डीईओ एवम गुरुर बी ई ओ की कार्यप्रणाली से सहायक शिक्षक परेशान-

डीईओ एवम गुरुर बी ई ओ की कार्यप्रणाली से सहायक शिक्षक परेशान-

डीईओ एवम गुरुर बी ई ओ की कार्यप्रणाली से सहायक शिक्षक परेशान-

बालोद:---
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए वर्तमान शैक्षणिक सत्र में स्कूल कब से खुलेगा , यह निश्चित नही है , फिर भी जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा  अध्यापन व्यवस्था के नाम पर संलग्नीकरण कर सहायक शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में किसी भी जिले में संलग्नीकरण नही किया जा रहा है लेकिन, लेकिन बालोद जिले की कहानी ही कुछ और है। यहां विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी गुरुर द्वारा नियमो को ताक पर रखकर मनमानी की जा रही है।

छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन बालोद के जिला अध्यक्ष देवेन्द्र हरमुख ने बताया कि विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी गुरुर के द्वारा अध्यापन व्यवस्था के नाम पर प्राथमिक शालाओं में कार्यरत सहायक शिक्षकों का संलग्नीकरण मिडिल स्कूलों में मनमाने ढंग से किया जा रहा है।इसके लिये किसी प्रकार के मापदंड का पालन नही किया जा रहा है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 30:1 का भी पालन नही किया जा रहा है। विकासखण्ड में कई ऐसे स्कूल हैं  जहां पर दर्ज संख्या के अनुपात में पर्याप्त शिक्षक हैं , फिर भी अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिये इन स्कूलों में संलग्नीकरण कर दिया गया है ।वहीं कई ऐसे स्कूल भी हैं जहां पर दर्ज संख्या 30:1 के अनुसार शिक्षक नही है, फिर भी इन स्कूलों के शिक्षकों को अन्यत्र मिडिल स्कूल में संलग्न कर दिया गया है।

अपने चहेतों को पहुंचाया फायदा ---

गुरुर ब्लॉक के दुरस्थ क्षेत्रों में ऐसे कई स्कूल हैं,जहां पर एक या दो शिक्षक हैं फिर भी उनका स्थानांतरण गुरुर के आसपास के स्कूलों में कर दिया गया है, फिर उन्ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी बताकर दूसरे शिक्षकों का उनकी मूलशाला से 25 से 30 दूर संलग्नीकरण का आदेश जारी किया गया है।अतिशेष की श्रेणी में नही आने वाले शिक्षकों का भी अन्यत्र संलग्नीकरण कर दिया गया है।

फेडरेशन के जिला सचिव अश्वनी सिन्हा ने बताया कि विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा नियम विरुद्ध संलग्नीकरण आदेश जारी किया गया है।वरिष्ठता का ध्यान नही रखा गया है, यदि संलग्नीकरण करना ही है तो जूनियर शिक्षक का होना चाहिए । कई ऐसे शिक्षकों का संलग्नीकरण किया गया है जो अपनी शाला में सबसे सीनियर हैं।

संकुल स्तर पर ही हो संलग्नीकरण--

 यदि संलग्नीकरण करना ही है तो उसी संकुल में करना चाहिए जिस संकुल में शिक्षक पदस्थ है। लेकिन ऐसा नही किया गया है। भोजराम सिन्हा का संलग्नीकरण भी नियमों को ताक पर रखकर किया गया है। वे प्राथमिक शाला बासीन में पदस्थ   हैं, उनका संलग्नीकरण बासीन से 30 किमी दूर प्राथमिक शाला नगझर में किया गया है, जबकि उसी संकुल में ही किया जाना था। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शाला बासीन की दर्ज संख्या 125 है तथा 5 शिक्षक कार्यरत हैं। दर्ज संख्या के अनुसार यहां कोई भी शिक्षक अतिशेष नही है ।  यहां दो शिक्षक उनसे सीनियर तथा दो शिक्षक उनसे जूनियर है, फिर भी उनका संलग्नीकरण नगझर स्कूल में कर दिया गया है, वे न तो सीनियर हैं न तो जूनियर , फिर भी उनका संलग्नीकरण कर दिया गया है।ऐसे ही नियमो को ताक में रखकर संलग्नीकरण किया गया है।

संलग्नीकरण के नाम पर मानसिक प्रताड़ना --

विकासखण्ड गुरुर में कई ऐसे शिक्षक हैं जिनका हर साल संलग्नीकरण कर दिया जाता है। ऐसे ही एक शिक्षक हैं नारद राम साहू जो कि शासकीय प्राथमिक शाला अरमरिकला में पदस्थ हैं। पिछले 7 साल से लगातार हर साल अलग अलग स्कूलों में उनका संलग्नीकरण किया जा रहा है। हर साल संलग्नीकरण किये जाने से मानसिक रूप से परेशान हो चुके हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा दिया गया   आश्वासन लेकिन नही की गई कोई करवाई- 

जिला उपाध्यक्ष एलेन्द्र यादव ने बताया कि सहायक शिक्षक फेडरेशन द्वारा इस सम्बंध में डी ई ओ श्री आर एल ठाकुर को मौखिक एवम लिखित रूप में जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन अब तक संलग्नीकरण रोकने के लिय किसी भी प्रकार की कार्रवाई जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा नही की गई है।