लद्दाख में चीन के अड़ियल रुख के चलते सर्दियों में होता रहेगा दोनों देशों के सैनिकों का आमना-सामना!

लद्दाख में चीन के अड़ियल रुख के चलते सर्दियों में होता रहेगा दोनों देशों के सैनिकों का आमना-सामना!

गलवान घाटी में हुई झड़प के दौरान ही चीन की फौज 'पीपल्स लिबरेशन आर्मी' (पीएलए) ने पैंगोंग झील पर नजर टिका दी थी। झड़प के बाद भले ही ऐसी खबरें आती रहीं कि दोनों देशों के बीच सेना हटाने की रणनीति पर काम हो रहा है, लेकिन चीन ने समझौते के खिलाफ जाकर एलएसी के जिस हिस्से पर भी कदम रखा था, वहां साजो-सामान के साथ बड़े पैमाने पर सैनिक भी तैनात कर दिए।

 

इंटेलिजेंस के सूत्रों के अनुसार, अब पैंगोंग झील पर तनाव बढ़ता जा रहा है। यहां भी दोनों देशों के बीच गलवान जैसी झड़प हुई है। एलएसी पर करीब आठ से दस किलोमीटर के हिस्से में पीएलए ने भारतीय सैनिकों की गश्त रोकने का प्रयास किया था। हालांकि इस प्रयास को विफल कर दिया गया है। दक्षिण हिस्से पर चीन जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, उसे देखकर कहा जा सकता है कि सर्दियों के दौरान लद्दाख में दोनों देशों के सैनिकों के बीच आमना-सामना होता रहेगा।

बता दें कि गत जून माह में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे। बताया गया कि चीन के सैनिक भी बड़े पैमाने पर हताहत हुए हैं, लेकिन चीन की सरकार ने इस बाबत कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया।

 

इससे पहले जब कभी दोनों देशों के सैनिक आपस में टकराते थे तो अधिकारियों की मीटिंग में इसे सुलझाया जाता था। इस बार जून की घटना के बाद वह सब पूरी तरह बंद हो गया है। दोनों तरफ के सैनिक गुस्से से भरे हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि गलवान घाटी की झड़प के बाद जब ये बातें कही गई कि दोनों देशों के सैनिक पहले वाली स्थिति में आ रहे हैं तो चीन ने उसका पालन नहीं किया।

 

भारी मशीनरी और हथियारों के साथ चीन वहीं पर मौजूद रहा। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य ले.जन एसएल नरसिम्हन ने उस बाबत कहा था कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर गहरी नजर रखने की जरुरत है।

 

बीच-बीच में ऐसे इंटेलिजेंस इनपुट आते रहे हैं कि चीन अपनी मर्जी से एलएसी तैयार कर रहा है। इसी वजह से गलवान की घटना के बाद दोनों देशों के बीच पहले वाली स्थिति नहीं बन सकी। तब चीन पीछे नहीं हटा था, बल्कि उसने अपने कुछ सैनिक कम किए थे। अब वह पैंगोंग झील के इलाके में खुलकर सामने आ गया।

 

आईटीबीपी के पूर्व डीआईजी जेवीएस चौधरी जो कि लंबे समय तक इस इलाके में रहे हैं, बताते हैं कि चीन ने वहां बहुत तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है। चीन के पास तमाम बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं। चाहे हथियार हों या निर्माण कार्य में इस्तेमाल होने वाली भारी मशीनरी, वह बहुत कम समय में एलएसी तक पहुंचा दी जाती हैं। चीन ने सड़कों का जाल बिछा रखा है।

 

यही वजह है कि चीन पैंगोंग झील के दक्षिण भाग पर कब्जा जमाना चाहता है। वह अभी से नहीं, बल्कि जून माह से लेक के इस हिस्से पर नजर लगाए बैठा था। अब सर्दियों में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने आते रहेंगे, ऐसा संभव है, क्योंकि चीन अब किसी भी तरह की बैठक के नतीजे को नहीं मान रहा है।

 

पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक का कहना है कि अगर जल्द से जल्द दोनों देशों के बीच सीमा विवाद आपसी बातचीत से नहीं सुलझता है तो ऐसी हिंसक झड़प बढ़ जाएंगी। जब सैनिक आमने-सामने हों, टेंशन और गुस्से का माहौल हो, तो छोटी सी घटना भी बड़ा रूप ले सकती है।

 

चीन की पीएलए ने एलएसी के कई हिस्सों पर अपने सैनिक तैनात कर दिए गए हैं। वहां हल्का-फुल्का निर्माणकार्य भी शुरू किया गया है। डिफेंस स्ट्रक्चर्स और बंकर तो चीन ने पहले से ही बना रखे हैं। अगर पुरानी स्थिति बहाल नहीं होती है तो सर्दियों में दोनों देशों के बीच तनातनी जारी रह सकती है।