अपने गुरु के नाम का पहला पुरस्कार मिलने से मैं बहुत गौरवान्वित हूं- दुष्यंत हरमुख

संपादक आर के देवांगन

अपने गुरु के नाम का पहला पुरस्कार मिलने से मैं बहुत गौरवान्वित हूं- दुष्यंत हरमुख
अपने गुरु के नाम का पहला पुरस्कार मिलने से मैं बहुत गौरवान्वित हूं- दुष्यंत हरमुख

छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण में खुमान साव सम्मान के लिए प्रसिद्ध  बांसुरी वादक दुष्यंत हरमुख के नाम की घोषणा

बालोद। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण सम्मान की घोषणा कर दी गई है। छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के क्षेत्र में खुमान साव सम्मान प्रसिद्ध बांसुरी वादक, छत्तीसगढ़ी फिल्मों के संगीत निर्देशक अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दुष्यंत हरमुख को दिया जाएगा। नाम की घोषणा होते ही अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हुए दुष्यंत हरमुख ने कहा कि जिन्हें मैं जीवन भर गुरु माना उनके नाम के पुरस्कार की घोषणा मैं बहुत अभिभूत हूं। मैं इस सम्मान का हमेशा आदर रखूंगा।

बालोद जिले के ग्राम सकरौद निवासी बीएसपी कर्मी दुष्यंत हरमुख को संगीत के क्षेत्र में राज्य शासन द्वारा खुमान साव सम्मान से अलंकृत किया गया है। इस सम्मान की घोषणा पहली बार हुई है। सम्मान की खबर लगते ही क्षेत्र के कलाकारों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। दुष्यंत हरमुख की पहचान बांसुरी वादन के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कलाकार के रूप में है। 

इसके अलावा वे हारमोनियम में भी सिद्धहस्त हैं, खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय से सितार में डिग्री हासिल किए हुए हैं, वे उत्कृष्ट गायक भी हैं छत्तीसगढ़ी गीत
लेखन व गीतों का संगीत संयोजन मानो उनके रग रग में बसा है। 

लंबे समय से छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कला यात्रा से जुड़े होने के कारण उन्हें संगीत का बहुत अनुभव है।  हरमुख प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक संस्था रंग झरोखा के संस्थापक भी हैं। उनके निर्देशन में संस्था लगातार उत्तरोत्तर प्रगति कर रही है। दुष्यंत हरमुख अपनी संगीत व कला यात्रा के दौरान कई बार विदेश की भी यात्रा कर चुके हैं। देश के बड़े-बड़े कार्यक्रमों में भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। इस सम्मान की घोषणा के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए खुमान साव को याद कर वे बेहद भाउक हो गए।

जीवन भर याद रहेगा गुरु के नाम का पहला सम्मान

ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संगीत के क्षेत्र में खुमान साव सम्मान की घोषणा गत वर्ष की गई थी, लेकिन आचार संहिता के कारण किसी के नाम की घोषणा नहीं हुई थी। इसलिए इस वर्ष पहली बार उनके सामान के नाम की घोषणा की गई। प्रसिद्ध बांसुरी वादक दुष्यंत हरमुख को यह सम्मान दिया जाएगा।                          हरमुख ने कहा कि गुरु के नाम का यह पहला सम्मान वे जीवन भर संजोकर रखेंगे। उनके बताए मार्ग पर कला यात्रा को आगे बढ़ाते रहेंगे। संगीत में खुमान साव की बताई हुई बारीकियां वह हमेशा न केवल याद रखेंगे, बल्कि औरों को भी यह कला बांटते हुए चलेंगे। अनेक छत्तीसगढ़ी फिल्मों में कर चुके हैं संगीत निर्देशन

दुष्यंत हरमुख अनेक छत्तीसगढ़ी फिल्मों में संगीत निर्देशन दे चुके हैं। इनमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ी फीचर फिल्म माया देदे माया लेले, तोर मया के मारे, कारी, मया के बांटा, मया देदे मयारू, सजना मोर, बैरी के मया, अबढ़ मया करथों, मोर मन के मीत आदि फिल्मों में संगीत दे चुके दुष्यंत हरमुख इस बात को लेकर बड़े आश्वस्त हैं कि छत्तीसगढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहां के लोगों को प्रतिभा निखारने का मौका मिले तो निश्चित रूप से वह देश के बड़े कलाकारों में शुमार हो सकते हैं। अपनी कला यात्रा को वे स्वयं इसका उदाहरण बताते हैं। हरमुख का कहना है कि मुझ जैसे छोटे से कलाकार को इतना बड़ा सम्मान मिलने से निश्चित रूप से है।

छत्तीसगढ़ी कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे कलाकारों का उत्साह बढ़ेगा, उनका मनोबल भी बढ़ेगा। इस सामान के लिए उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन का आभार भी जताया।

खुमान साव से मिली संगीत की नई पहचान

छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक संस्था चंदैनी गोंदा, लोकरंग, कारी, गम्मतिहा, हरेली, रंग सरोवर, चिन्हारी आदि में बांसुरी वादन व गायन की प्रस्तुति दे चुके दुष्यंत हरमुख का कहना है कि छत्तीसगढ़ के महान संगीतकार महासिंह चंद्राकर और खुमान लाल साव का सानिध्य मिलने के बाद ही उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। इससे पहले वे छोटे-छोटे संस्थाओं में बांसुरी वादन करते थे लेकिन इनके संपर्क में आने के बाद सही मायने में उनकी संगीत यात्रा शुरू हुई, जो अब तक जारी है, जब भी कहीं आयोजन होता है तो मैं मन ही मन इन दोनों संगीतकारों को जरूर नमन करता हूं।

बड़े-बड़े कलाकारों के साथ कर चुके हैं संगति

दुष्यंत हरमुख देश के कई बड़े- बड़े कलाकारों के साथ संगति दे चुके हैं। सुगम संगीत क्षेत्र के प्रसिद्ध कलाकार अनूप जलोटा, उनके पिता पुरुषोत्तम दास जलोटा, अहमद हुसैन, मोहम्मद हुसैन, पंडित जगनाथ भट्ट, भिलाई के प्रसिद्ध भजन एवं गजल गायक प्रभंजय चतुर्वेदी, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता प्रेम चंद्राकर, स्वर कोकिला ममता चंद्राकर आदि के साथ अनेक बड़े आयोजनों में संगीत में अपना जलवा दिखा चुके दुष्यंत हरमुख का कहना है कि छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी कलाकारों से देश के सभी बड़े कलाकार प्रभावित हैं। 

छत्तीसगढ़ के बाहर जब भी कोई आयोजन होता है तो उसमें छत्तीसगढ़ी लोक कलाकारों को बहुत सम्मान मिलता।