आज का ऑनलाइन सत्संग सन्त श्री बालकदास के साथ लाखों भक्त किये भक्ति सागर में स्नान....

आज का  ऑनलाइन सत्संग सन्त श्री बालकदास के साथ लाखों भक्त किये भक्ति सागर में स्नान....
आज का  ऑनलाइन सत्संग सन्त श्री बालकदास के साथ लाखों भक्त किये भक्ति सागर में स्नान....

आज का ऑनलाइन सत्संग सन्त श्री बालकदास के साथ लाखों भक्त किये भक्ति सागर में स्नान....

विज्ञान के देवता है भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया एवं विश्वकर्मा ने संपूर्ण सृष्टि का निर्माण यंत्र बनाया

विश्वकर्मा जयंती पर ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा किया गया जिसमें विश्वकर्मा जयंती पर विशेष बधाई एवं शुभकामनाएं सभी भक्त गणों को बाबा जी द्वारा प्रेषित की गई, एवं विश्वकर्मा जी से संबंधित भक्तों की जिज्ञासाओं का भी समाधान बाबा जी द्वारा किया गया डुबोवती यादव जी ने विश्वकर्मा जयंती पर जिज्ञासा रखते हुये बाबा जी से विश्वकर्मा जी के विषय में जानने की इच्छा रखी, बाबाजी ने बताया कि विश्वकर्मा जी भगवान ब्रह्मा जी के अवतार हैं, जिन्होंने संपूर्ण ब्रह्मांड की सृष्टि यंत्रो की रचना की है, ब्रह्मा जी रचयिता रूप के अवतार है, रिद्धि सिद्धि के पिता भगवान विश्वकर्मा निर्माण के देवता के रूप में पूजे जाते हैं और आज के दिन उनके इसी रूप की पूजा होती है, जिसे हर मिस्त्री वर्ग, कल कारखानों के कर्मचारी, वाहन चालक अपने वाहनों की पूजा के साथ विश्वकर्मा जी की मूर्ति भी स्थापित करते हैं एवं धूमधाम से आज का दिन मनाया जाता है परिचर्चा में प्रेम चंद्र जी ने जिज्ञासा रखी कि विश्वकर्मा जी की पूजा किस प्रकार की जाती है बाबा जी ने बताया कि सभी मांगलिक वस्तुओं को एकत्र करते हुए, पंचामृत से स्नान कराके मानसिक पूजा करके, भगवान विश्वकर्मा जी को लाल एवं पीले फूल अर्पित करें, उन्हें दुर्वा शमी,बेलपत्र, तुलसी जो कि भगवान विष्णु एवं शिव भोले दोनों को चढ़ती है ऐसी सभी चीजें अर्पित करें एवं अग्नि जलाकर मीठे चीले एवं गुड़ से उन्हें आहुति दे, एक नारियल चढ़ाएं और एक नारियल को उनके समक्ष फोड़े और जो चढ़ाया हुआ नारियल है उसे विसर्जित कर दे इस प्रकार से उनकी कपूर आरती करके उनकी पूजा-अर्चना की जाती है रामाधीन जी ने बाबा जी से प्रश्न किया कि, अगर कोई एकादशी के दिन मृत्यु हुई हो और हमें पितर मनाना हो तो क्या मना सकते हैं क्योंकि हमने सुना है की एकादशी को अन्न भोजन करवाना मना है इस पर कृपा करके प्रकाश डालें गुरुवार, बाबा जी ने बताया कि पितर, छोटे बच्चे हमारे घर में आए हुए मेहमान ऐसे अवसरों पर हमें एकादशी के दिन भी अन्न भोजन बनाना ही पड़ता है क्योंकि पितरों को एकादशी व्रत नहीं होता एकादशी के दिन भी भगवान के लिए भोग अर्पित किया जाता है वैसे ही पितरों के लिए भी हम पिंड दान कर सकते हैं एवं भोजन में अन्न खिला सकते हैं जो उपवास है वह लोग ना खाए बाकी जिन का उपवास नहीं है वे लोग ग्रहण कर सकते हैं रामफ़ल जी ने जिज्ञासा रखते हुए चौपाई, इहाँ हरि निसिचर बैदेही। बिप्र फिरहि हम खोजत तेही।। इस पर प्रकाश डालने की विनती की इन चौपाइयों के भाव को स्पष्ट करते बाबा जी ने बताया कि, हनुमान जी महाराज जब ब्राह्मण का रूप धारण करके श्री राम जी से मिलने आते हैं तो यहां बहुत ही अद्भुत दृश्य होता है जब भक्त और भगवान का आत्मा और परमात्मा का और सेवक स्वामी का मिलन होता है, लक्ष्मण जी हनुमान जी से कहते हैं, हे ब्राह्मण देवता यहां निशाचरो ने सीता जी का हरण कर लिया है, जिन्हें ढूंढने के लिए हम यहां वहां भटक रहे हैं पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखते हुए, प्रश्न किया कि प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश जी के अग्रज कुमार कार्तिकेय के जन्म उपरांत उनकी परवरिश में कृतिका ओं की भूमिका पर प्रकाश डालने की कृपा हो भगवान, बाबा जी ने बताया कि कार्तिकेय का जन्म अद्भुत है भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन से जो तेज उत्पन्न हुआ उनसे भगवान कार्तिकेय उत्पन्न हुए उनका नाम केवल कीर्ति था, यहां तेज पुंज गंगा नदी में प्रवाहित किया गया जहां पर गंगा नदी इसे सहन करने में असमर्थ थी तो उन्होंने इसे हिमालय में स्थापित कर दिया तब वहां पर, कीर्ति के लालन पालन हेतु माता भगवती की प्रेरणा से छह कृतिकाओं ने उनका पालन किया, तब कीर्ति कार्तिकेय कहलाए, उन्होंने छह मुखो से छह कीर्तिका माताओं का दुग्ध पान किया, एवं कीर्तिकाओ ने उन्हें दानवो से भी सुरक्षित रखा,कार्तिक ने तारकासुर जैसे राक्षस का विनाश किया और वे देवों के सेनापति हुए परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने वामन भगवान के तीन पग मांगे जाने की कथा का वर्णन करने की विनती बाबा जी से कि बाबा जी ने बताया कि, राजा बली का साम्राज्य पूरे ब्रह्मांड में हो चुका था जिसे देवता अत्यधिक चिंतित हो गए थे तब वे भगवान विष्णु के समक्ष गए, और देवताओं की विनती पर भगवान विष्णु ने वामन जी का अवतार लिया चुकी राजा बलि बहुत ही दानी प्रवृत्ति के थे वह बामन जी के इस ब्राह्मण रूप को कोटि-कोटि प्रणाम एवं उनके ज्ञान को नमन करते है उनके द्वारा तीन पग जमीन मांगी जाती है तो राजा बालि कहते हैं कि आप तीन पग जमीन का क्या करेंगे तो वह कहते हैं कि मैं ब्राह्मण दूसरों के घर पर जाकर पूजा-अर्चना नहीं करूंगा तीन पग जमीन भी मुझे अपनी पूजा-अर्चना के लिए बहुत है तो राजा बलि अर्पित कर देते हैं तब वे पहले पग में समस्त धरती दूसरे पद में समस्त आकाश तीसरे पग में राजा बलि के सिर पर पद रख उन्हें पाताल लोक में स्थापित कर देते हैं तब राजा बली को समझ में आता है कि यह हमारे जीवन के तीन चरण है जो कि हम जब जन्म लेते हैं और दूसरा जब हम ग्रहस्थ जीवन में जाते हैं और तीसरा जब हम सन्यास जीवन अर्थात शमशान के और होते हैं इस तरह से यह भगवान की दी हुई प्रेरणा है कि हमें अपने जीवन में हमेशा संतुष्ट रहना चाहिए कौशल राम जी ने जिज्ञासा रखी की क्या एकादशी के दिन ठाकुर जी को चावल सब्जी का भोग लगाया जाता है या वर्जित रहता है, बाबा जी ने बताया कि भगवान भाव के भूखे होते हैं, श्रद्धा भक्ति भाव से अब भगवान को जो भी अर्पित करेंगे वह उन्हें स्वीकार होगा इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ

जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम