क्या सच में होते हैं भुत प्रेत - जानिए श्री रामबालक दास जी से

क्या सच में होते हैं भुत प्रेत -  जानिए  श्री रामबालक दास जी से

 

ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके ऑनलाइन ग्रुपों में प्रातः 10:00 बजे किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करते हैं
         

 

 आज की सत्संग परिचर्चा में पाठक परदेसी जी के द्वारा जिज्ञासा रखी गई की 
कागा काको धन हरे, कोयल काको देतl
मीठा शब्द सुनाएं के, जग अपनो करि लेतll

संत कबीर जी की अमर वाणी पर प्रकाश डालने की कृपा हो भगवन, बाबा जी ने बताया कि यह केवल संत कबीर जी की ही नहीं सभी संतों की वाणी है जिसकी जितनी अधिक मीठी वाणी होगी वह उतना ही अधिक सबका प्रिय होगा यह दोहा उसी उदाहरण को प्रस्तुत  करता है यदि हमारे घर की छत के ऊपर बैठकर एक कौवा कांव-कांव करता है तो वह हमारा क्या बिगाड़ता है कुछ नहीं फिर भी हम उसे पत्थर मार कर उसको वहां से भगा देते हैं केवल उसकी कर्कश वाणी के कारण
 और उसी की जगह एक कोयल बैठती है और वह कुहु कूहु की आवाज करती है तो वह हमें बहुत ही अच्छा लगता है और हम उसे बार-बार आमंत्रित करते हैं कि वह हमारे घर में आये, यही है,वाणी का महत्व, जो कि सबके हृदय को जीत लेता है इसलिए सदैव ही मीठी वाणी बोलना चाहिए जिसके कहने या करने से आपका कुछ नहीं जाएगा लेकिन दूसरों के लिए आप मित्र जरूर बन जाएंगे
       अपर्णा विश्वकर्मा ने संत श्री से हमारी लोककथाओं में  भूत प्रेत होते हैं यह बतलाया गया है तो क्या वे सत्य में ही होते हैं,विषय में जानने की विनती की और यदि होते हैं तो वह केवल हनुमान जी से ही क्यों डरते हैं,

इस पर  बाबा जी ने कहा कि, यदि हमारी कथाओं में भूत प्रेत  का वर्णन मिलता है तो वह होते है,तभी तो उनका वर्णन किया गया है, हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी दुष्ट आत्मा एवं प्रेत आत्माओं का वर्णन मिलता है मनुष्य अपने कर्मों के अनुसार भूत प्रेत गंधर्व पूर्वज देव योनि को प्राप्त करते हैं यहां तक कि कर्मों के प्रभाव से वह भगवान विष्णु के पार्षद भी बन जाते हैं 
 जब किसी की अकाल मृत्यु होती है तो वह प्रेत बन जाता है और अलग-अलग प्रवृत्ति के अनुरूप  रूप धारण करता है कुछ मनुष्य को परेशान करते हैं तो कुछ उनका कल्याण भी करते हैं ताकि उन्हें जल्द से जल्द मुक्ति प्राप्त हो जाए अलग-अलग प्रेतो का अलग-अलग निवास भी होता है
       ऐसा नहीं है कि भूत प्रेत केवल हनुमान जी से ही डरते हैं आपसे भी डरेगे वह केवल और केवल आपके आभा मंडल पर निर्भर है आप जिस तरह की प्रवृत्ति और भाव का जीवन जीते हैं उसी तरह का आप का आभा मंडल निर्मित होता है हमारे चारों ओर एक आभामंडल होता है यदि आप सात्विक है स्वाभाविक हैं सरल है सहज है और निश्चित ही धार्मिक वातावरण में जीवन जीते हैं तो आपका आभामंडल भी वैसा ही होगा आपके पास वेसे ही जन जीवन का निर्माण होगा और यदि आप दूषित हृदय वाले हैं और अपवित्र जीवन जीते हैं और असात्विक भोजन करते हैं तो आपका जीवन प्रेत जीवन से कम नहीं इसीलिए आप उन्हीं से प्रभावित होंगे और वही आपके आसपास निवास करेंगे, और इसीलिए हनुमान जी जैसा जीवन जीने बालों के पास सदैव राम लक्ष्मण जी अपना धनुष बाण लेकर उनकी रक्षा करते हैं इसीलिए हनुमान जी  के आसपास भूत पिशाच निकट नहीं आते हैं

रिपोर्ट //नरेन्द्र विश्वकर्मा