प्रतिदिन की भांति आज भी सीता रसोई संचालन ग्रुप में सुंदर ऑनलाइन सत्संग का आयोजन

प्रतिदिन की भांति आज भी सीता रसोई संचालन ग्रुप में सुंदर ऑनलाइन सत्संग का आयोजन

डौंडीलोहारा// आज के सत्संग  में बाबा जी ने सभी को जीवन के सत्य से अवगत कराते हुए कहा कि जिन कर्मों या जिन विचारों में स्वयं को दर्द और तकलीफ हो तो ऐसे कर्म और विचारों को हमें कभी नहीं करना चाहिए बात जो बोलते समय हमें  पीड़ा या क्रोध का आभास कराती है वह बात पी लेना चाहिए जिस प्रकार भगवान शिव ने विष को पिया था उसे हमें भी सहन कर लेना चाहिए परंतु उसे बोलने या करने की चेष्टा कभी नहीं करनी चाहिए क्योंकि जो करम   या बोल हमें इतनी अधिक पीड़ा दे रहे हैं वह दूसरों को कितना अधिक पीड़ा  देंगे

             परिचर्चा को आगे बढ़ाते हुए रामफल जी ने लंका कांड के प्रसंग की चौपाई "सखा धर्म मय अस रथ जाके....... के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबाजी से की, इन पंक्तियों के भाव को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि लंका कांड में तुलसीदास जी ने रावण और श्री राम जी के युद्ध काल को स्पष्ट करते हुए लिखा कि,  रावण रथ में बैठा है और प्रभु श्री राम पैदल ही युद्ध कर रहे हैं तब भक्तराज विभीषण के आंखों में आंसू आ जाते हैं यह देखकर कि जो अधर्मी पापी रावण है वह रावण रथ में आकाश में चलने वाले पुष्पक विमान पर बैठा हुआ युद्ध कर रहा है और मेरे रामजी धर्म मार्गी होकर कष्ट झेल रहे हैं

          हमारे जीवन में भी  यह स्थिति आ जाती है, जब अत्याचार करने वाले पापी दुराचारी लोगों को हम आलीशान जीवन जीते देखते हैं और जो सत्य और धर्म पर चलते हैं वह गरीबी का जीवन जीते हैं ऐसा क्यों? क्योंकि ऐसा नहीं है कि जो संसार में हमें दिख रहा है वही सत्य है उस सत्य को जानने के लिए विवेक की आवश्यकता होती है, और यह  विवेक हमें सत्संग से प्राप्त होता है इसके लिए सत्संगी बनना आवश्यक हो जाता है यह वही सुख है जो संसार के सभी दुखों को झेलने की क्षमता मनुष्य में पैदा करता है अभाव में भी अभाव का भाव नही आने देता है 

             सत्संग परिचर्चा में ऋचा बहन ने प्रश्न किया कि गुस्सा क्यों आता है और इसे संतुलित किस प्रकार किया जाता है, बाबाजी ने बताया कि गुस्सा क्रोध का बहुत छोटा रूप है, गुस्सा ऐसा भाव है जो कभी कभी प्रेम में भी होता है, एक स्वच्छ हृदय बालक से लेकर वयोवृद्ध सभी इस भाव से परिपूर्ण है क्रोध  जो नास को आमंत्रण देता है और गुस्सा वह है जो अपने आप आता है तो चला भी जाता है गुस्सा जब आए तो उसका विपरीत सोचना चाहिए यही इसको नियंत्रित करने का आधार है

 इस प्रकार आज का आनंद दायक सत्संग पूर्ण हुआ

 जय गौ माता जय गोपाल जय सियाराम

खबरी टी डी मानिकपुरी