनकी मरम्मत भी नहीं करा सकती थी? उन्होंने कहा कि दरअसल केंद्र हर तरह से सहायता देने को तैयार है लेकिन इनकी नीयत वहां से केवल पैसे मांगने में है ताकि उसकी बंदरबांट ये कर सकें।

रिपोर्ट-अजीत यादव मुंगेली

मो-9755116815