पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा अद्भुत ऑनलाइन सत्संग का आयोजन निरंतर 2 साल से भक्तों के लिए धार्मिक परिचर्चा का केंद्र बना हुआ है,

पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा अद्भुत ऑनलाइन सत्संग का आयोजन निरंतर 2 साल से भक्तों के लिए धार्मिक परिचर्चा का केंद्र बना हुआ है,
पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा अद्भुत ऑनलाइन सत्संग का आयोजन निरंतर 2 साल से भक्तों के लिए धार्मिक परिचर्चा का केंद्र बना हुआ है,

पाटेश्वर धाम के संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा अद्भुत ऑनलाइन सत्संग का आयोजन निरंतर 2 साल से भक्तों के लिए धार्मिक परिचर्चा का केंद्र बना हुआ है,

 जिसमें सभी भक्तगण उपस्थित होकर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान संत श्री के श्री मुख से प्राप्त करते हैं और अपने ज्ञान में उत्तरोत्तर वृद्धि करते हैं

 छत्तीसगढ़/डौंडीलोहारा:-सत्संग में समसामयिक विषय पर जिज्ञासा रखते हुए ठाकुर राम साहू जी पूछा की अहोई अष्टमी पर कुछ बताएं इस का व्रत कैसे करें, बाबा जी ने बताया कि कार्तिक माह के पूरे महीने का हर एक दिवस पावन और पवित्र है , कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन को अहोई अष्टमी के रूप में और अहोई माता की पूजा पाठ के साथ विधि विधान के साथ मनाया जाता है, यह दिवस बच्चों के लिए भी विशेष होता है माता बहने अपने बच्चों की स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इस व्रत उपवास को करती हैं, दिनभर उपवास रहकर बिना नमक के रात्रि के समय आहार ग्रहण करके अहोई माता की पूजा पाठ करती आज की सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की  677 साल बाद आज के पुष्य नक्षत्र को खरीददारी, निवेश के लिये अत्यंत शुभ बताया जा रहा है। पूरे दिन अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि तथा गजकेशरी योग रहने की बात की जा रही है। बाबाजी कृपया इस संबंध में प्रकाश डालने की कृपा करेंगे।, बाबा जी ने बताया कि क्यों पता नहीं लोग सब चीज को व्यापार से जोड़ देते हैं, हम चाहे किसी भी दिन कुछ भी खरीदे उसका भाव या मूल्य तो बदलने वाला है नहीं धनराशि तो व्यय होगी, कीमत तो कम ज्यादा होनी नहीं है, इसे नक्षत्र और योग से क्यों जोड़ा जाए बस यह हमें ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी चीज अगर हम खरीदते हैं तो वह पुण्य की कमाई से होना चाहिए ना कि पाप की कमाई से, परिश्रम और मेहनत और पुण्य से कमाया गया धन राशि से लिया गया चीज हमेशा ही हमें फलित होगा पाप और किसी का दिल दुखा कर ली गई वस्तु कभी भी हमारे लिए फलित नहीं है ऑनलाइन सत्संग के लिए संतोष साहू जी ने विचार रखा की बाबाजी ऑनलाइन सत्संग बहुत ही अच्छा और हम सबके लिए कल्याणकारी हैँ अतः यह अनवरत चलते रहे प्रभु जी समसामयिक विषयो पर समाधान नित नये ज्ञान जानकारी समस्या का समाधान गौमाता की सेवा बहुत अच्छा लगता हैँ।

 रामचरितमानस के सुंदरकांड की चौपाइयां पर अपनी जिज्ञासा प्रस्तुत करते हुए रामफल जी ने जिज्ञासा रखी की शरणागत कहु जे तजही। निज अनहित अनुमानि। ते नर पांवर पाप मय तिन्हही बिलोकत हानि।। इस पर प्रकाश डालने की कृपा हो सरकार, बाबा जी ने इन पंक्ति के अर्थ को स्पष्ट करते हुए बताया कि जब विभीषण जी श्री राम जी की शरण में आते हैं तब उनकी शरणागति को स्वीकार करते हुए भगवान श्री राम सुग्रीव जी से कहते हैं कि हे सुग्रीव एक तो है मित्रता जिसे हमें प्राण देकर भी निभाना चाहिए, हर किसी को मित्र भी नहीं बनाना चाहिए केवल योग्य को मित्र बनाना चाहिए, और योग्य को मित्र बनाकर योग्यता पूर्ण मित्रता निभाना भी चाहिए, और शरणागत में आए व्यक्ति को यह सोचकर त्याग देना कि यह मेरी शरण में आएगा तो मेरा अनहित होगा, ऐसा सोचकर जो योग्य को शरण नहीं देता है, ऐसे पापी मनुष्य को हानि का ही सामना करना पड़ता है, इन पंक्तियों से तुलसीदास जी स्पष्ट कर रहे हैं कि हमारे शरण में जो भी जीव-जंतु पेड़-पौधे गरीब दीन दुखी भूखा प्यासा आ जाए कोई जरूरतमंद आ जाए और यदि परमात्मा ने हमें इस योग्य बनाया है कि हम उसे शरण दे पाए तो यह हमारा सौभाग्य होगा। इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

रिपोर्ट-नरेंद्र विश्वकर्मा