ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार शुक्रवार को कलेक्टर को राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, राज्यपाल ,,मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव के नाम ओबीसी समाज के विभिन्न मांगों का निराकरण कर निष्पक्ष जांच किए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा गया....

ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार  शुक्रवार को कलेक्टर को  राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, राज्यपाल ,,मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव के नाम ओबीसी समाज के विभिन्न मांगों का निराकरण कर निष्पक्ष जांच किए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा गया....
ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार  शुक्रवार को कलेक्टर को  राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, राज्यपाल ,,मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव के नाम ओबीसी समाज के विभिन्न मांगों का निराकरण कर निष्पक्ष जांच किए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा गया....

ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार शुक्रवार को कलेक्टर को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, राज्यपाल ,,मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव के नाम ओबीसी समाज के विभिन्न मांगों का निराकरण कर निष्पक्ष जांच किए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा गया....

बालोद- ओबीसी महासभा छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार शुक्रवार को कलेक्टर को राष्टपति,प्रधनमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री, राज्यपाल ,,मुख्यमंत्री ,मुख्य सचिव के नाम ओबीसी समाज के विभिन्न मांगों का निराकरण कर निष्पक्ष जांच किए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा गया । ओबीसी महासभा के प्रदेशाध्यक्ष राधेश्याम साहू ने बताया कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की आजादी के बाद से आज देश-प्रदेश के विकास एवं आर्थिक रूप से देश की अर्थ व्यवस्था में रीढ़ की हड्डी की तरह अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले मतदाता, शासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य में अन्य पिछड़े वर्ग की लगभग 50 प्रतिशत आबादी निवासरत है, साथ ही वर्तमान में प्रदेश के मुखिया भी ओबीसी वर्ग से ही संबंध रखते है, समान श्रीवित पटेल परिस्थितियों के बावजूद भी ओबीसी वर्ग के प्रबुध्दजनों युवाओं और छात्र-छात्राओं के हितों पर शासन प्रशासन में बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों और उच्च न्यायालय में बैठे जातिवादी मानसिकता के न्यायाधीशों द्वारा लगातार कुठारघात किया जा रहा है।

 भोले भाले ओबीसी वर्ग को ठगने की हो रही कोशिश

 प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि आजादी के इतिहास में आज तक ओबीसी आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में सम्मिलित न किया जाना है और तो और प्रशासन द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत विचारधीन याचिका में लंबित निर्णायक भूमिका में "ओबीसी वर्ग का जातिगत आंकड़ा वर्तमान शासन - प्रशासन द्वारा उपलब्ध न कराया जाना" भोले भाले ओबीसी वर्ग को ठगने की कोशिश निम्न प्रशासकीय क्षमता, लोकतंत्र में संवैधानिक व्यवस्था को लागू न करना, गैर मानवता तानाशाही पूर्ण रवैया, संविधान में अविश्वास की धारणा को इंगित करता है जो कि सामान्य परिस्थियां "एक महान लोकतांत्रिक देश का अपमान है।

 ओबीसी वर्ग के आवेदकों को राष्टीय व राज्य स्तर के शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण में रोजगार से किया जा रहा हैं वंचित

 प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए आरक्षण देश के शासन और प्रगति में प्रतिनिधित्व और भागीदारी का विषय रहा है। संविधान में आरक्षण की अवधारणा का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से उनकी जाति के आधार पर आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं राजनैतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है किन्तु आजादी के बाद मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों से वंचित कर सामाजिक और शैक्षिक सशक्तिकरण प्रणाली में घोषित आरक्षण के आधार पर समुचित हिस्सेदारी एवं प्रतिनिधित्व सुनिश्चित न कर,ओबीसी समाज के साथ अन्याय कर संवैधानिक नियमों का अवहेलना कर, ओबीसी वर्ग के आवेदकों को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में रोजगार से वंचित किया जा रहा है।

 ओबीसी महासभा की मुख्य मांगे 

राष्ट्रीय जनगणना में ओबीसी की गणना कर आंकड़े प्रकाशित किया जावें। असंवैधानिक कीमीलेयर की बाध्यता को समाप्त किया जाये। ओबीसी की 27 प्रतिशत आरक्षण को भारत देश सभी राज्यों में समान रूप से लागू करने हेतु भारत सरकार आध्यादेश पारित कर संविधान की नवमी अनुसूची में शामिल किये जाने । संरक्षित क्षेत्रों में तेंदुपत्ता संग्रहण नहीं करने वाले अनुसूचित जनजाति को मिलने वाली कैम्पा निधि की राशि वहां निवासरत सभी लोगों को समान रूप से प्रदान किया जावे। देश के अन्य राज्यों की भांति छत्तीसगढ़ राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित लोक कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रम के सुव्यवस्थित संचालन हेतु पृथक से विभाग संचालित किये जाने ।पं. रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय रायपुर में अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों के साथ भेदभाव पूर्ण नियुक्ति वरिष्ठता, पदोन्नति (रोस्टर) में गड़बड़ी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ शीघ्र कार्यवाही की जाये। छत्तीसगढ़ प्रदेश के शासकीय विभागों/निगमों / मंडलों / स्वायत्तशासी निकायों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों/अधिकारियों को नियमित किये जाने का अनुरोध है एवं 15 अनियमित कर्मचारियों पर गोल बाजार रायपुर (एफ.आई.आर. संख्या-156 / वर्ष 2018 ) एवं आजाद चौक थाना (एफ.आई.आर. संख्या-25 / वर्ष 2018) में पंजीबध्द केस पर न्यायालय में चल रही मुकदमे को वापस लिया जायें। छ.ग. शासकीय आई.टी.आई. में रिक्त पद के विरूद्ध कार्यरत मेहमान प्रवक्ताओं में मानदेय में वृद्धि करने एवं 62 वर्ष की आयु तक सुरक्षा देने का मांगे शमिल हैं। ज्ञापन सौपने के दौरान ओबीसी महासभा के प्रदेशाध्यक्ष राधेश्याम साहू, प्रदेश मीडिया प्रभारी आरके देवांगन,जितेंद साहू,प्रीतम देशमुख,विवेक चन्द्राकर,भूपेन्द्र वर्मा,विष्णु साहू,टेमन सिन्हा, आस्था चन्द्राकर,माधुरी साहू,यूरेका साहू,निशा देशमुख,नेतराम निषाद,देवलाल सिन्हा, बीएल डड़सेना,राजू साहू,भूपेन्द्र साहू,देवेंद्र साहू सहित अन्य पदाधिकारी शामिल रहे।