विश्व माहवारी दिवस विशेष लेख* महेन्द्र सिंह मरपच्ची*
ध्रुव जायसवाल
विश्व माहवारी दिवस विशेष लेख* *महेन्द्र सिंह मरपच्ची
एमसीबी/विश्व माहवारी दिवस हर साल 28 मई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और इस विषय पर जागरूकता बढ़ाना है। छत्तीसगढ़ में विशेषकर ग्रामीण और ट्राइबल क्षेत्रों में मासिक धर्म को लेकर कई प्रकार की सामाजिक धारणाएँ
आज भी हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य और उनके समाज में स्थान को लेकर आज भी प्रभावित करती हैं। छत्तीसगढ के साथ-साथ पूरे भारत में मासिक धर्म के प्रति अलग-अलग धारणाएं व्यापक रूप से रूढ़िवादी और संकोची है। अधिकतर लोग माहवारी विषय पर खुलकर बात नहीं
करते है, जिससे महिलाओं को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता उत्पादों की अनउपलब्धता और जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं को अस्वस्थ और अस्वच्छ तरीकों का सहारा लेना पड़ता है। जिससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ जाती हैं। मासिक धर्म को अशुद्ध मानने के पीछे कई सामाजिक, धार्मिक
धारणाएं भी हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही हैं। कई जगह मासिक धर्म को धार्मिक दृष्टिकोण से अशुद्ध माना जाता है। यह विश्वास किया जाता है कि मासिक धर्म के दौरान महिला का शरीर अपवित्र होता है, और इस समय उन्हें धार्मिक
गतिविधियां जैसे, खाना पकाना, पूजा-पाठ करने के अलावा कई चीजों पर भी बंदिश रहता है, ग्रामीण इलाकों के महिलाओं को 5 या 7 दिन तक काम न करने की सलाह दिया जाता है। अगर हम पुराने समय की बात करें तो मासिक धर्म का कारण अज्ञानता भी है, उस दौरान सभी समुदाय में स्वच्छता उत्पादों की कमी और उनके बारे में जानकारी का
अभाव बहुत ज्यादा होता था। इसलिए मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव को संभालने के लिए महिलाओं को अलग रखा जाता था ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण और स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जागरूकता कार्यक्रमों और सरकारी
प्रयासों के माध्यम से स्थिति में सुधार हो रहा है। विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। स्कूलों और समुदायों में शिक्षा कार्यक्रम
आयोजित किए जा रहे हैं, जिससे लड़कियों और महिलाओं को स्वस्थ और स्वच्छ मासिक धर्म प्रबंधन के बारे में जानकारी बहुत तेजी से मिल रही है। अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखे तो मासिक धर्म एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है और इससे जुड़ी किसी भी प्रकार की भ्रांतियों को दूर करना आवश्यक है। मासिक धर्म
स्वच्छता प्रबंधन के लिए सस्ते और सुलभ सैनिटरी उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही मासिक धर्म पर खुलकर बात करने के लिए समाज को प्रेरित करना चाहिए ताकि महिलाएं इस विषय पर संकोच न करें और उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है, नहीं तो कई प्रकार के बीमारी फैलने का समस्या भी रहता है?
जैसे:- डिसमेनोरिया, एंडोमेट्रियोसिस या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम, प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर, एंडोमेट्रियोसिस, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, पेल्विक
इंफ्लेमेटरी डिजीज, मेनोरेजिया, ओलिगोमेनोरिया और अमेनोरिया, योनि में संक्रमण जैसे बिमारी फैल सकता है। अगर मासिक धर्म के समय तेज दर्द, जकड़न या अधिक ब्लड जाये तो
चिकित्सकीय सलाह बहुत जरूरी होती है। महिलाएं मासिक धर्म के समय नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहे । यह विश्व महावारी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि मासिक धर्म को लेकर भ्रांतियों और रूढ़ियों को समाप्त करने के लिए
सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। विशेष रूप से ट्राइबल और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और स्वच्छता सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर हम एक स्वस्थ और समतामूलक समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।