सीएसवीटीयू ने किया सीजी कॉस्ट व अरूनोदय मेरीकॉम के साथ द्विपक्षीय अनुबंध जल संरक्षण व संवर्धन के साथ चिकित्सा उपकरणों की दिशा में भी अग्रसर होगा सीएसव्हीटीयू

सीएसवीटीयू ने किया सीजी कॉस्ट व अरूनोदय मेरीकॉम के साथ द्विपक्षीय अनुबंध जल संरक्षण व संवर्धन के साथ चिकित्सा उपकरणों की दिशा में भी अग्रसर होगा सीएसव्हीटीयू
सीएसवीटीयू ने किया सीजी कॉस्ट व अरूनोदय मेरीकॉम के साथ द्विपक्षीय अनुबंध जल संरक्षण व संवर्धन के साथ चिकित्सा उपकरणों की दिशा में भी अग्रसर होगा सीएसव्हीटीयू

सीएसवीटीयू ने किया सीजी कॉस्ट व अरूनोदय मेरीकॉम के साथ द्विपक्षीय अनुबंध जल संरक्षण व संवर्धन के साथ चिकित्सा उपकरणों की दिशा में भी अग्रसर होगा सीएसव्हीटीयू

भिलाई। छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई एवं छत्तीसगढ़ काउंसिल ऑफ सांइस एंड टेक्नोलॉजी रायपुर के मध्य हुए द्विपक्षीय अनुबंध किया गया है। जल एक बहुमूल्य संसाधन है,भारत में जल संचयन और प्रबन्धन का इतिहास सदियों पुराना है जिसके प्रमाण सर्वप्रथम सिंधु घाटी में पाए गए थे। तब से आज तक देश के विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुरूप पारम्परिक तरीके से जल संचयन और प्रबन्धन के उपाय किये जा रहे है।

पूरे देश के साथ साथ छत्तीसगढ़ राज्य की जनसंख्या वृद्धि एवं भावी आवश्यकता को देखते हुए जल के एक-एक बूँद की उपयोगिता बढ़ गयी है। छत्तीसगढ़ के हर गाँव में जल की उपलब्धता सुनिचित करने तथा जल उपलब्धता में आने वाले कठिनाइयों को दूर करने के लिए CSVTU और C'COST ने आज MoU किया है। इस MoU के माध्यम से तकनीकी विश्वविद्यालय तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा जनसंख्या दबाव तथा आवश्यकतानुसार जल संसाधन का उचित उपयोग करने का योजनानुसार लक्ष्य रखा गया है। जल जीवन मिशन के तहत इसे Village Level Ground Water Prospects Mapping कहते है। यह कार्य दोनों संस्थान मिलकर लोक स्वास्थ्य विभाग छत्तीसगढ़ शासन के लिए करने जा रहे है। भू-जल का सटीक लोकेशन और उपलब्धता की खोज करना अपने आप में ही बहुत बड़ा कार्य है जो की किसी भी स्थान के लिए लगभग असंभव होता है। छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 1,35,000 वर्ग किलोमीटर में यह कार्य satellite टेक्नोलॉजी के माध्यम से इमेज प्रोसेस करके लगभग 22 लेयर्स (जैसे की स्लोप, लैंड यूज लैंड-कवर, लियोलोजी इत्यादि) की 1:10000 स्केल पर मानचित्रण कर भूजल का सटीक लोकेशन और उपलब्धता का खोज करने में सहायक होगा तथा 1. पेयजल की गुणवता उपलब्धता तथा संचय कर राज्यहित में शासन का सहयोग करेगा। 2. साथ ही यह मैप्स छत्तीसगढ़ राज्य में कृत्रिम भूजल पुनर्भरण (artificial groundwater recharge) हेतु sustainable water infrastructure साबित होगा। ताकि भविष्य में जितना जल ग्राउंड से बहार आ रहा है उतना ही अन्दर भी जाए और राज्य में भूजल संकट का कभी भी सामना ना करना पड़े। Development of sustainable water infrastructure का कांसेप्ट सीएसव्हीटीयू के कुलपति द्वारा प्रथम बार 2012 में दिया गया था जब वे NIT रायपुर में प्रोफेसर के रूप में पदस्त थे और आज यह संकल्पना अपने पहले कदम की ओर बढ़ रही है। इसी उद्देश्य के साथ यह दोनों संस्थान इस MoU को द्विपक्षीय हस्ताक्षर किया गया।

निकट भविष्य में तकनीकी विश्वविद्यालय तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद आपसी सहयोग से तकनीकी के आधुनिक अनुप्रयोगों के इस्तेमाल कर छत्तीसगढ़ राज्य में भूजल की उपलब्धता तथा पुनर्भरण हेतु व्यापक मानचित्रण का कार्य करेंगे। वहीं सीएसव्हीटीयू फोर्टे भिलाई एवं अरूनोदय मेरीकॉम प्रा.लि.रायपुर के साथ चिकित्सा क्षेत्र के तकनीकी संसाधनों पर शोध, उत्पादों की आवश्यकताओं का विकास तथा स्टार्टअप के माध्यम से उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय हस्ताक्षर के साथ एमओयू किया गया। अरूनोदय मेरीकॉम प्रा.लि.द्वारा अब तक ऑडियो मीटर व सारयोमीटर उपकरण का निर्माण व उत्पादन किया गया है यह उपकरण क्रमशः श्रवण बाधित बच्चों, युवाओं व वृद्धों के लिए वरदान साबित होगा तथा उम्र,जलवायु,नशे के सेवन,औद्योगिक आदि कारणों से संक्रमित फेफड़ों के विकारों के परीक्षण व अध्ययन का कार्य करेगी उक्त दोनों उपकरण बाजार में उपलब्ध लाखों रू के प्रचलित दरों सें एक चौथाई दर पर जरूरत मंद लोगों को मिलेगा। यह उपकरण पूर्णतः सेल्फ ऑप्रेटेड होगा।

इन उपकरणों को सीएसव्हीटीयू के मदद से वाईफाई और इन्टरनेट से कनेक्ट कर डाटा को संग्रहित किया जावेगा और डाटा सीधे परीक्षण हेतु चिकित्सकों को भेजी जाएगी वहीं यह डाटा चिकित्सा शोध कार्यों के उपयोग में भी लिया जावेगा।

उक्त दोनों द्विपक्षीय अनुबंध कार्यक्रम सीएसव्हीटीयू के कुलपति डॉ.एम.के. वर्मा, सीजी कॉस्ट के निदेशक डॉ. एस कर्माकर, वरि.वैज्ञानिक डॉ.एम.के.बेग, अरूनोदय मेरीकॉम प्रा.लि. के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. ए. दिक्षित कुलसचिव डॉ. के.के. वर्मा, यूटीडी निदेशक डॉ.पी.के.घोष,सीएसव्हीटीयू फोर्टे निदेशक डॉ. आर.एन.पटेल, विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिन्हा, पीआरओ किशोर कुमार भारद्वाज सहित विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग के प्राध्यापकों एवं पत्रकारों की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।