ग्रामीण घर मे शौचालय होने के बावजूद सुबह हो या शाम लोटा पकड़कर खुले मे शौच करने निकल पड़ते है, हम कोरोना जैसी अदृश्य बीमारी से तो लड़ ही रहे है पढ़िये पूरा मामला

ग्रामीण घर मे शौचालय होने के बावजूद सुबह हो या शाम लोटा पकड़कर खुले मे शौच करने निकल पड़ते है, हम कोरोना जैसी अदृश्य बीमारी से तो लड़ ही रहे है पढ़िये पूरा मामला
ग्रामीण घर मे शौचालय होने के बावजूद सुबह हो या शाम लोटा पकड़कर खुले मे शौच करने निकल पड़ते है, हम कोरोना जैसी अदृश्य बीमारी से तो लड़ ही रहे है पढ़िये पूरा मामला
ग्रामीण घर मे शौचालय होने के बावजूद सुबह हो या शाम लोटा पकड़कर खुले मे शौच करने निकल पड़ते है, हम कोरोना जैसी अदृश्य बीमारी से तो लड़ ही रहे है पढ़िये पूरा मामला

ग्रामीण घर मे शौचालय होने के बावजूद सुबह हो या शाम लोटा पकड़कर खुले मे शौच करने निकल पड़ते है, हम कोरोना जैसी अदृश्य बीमारी से तो लड़ ही रहे है पढ़िये पूरा मामला

बालोद//जिले के अधिकांश ग्रामो मे अभी भी खुले मे शौच करने का सिलसिला जारी है, ग्रामीण घर मे शौचालय होने के बावजूद सुबह हो या शाम लोटा पकड़कर खुले मे शौच करने निकल पड़ते है, हम कोरोना जैसी अदृश्य बीमारी से तो लड़ ही रहे है कही लोगो की लापरवाही के कारण बारिश मे और भी अन्य बीमारियां अपने पैर न पसार दे। स्वच्छ भारत मिशन अधर में लटका।

जिले को दो साल पहले 4 मई 2018 को ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया जिसमे मंत्री अमर अग्रवाल ने जिले को सम्मानित भी किया, लेकिन क्या वाकई मे ग्रामीण स्तर पर अभी भी लोग शौचालय का उपयोग कर रहे या नाममात्र का दिखाने के लिए शौचालय निर्माण किया गया है, गुणवत्ताहिन शौचालय निर्माण ने योजना का मटियामेट कर दिया है। वहीं ग्रामीण उसका उपयोग ग्रामीण कर रहे है या नही कर रहे है यह देखने वाला कोई नही है, क्योकि जिले के अधिकतर ग्रामो मे अभी भी सुबह हो या शाम लोग दल बनाकर खुले मे शौच करने निकल पड़ते है। प्रत्येक घरों में शौचालय के बाद भी नहीं सुधरी व्यवस्था

जिला प्रशासन द्वारा बालोद जिले को शौच मुक्त बनाने के लिए प्रत्येक घरों में 73710 निजी शौचालय स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनवाएं गए वहीं जिले लगभग85 सार्वजनिक शौचालय भी बनवाएं गए है। शौच मुक्त करने के लिए जिले मे प्रशासन द्वारा प्रारंभ मे खुले मे शौच जाने वालो के लिए जुर्माने का प्रावधान बनाया गया लेकिन क्या ये सिर्फ प्रशासन से वाहवाही लुटने व ईनाम जितने के लिए था, अब जमीनी स्तर पर ग्रामो की स्थिति क्या है उसका कोई जायजा लेने वाला नही है, पहले ग्रामो मे हर दो दिन मे कोई न कोई अधिकारी पहुंच जाते थे, लेकिन अब ग्रामो मे क्या स्थिति है इसका कोई सुध लेने वाला नही है। कोरोना से हम लड़ ही रहे है ऐसे मे अगर जिले के ग्रामो मे स्वच्छता नही रहती है, आने वाले बरसात मे और भी अन्य बिमारियो का सामना लोगो को करना पड़ सकता है। ऐसे गांव का सर्वे कर फिर से गांव मे खुले मे शौच करने वालो के खिलाफ पहले जैसे जुर्माना लगाना चाहिए ताकि गंदगी कम हो तथा बरसात के दिनो मे अन्य बीमारियो का सामना न करना पड़े।