आज डिटीजल बाबा का ऑनलाइन सत्संग का सार पढ़िये रावण जन्म से नहीं अपने कर्म से दशानन और रावण कहलाया ,, संत राम बालक दास जी

आज डिटीजल बाबा का ऑनलाइन सत्संग  का सार पढ़िये रावण जन्म से नहीं अपने कर्म से दशानन और रावण कहलाया ,, संत राम बालक दास जी
आज डिटीजल बाबा का ऑनलाइन सत्संग  का सार पढ़िये रावण जन्म से नहीं अपने कर्म से दशानन और रावण कहलाया ,, संत राम बालक दास जी

आज डिटीजल बाबा का ऑनलाइन सत्संग का सार पढ़िये रावण जन्म से नहीं अपने कर्म से दशानन और रावण कहलाया ,,

छत्तीसगढ/डौंडीलोहारा-संत राम बालक दास जी प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप में प्रातः 10:00 बजे किया जाता है जिसमें भक्तगण जुड़कर , अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं आज सत्संग बेला में पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखी की लंकापति रावण क्या जन्मजात 10 मुखी थे या फिर किसी घटनाक्रम में उसे 10 मुख प्राप्त हो गया था? प्रकाश डालने की कृपा हो , बाबा जी ने बताया कि, कोई भी बालक जन्म से 10 सिर नहीं होता, जन्म लेने के पश्चात अपने अपने कर्म और सिद्धि, त्याग तपस्या के द्वारा, उनके विभिन्न प्रकार के लक्षण प्राप्त होते हैं, एक समय रावण ने भगवान शंकर की घोर तपस्या की जिसके कारण वह अमरत्व को प्राप्त करने लगा भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए उसने अपने शीश को काटकर अग्नि को अर्पित करना प्रारंभ कर दिया वह एक एक करते-करते 9 शीश को अग्नि में शिव भोले को समर्पित चुका था जब 10वां शीश वह अर्पित करने ही वाला था तो भगवान शंकर ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया और उसने भगवान शंकर से उनकी भक्ति मांग ली, इस प्रकार रावण दशानन कहलाया दाताराम साहू जी ने जिज्ञासा रखी की चहू चतुर कहुं नाम अधारा।ग्यानी प्रभुहि बिसेषि पिआरा।। इन पंक्तियों के भाव को स्पष्ट करते बाबा जी ने बताया कि, भगवान के भक्त 4 तरह के होते हैं ज्ञानी, जिज्ञासु अथार्थी और आर्त इनमें भगवान को सर्वाधिक ज्ञानी भक्त प्रिय होते हैं, क्योंकि ज्ञानी भक्त में अहंकार नहीं होता वह परमात्मा के तत्व को जानते हुए, सहृदय भगवान की भक्ति करता है, परंतु भगवान को अपने सभी भक्त बहुत अधिक प्रिय होते हैं चाहे वह ज्ञानी हो आर्त हो या जिज्ञासु इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम