डिटीजल बाबा के ऑनलाइन प्रेरणायें जिसे लाखों भक्तों ने अपने जीवन में उतरते हैं:28 सितंबर पितृ पक्ष अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत की शस्त्रों में बड़ी महिमा ,, बाबा राम बालक दास जी

डिटीजल बाबा के ऑनलाइन प्रेरणायें जिसे लाखों भक्तों ने अपने जीवन में उतरते हैं:28 सितंबर पितृ पक्ष अष्टमी को जीवित्पुत्रिका  व्रत की शस्त्रों में बड़ी महिमा ,, बाबा राम बालक दास जी
डिटीजल बाबा के ऑनलाइन प्रेरणायें जिसे लाखों भक्तों ने अपने जीवन में उतरते हैं:28 सितंबर पितृ पक्ष अष्टमी को जीवित्पुत्रिका  व्रत की शस्त्रों में बड़ी महिमा ,, बाबा राम बालक दास जी

डिटीजल बाबा के ऑनलाइन प्रेरणायें जिसे लाखों भक्तों ने अपने जीवन में उतरते हैं:28 सितंबर पितृ पक्ष अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत की शस्त्रों में बड़ी महिमा ,, बाबा राम बालक दास जी

छत्तीसगढ़/डौंडीलोहारा-प्रतिदिन ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में प्रातः 10:00 बजे किया जाता है जिसमें भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते है आज की सत्संग परिचर्चा में भूषण लाल साहू जी ने जिज्ञासा रखी की जानवरों में केवल गौ माता की ही पूजा क्यों होती है इस विषय में बाबा जी ने बताया कि गाय को कभी भी जानवर की श्रेणी में माना ही नहीं गया है वह तो हमारे भारतवर्ष के लिए माता स्वरूप है लक्ष्मी स्वरूपा है इसीलिए इस तथ्य को हमेशा हमें ध्यान में रखकर गौ माता को पूजनीय मानना चाहिए, क्योंकि वे हर रूप से हमारे लिए वरदान है उनके मुख से लेकर उनके पूंछ भाग तक प्रत्येक वस्तु हमारे लिए उपयोगी है उनका गोमूत्र उनका गोबर दूध दही घी अमृत तुल्य होता है इसीलिए गाय को हमारे देश में माता की श्रेणी में रखा गया है, गाय स्वयं भगवान का रूप है उन्हें जानवर कहना उनका अपमान है

 पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा की जीवित्पुत्रिका व्रत क्या है और इसका महाभारत से क्या संबंध है कृपया बताने की कृपा करेंगे।,

 बाबा जी ने बताया कि भागवत महापुराण में इसकी कथा आती है माताएं योग्य पुत्र प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं बड़े ही संयमित होकर बालकृष्ण के विभिन्न रूपों का लीलाओं का गायन करते हुए भगवत गीता का पाठ करते हुए और दूध से बने हुए उत्पादों का सेवन करते हुए इस व्रत को किया जाता है, महाभारत की कथानुसार माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना के लिए इस व्रत को करती है जो कि पितृपक्ष के अष्टमी के दिन आता है

 रामफ़ल जी ने जिज्ञासा रखी

कि, भगवान शंकर जी अर्ध चंद्रमा को धारण करते हैं इसके पीछे क्या रहस्य है प्रकाश डालने की कृपा हो प्रभु, बाबाजी ने बताया कि भोले भंडारी जगत में ऐसे इष्ट, महाप्रभु महादेव हैं जो संसार के द्वारा त्यागे गए अर्थात जिन्हें कोई नहीं पसंद करता जिन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता है, उन्हें भोले बाबा ने अपने संग जोड़ लिया, जैसे धतूरे का फल जो कि बहुत अधिक जहरीला होता है, भूत प्रेत आदी गण, नंदी सर्प और शमशान की राख तक को भगवान ने महत्व दिया जिससे वे शिवगन बन गए, चंद्रमा का आधा रूप कभी किसी को पसंद नहीं आता था लेकिन भगवान ने उसे अपनी जटाओं में स्थान देकर उसे पवित्र बना दिया उसकी सुंदरता और अधिक बढ़ गई

इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम