न्याय की विरासत के साथ आगे बढ़ेगा छत्तीसगढ़ : भूपेश बघेल
न्याय की विरासत के साथ आगे बढ़ेगा छत्तीसगढ़ : भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में किया ध्वजारोहण गांधी जयंती से शुरू होंगे ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क‘: एक वर्ष में 300 पार्क की स्थापना का लक्ष्य जन्माष्टमी से ‘कृष्ण कुंज योजना‘ की होगी शुरूआत छत्तीसगढ़ में 5.03 लाख से अधिक वन अधिकार पत्र वितरित पेसा कानून से ग्राम सभाओं को मिलेगा जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला लेने का अधिकार आगामी शिक्षा सत्र से 422 स्कूलों में लागू होगी स्वामी आत्मानंद योजना
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के पावन और गौरवशाली अवसर पर राजधानी रायपुर के पुलिस परेड मैदान में ध्वजारोहण करने के बाद प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जनता के नाम अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ से फिर एक नया सफर शुरू होगा, जो न्याय की हमारी विरासत के साथ आगे बढ़ेगा और ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का लक्ष्य पूरा करेगा।
मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और अमर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि आजाद भारत के अमृत महोत्सव के मायने और मूल्यों को समझने के लिए हमें दो शताब्दियों की गुलामी को याद करना होगा। हमारे पुरखों ने अपनी जान दांव पर लगाकर, फिरंगी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। उनका त्याग और बलिदान देश की भावी पीढ़ियों का जीवन खुशहाल बनाने के लिए था। हमारा कर्त्तव्य है कि उनके सपनों को साकार करें और उनकी स्मृतियों को चिरस्थायी बनाएं।
अमर शहीदों को नमन
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि अमर शहीदों गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, रानी लक्ष्मीबाई, रानी अवंतिबाई लोधी जैसी हजारों विभूतियों की शहादत हमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान की प्रेरणा देती रहेगी। स्वतंत्रता संग्राम और आजाद भारत को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल-बाल-पाल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसी विभूतियों ने राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व दिया था। वहीं वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, डॉ. ई.राघवेन्द्र राव, क्रांतिकुमार, बैरिस्टर छेदीलाल, लोचन प्रसाद पाण्डेय, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणीबाई परगनिहा, केकतीबाई बघेल, श्रीमती बेलाबाई, इंदरू केंवट, उदय राम वर्मा, खिलावन बघेल, घसिया मंडल जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने राष्ट्रीय आंदोलन में छत्तीसगढ़ की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की थी, मैं इन सभी को सादर नमन करता हूं। देश की एकता और अखण्डता, संविधान व लोकतंत्र के प्रति आस्था को बचाए रखना एक चुनौती थी और इसके लिए भी हमारे देश की सेनाओं व सुरक्षा बलों के जवानों ने शहादत दी है। मैं उन अमर शहीदों को भी सादर नमन करता हूं।
प्रकृति-सम्मत विकास की राह पर आगे बढ़ा छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आखिरी वसीयतनामे का उल्लेख करते हुए कहा था-‘भारत ने राजनीतिक स्वतंत्रता तो प्राप्त कर ली है, लेकिन उसे अभी शहरों और कस्बों से भिन्न अपने सात लाख गांवों के लिए सामाजिक, आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना बाकी है’। आज देश के सामने अनेक चुनौतियां हैं। कृषि व वन भूमि का कम होना, पर्यावरण असंतुलन, प्रदूषण, बीमारियों, महंगाई, बेरोजगारी आदि से लोगों का जीवन संकटमय हुआ है। हमने पुरखों की सीख और माटी की संस्कृति का सम्मान करते हुए कृषि तथा वन उत्पादों, परंपरागत ज्ञान, आधुनिक साधनों व रणनीतियों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का रास्ता चुना। मुझे गर्व है कि हम आजादी की 75वीं सालगिरह के अवसर पर देश और दुनिया के सामने, बापू के सिद्धांतों और विचारों के अनुरूप कार्य करने में सफल हुए हैं। इसमें प्रकृति-सम्मत विकास, हर व्यक्ति को गरिमा, न्याय व बराबरी के अवसर देने वाली योजनाएं और कार्यक्रम शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने न्याय योजनाओं की जो पहल की थी, उसे निरंतर आगे बढ़ाने के लिए भी संकल्पबद्ध हैं। यही वजह है कि ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इससे लगभग 13 हजार करोड़ रुपए की राशि किसानों को दी जा चुकी है। इस तरह एक सीज़न में किसानों को प्रति एकड़ 9 हजार रुपए की आदान सहायता देने वाला देश का पहला राज्य हमारा छत्तीसगढ़ है। ‘गोधन न्याय योजना’ भी तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, इसके अंतर्गत अब-तक गोबर विक्रेताओं, गौठान समितियों तथा स्व-सहायता समूहों को 312 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। देश में रासायनिक खाद की कमी और मूल्य वृद्धि के परिदृश्य में हमारे गौठानों में निर्मित जैविक खाद, अब एक बेहतर विकल्प बन रही है। किसानों की सिंचाई कर माफी की पहल में भी विस्तार किया गया है और 17 लाख से अधिक किसानों के 342 करोड़ रुपए की राशि माफ की जा चुकी है। किसानों को 4 वर्ष पहले मात्र 3 हजार 692 करोड़ रुपए कृषि ऋण के रूप में प्राप्त हुआ था। हमने इस वर्ष लक्ष्य बढ़ाकर 6 हजार 500 करोड़ रुपए कर दिया है, जिससे लगभग 75 प्रतिशत अधिक राशि ब्याजमुक्त ऋण के रूप में कृषि क्षेत्र में आएगी। ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ अपने दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इसके तहत अब-तक पात्र हितग्राहियों को 213 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है।
प्रदेश में 35 हजार से अधिक कृषि पंपों का ऊर्जीकरण
मुख्यमंत्री ने कहा कि 31 जनवरी 2021 तक लंबित कृषि पंपों के ऊर्जीकरण की घोषणा के अनुरूप हमने 35 हजार 151 कृषि पंपों को ऊर्जित करते हुए एक नया कीर्तिमान बना लिया है। अब 20 हजार 550 नए पंप कनेक्शनों का कार्य 31 मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
छत्तीसगढ़ में खेती बनीं लाभ का जरिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने खेती को लाभ का जरिया बनाने का वादा भी निभाया है। लगातार बढ़ते हुए, इस वर्ष धान खरीदी 98 लाख मीटरिक टन के सर्वोच्च शिखर पर पहंुची है, जो 4 वर्ष पूर्व मात्र 57 लाख मीटरिक टन थी। धान बेचने वाले किसानों की संख्या भी अब बढ़कर 21 लाख 77 हजार से अधिक हो गई है, जो पहले मात्र 12 लाख 6 हजार थी। इस तरह हमारे प्रयासों से धान बेचने वाले किसानों की संख्या 9 लाख 71 हजार बढ़ी है। प्रदेश में धान के अलावा अन्य अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के भी अनेक उपाय किए गए हैं, जिसके कारण अनाज उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ न सिर्फ स्वावलम्बी हुआ है बल्कि प्रदेश में कुल आवश्यकता का 270 प्रतिशत अधिक अनाज उत्पादन हुआ है। फसल विविधीकरण की गति बढ़ाने के लिए ‘टी-कॉफी बोर्ड’ का गठन किया गया है। दलहन-तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए हमने बहुत से कदम उठाए हैं। इस वर्ष से दलहन फसलों की खरीदी भी समर्थन मूल्य पर की जाएगी। खरीफ 2021 में धान के बदले 17 हजार 539 एकड़ क्षेत्र में दलहन, तिलहन एवं 240 एकड़ में वृक्षारोपण किया गया है। रबी 2021-22 में ग्रीष्मकालीन धान का रकबा 95 हजार हेक्टेयर कम करते हुए 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का एवं शेष रकबे में दलहन, तिलहन, साग-सब्जी की फसलें लगाई गई हैं। खरीफ 2022 में धान के 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को दलहन-तिलहन एवं अन्य उद्यानिकी फसलों से प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
लघु धान्य फसलों को प्रोत्साहन
प्रदेश में लघु धान्य फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ का गठन किया गया है। कोदो, कुटकी, रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर इनकी खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ है।
नरवा योजना: भू-जल स्तर में 30 प्रतिशत तक वृद्धि
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘सुराजी गांव योजना’ से छत्तीसगढ़ को स्वावलंबी ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनाने, भू-जल संरक्षण व रिचार्जिंग को बढ़ाने और कृषि भूमि को जहरीले रसायनों से मुक्ति दिलाते हुए जैविक खेती में मदद मिल रही है। ‘नरवा योजना’ से विभिन्न नालों में 99 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिससे उपचारित क्षेत्र में भू-जल स्तर में 30 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है, वहीं नालों में पानी की उपलब्धता भी दो माह अधिक रहने लगी है। ‘गरुवा योजना’ में पहले हमने गौठानों के विकास पर जोर दिया। अब-तक 8 हजार 408 गौठानों को विकसित किया जा चुका है, जो ‘रोका-छेका अभियान’ के साथ आर्थिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र बने हैं। गोबर से बिजली बनाने के लिए ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर’ के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने हेतु एमओयू किया गया है। गोबर से ऑयल पेंट तथा अन्य उत्पाद बनाने की दिशा में भी बहुआयामी पहल की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों को आजीविका-केन्द्र के रूप में विकसित करने हेतु हम ‘ग्रामीण आजीविका पार्क’ अर्थात ‘रूरल इंडस्ट्रियल पार्क’ प्रारम्भ करने जा रहे हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों के लिए आजीविका के माध्यम से अतिरिक्त आय के साधन बनाना है। गांधी जयंती अर्थात 2 अक्टूबर 2022 के अवसर पर इसका शुभारम्भ किया जाएगा और प्रथम वर्ष में 300 ऐसे पार्क स्थापित कर दिए जाएंगे। अब एक कदम और आगे बढ़ाते हुए हमने 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गौ-मूत्र खरीदी की योजना भी शुरू कर दी है, जो ‘रासायनिक पेस्टिसाइड्स’ के मुकाबले एक बेहतर विकल्प है। ‘बाड़ी योजना’ अंतर्गत प्रति गौठान एक से डेढ़ एकड़ तक भूमि चिन्हांकित की गई है और अभी तक 3 लाख से अधिक बाड़ियां विकसित की जा चुकी हैं। राज्य के बम्पर धान उत्पादन को किसानों की शक्ति बनाने के लिए हमने राज्य की जरूरतें पूरी होने के बाद, शेष धान से ‘बायो एथेनाल’ के उत्पादन की योजना बनाई है और 27 निवेशकों के साथ एमओयू भी किया है। विकासखण्डों में फूडपार्क बनाने की योजना के तहत अभी तक 112 स्थानों पर भूमि चिन्हांकित की जा चुकी है और इनमें से 52 विकासखण्डों में लगभग 621 हेक्टेयर भूमि का हस्तांतरण उद्योग विभाग को किया गया है। परम्परागत कौशल के वैल्यू-एडीशन के लिए हमने ‘सी-मार्ट’ की स्थापना का वादा भी निभाया है। इससे बुनकरों, कारीगरों, शिल्पकारों तथा स्व-सहायता समूहों के स्थानीय उत्पादों की बिक्री हेतु उचित बाजार मिलेगा।
मनरेगा में 2,709 अमृत सरोवर निर्मित श्री बघेल ने अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा कि ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ को हम ग्रामीण अंचलों में मजदूरी से जीवन-यापन करने वाले परिवारों की जीवन रेखा मानते हैं। मुझे खुशी है कि वर्ष 2021-22 में हमने ‘लेबर बजट’ के विरूद्ध मांग के आधार पर लक्ष्य से 108 प्रतिशत अधिक मानव दिवस रोजगार सृजित किए। मनरेगा से हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर निर्मित करने का लक्ष्य था, हमने उससे अधिक 2 हजार 709 अमृत सरोवर निर्मित किए। गौठानों के निकट मछली पालन के 1 हजार 859 तालाब स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें से 1 हजार 318 पूर्ण कर लिए गए हैं। मैंने मनरेगा को शहरी क्षेत्रों के लिए भी लागू करने का अनुरोध भारत सरकार से किया है।
सभी वर्गाें को न्याय
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने श्रमिकों को न्याय दिलाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं। आदिवासियों को विभिन्न तरीकों से न्याय देने के उपाय किए गए हैं। अदालतों में लंबित विभिन्न प्रकार के 1 हजार 275 प्रकरण वापस होने से उनकी सम्मानजनक रिहाई तथा घर वापसी हुई है। निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा करते हुए ऐसे मामलों में आदिवासियों तथा अन्य परंपरागत वन निवासियों को उनकी काबिज भूमि के अधिकार देने का वादा हमने निभाया है। ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण योजना’ का लाभ 3 हजार से अधिक हितग्राहियों को, ‘मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक निःशुल्क कार्ड योजना’ का लाभ 88 हजार से अधिक हितग्राहियों को मिला है। ‘मुख्यमंत्री सियान श्रमिक योजना’ के तहत निर्माण श्रमिकों को पात्रता अनुसार 10 हजार रुपए, श्रम कल्याण मंडल में पंजीकृत श्रमिक परिवारों के बच्चों को शैक्षणिक छात्रवृत्ति के रूप में 30 हजार रुपए तक राशि, ‘मेधावी शिक्षा पुरस्कार योजना’ के तहत 1 लाख रुपए तक की राशि, ‘खेलकूद प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत 1 लाख 50 हजार रुपए तक की राशि देने का प्रावधान किया गया है।
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