बहन महारानी यमुना एवं भाई धर्मराज यमराज के पवित्र प्रेम का साक्षी पर्व है भाई दूज पर्व,, श्री राम बालक दास जी

बहन महारानी यमुना एवं भाई धर्मराज यमराज के पवित्र प्रेम का साक्षी पर्व है भाई दूज पर्व,, श्री राम बालक दास जी

बहन महारानी यमुना एवं भाई धर्मराज यमराज के पवित्र प्रेम का साक्षी पर्व है भाई दूज पर्व,, श्री राम बालक दास जी

 

बहन महारानी यमुना एवं भाई धर्मराज यमराज के पवित्र प्रेम का साक्षी पर्व है भाई दूज पर्व,,
श्री राम बालक दास जी 

छत्तीसगढ़/डौंडीलोहारा:- ठाकुर राम साहू जी और प्रेमचंद जी ने जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से प्रश्न किया कि यह भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, बाबा जी ने बताया कि आज का पर्व भैया दूज भाई दूज और यमदूज के रूप में मनाया जाता है, यह त्यौहार बहन यमुना जी एवं भाई यमराज जी के भाई बहन के अद्वितीय प्रेम के रूप में मनाया जाता है, बचपन से ही यम और यमुना में बहुत अधिक प्रेम था यमराज जी जन्म से काले और यमुना जी सांवली थी इसीलिए परिवार में उन्हें इतना प्रेम भाव नहीं मिल पाता था तो दोनों ही एक दूसरे इस कमी को पूरा कर लिया करते थे इस तरह से समय बीतता गया और यम और यमुना जी का विदाई का समय आ गया और यमुना जी ब्रज को सींचने के लिए धरती पर नदी रूप में अवतरित हो गई 

यमराज जी को अपने बहन यमुना के घर जाने का समय नहीं मिल पाता था तो यमुना जी अपने भाई से नाराज रहा करती थी एक समय जमुना जी की विनती पर यमराज जी उनके घर पधारे तब यमुना जी बहुत अधिक प्रसन्न हुई उन्हें अर्ध पद्मासन देकर उनका स्वागत किया और उनकी पूजा अर्चना करके उन्हें तिलक लगाया तब यमराज जी ने उन्हें वरदान मांगने को कहा तो बहन यमुना जी ने कहा कि आज का यह दिन सभी बहनों के लिए त्योहार हो और आप हर साल इस दिन मेरे घर आए और जो भी बहन आज के दिन अपने भाई का तिलक करें उसे यम पास का भय ना हो यमराज जी प्रसन्न होकर अपनी बहन को तथास्तु कहते हैं इस प्रकार से यह कथा आती है
                  पुरषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की भागमभाग भरी इस जिंदगी में भाईदूज पर्व भाई और बहन का एक दूसरे के प्रति  कर्तव्य और दायित्व का क्या संदेश देता है कृपया प्रकाश डालें, 
बाबा जी ने बताया कि आज हम अपनी जिंदगी में बहुत अधिक व्यस्त हो चुके हैं, लेकिन हिंदू धर्म के यह पर्व त्यौहार ही हैं जो हमें अपने परिवार से जोड़ कर रखते हैं चाहे दीपावली हो या होली हो हमें निश्चय कर लेना चाहिए कि हम कुछ समय अपने परिवार के लिए ही व्यतीत करेंगे, समय जो हमारे अपनों के लिए तो हो ही और साथ ही जिनका कोई नहीं है उनके लिए भी हमें त्योहारों पर समय निकालना चाहिए जिससे त्यौहार की धार्मिकता सार्थक हो सके

Narendra vishwakarma