कुष्ठ रोग के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दी लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया कूफा (चिल्ड्रन यूनाइट फोर एक्शन ) प्रोजेक्ट द्वारा 30 जनवरी के दिन विश्व कुष्ठ रोग दिवस (World Leprosy Day 2022) जागरूकता कार्यक्रम किया गया।

कुष्ठ रोग के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दी लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया कूफा (चिल्ड्रन यूनाइट फोर एक्शन ) प्रोजेक्ट द्वारा 30 जनवरी के दिन विश्व कुष्ठ रोग दिवस (World Leprosy Day 2022) जागरूकता कार्यक्रम किया गया।
कुष्ठ रोग के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दी लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया कूफा (चिल्ड्रन यूनाइट फोर एक्शन ) प्रोजेक्ट द्वारा 30 जनवरी के दिन विश्व कुष्ठ रोग दिवस (World Leprosy Day 2022) जागरूकता कार्यक्रम किया गया।

कुष्ठ रोग के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दी लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया कूफा (चिल्ड्रनयूनाइट फोर एक्शन) प्रोजेक्ट द्वारा 30 जनवरी के दिन विश्व कुष्ठ रोग दिवस (World Leprosy Day 2022) जागरूकता कार्यक्रम किया गया।

कुष्ठ रोग के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से दी लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया कूफा (चिल्ड्रनयूनाइट फोर एक्शन) प्रोजेक्ट द्वारा 30 जनवरी के दिन विश्व कुष्ठ रोग दिवस (World Leprosy Day 2022) जागरूकता कार्यक्रम किया गया। कूफा प्रोजेक्ट के द्वारा आसपास के गांव में स्थानीय बाल संसद का गठन किया गया है। वर्ल्ड लेप्रोसी डे पर बाल संसद के बच्चों ने रंगोली बनाकर ग्रामीणों को कुष्ठ रोग के बारे जानकारी देने की कोशिश की गई। वैसे सच्चाई यह भी है कि कुष्ठ रोग न तो कोई अभिशाप है और न ही पूर्व जन्म में किए गए पापों की सजा। यह रोग माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रे नामक जीवाणु के कारण होता है। विश्व कुष्ठ रोग दिवस को मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देना है और लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना भी है। यह दिन दुनिया भर में कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों की आवाज उठाने पर केंद्रित है! 2022 के लिए थीम 'यूनाइटेड फॉर डिग्निटी' है, जो कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को उनकी सशक्त कहानियों को साझा करके और बीमारी से संबंधित कलंक से मुक्त सम्मानजनक जीवन जीने की वकालत करने के लिए सम्मानित करता है।

 ज्ञात हो कि गांधी जी के मन में समाज के हर तबके के लिए बराबर प्यार था। यही कारण है कि वे छूआछूत के विरुद्द थे। उनका ऐसा मानना था कि छूआछूत के चलते समाज में असमानता फैलती है। यह सच्चाई भी है जिसे कोई भी नकार नहीं सकता है। बावजूद इसके आज भी कई छूआछूत के मामले हमारे सामने आते रहते हैं।   यह एक जीर्ण संक्रमण रोग है। इससे त्वचा, श्वसन तंत्र, आंखें और तंत्रिकाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह बीमारी मायकोबैक्टीरियम लैप्री नामक जीवाणु के चलते होती है। आधुनिक समय में इसका टीका उपलब्ध है। अतः कुष्ठ रोग अब संक्रामक नहीं है।