सांसद संग सैकड़ो लोगों ने देखी मेरी माँ कर्मा। पहले माँ कर्मा की पूजा अर्चना की, आरती गीत गाकर पूजा किए और फिर पहले दिन पहला शो देखे

आर के देवांगन

सांसद संग सैकड़ो लोगों ने देखी  मेरी माँ कर्मा।   पहले माँ कर्मा की पूजा अर्चना की, आरती गीत गाकर पूजा किए और फिर पहले दिन पहला शो देखे
सांसद संग सैकड़ो लोगों ने देखी  मेरी माँ कर्मा।   पहले माँ कर्मा की पूजा अर्चना की, आरती गीत गाकर पूजा किए और फिर पहले दिन पहला शो देखे

सांसद संग सैकड़ो लोगों ने देखी मेरी माँ कर्मा। पहले माँ कर्मा की पूजा अर्चना की, आरती गीत गाकर पूजा किए और फिर पहले दिन पहला शो देखे

भिलाई। माता कर्मा भक्त शिरोमणी सेवा, त्याग, भक्ति समर्पण की देवी हैं। माँ कर्मा के जीवन पर पॉपकॉर्न फ़िल्म प्रोडक्शन ने छत्तीसगढ़ी फ़िल्म बनाई है। आज माँ कर्मा की जयंती पर पूरे प्रदेश भर में फ़िल्म प्रसारित की गई है। माँ कर्मा के भक्त सांसद विजय बघेल ने सैकड़ो भक्तों के संग पहले दिन पहला शो देखने पहुंचे। शुक्रवार की सुबह 11.30 बजे भिलाई के चंद्रा टाकीज पहुंचे।

जहां भक्त माता कर्मा के भक्तों ने सांसद विजय बघेल का बैंड बाजा के साथ जमकर स्वागत किया। पुष्प वर्षा करके भव्य स्वागत किया गया। इसके बाद सांसद विजय बघेल टाकीज में प्रवेश किया। जहाँ सबसे पहले माता कर्मा की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित की गई। सांसद विजय बघेल ने पुष्प अर्पित किए और फिर सभी ने भक्ति गीत गा कर माता की आरती उतारे सब मिलकर माता की पूजा अर्चना किए।

इसके बाद माता की जय जय कराकर के साथ सांसद विजय बघेल के करकमलों से रिबन काट कर फ़िल्म का उदघाटन किया गया। इसके बाद सभी ने सांसद के साथ बैठ कर फ़िल्म देखे। पूरा टाकीज पहले ही दिन पहले शो में फूल हो गया।

इस अवसर पर सांसद विजय बघेल ने सभी भक्तों को सम्बोधित करते हुए कहा कि परम् श्रदेध्य आराध्य साध्वी भक्ति शिरोमणी मां कर्मादेवी देश-विदेश में सर्व साहू तेली समाज की आराध्य देवी है। लेकिन माता की आराधना हम सभी करते है। वे हम सब की माता है।

माँ कर्माबाई की गौरव गाथा जन-जन के मानस में श्रद्धा भक्ति के भाव से विगत हजारों वर्षो से चली आ रही है।

इनका जन्म:- संवत् 1073 सन 1017ई0 में पाप मोचनी एकादशी पर हुआ था। मां कर्मा देवी की जयंती आज 5 अप्रैल, शुक्रवार को हो है। यह हम सब के लिए सौभाग्य की बात है कि हम सब यहाँ एकजुट होकर माता की पूजा अर्चना कर रहे है। एक साथ बैठ कर उनके जीवन पर बनी फिल्म देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

कर्मा देवी जगन्नाथपुरी में समुद्र के किनारे ही रहकर बहुत समय तक अपने आराध्य बालकृष्ण को खिचड़ी का भोग अपने हांथों से खिलाती रहीं और उनकी बाल लीलाओं का आनन्द साक्षात मां यशोदा की तरह लेती रहीं।

अतीत में उनकी पावन गाथा तथा उसने सम्बन्धित लोकगीत और किंवदतिया इस बात के प्रमाण है कि मां कर्मा देवी कोई काल्पनिक पात्र नहीं है। मां कर्मादेवी का जन्म उत्तर प्रदेश के झांसी नगर में चैत्र कृष्ण पक्ष के पाप मोचनी एकादशी संवत् 1073 सन् 1017ई0 को प्रसिद्धव व्यापारी श्री राम साहू जी के घर में हुआ था। मां कर्मादेवी बाथरी वंश की थी।

श्री राम साहू की बेटी कर्मादेवी से साहू समाज का वंश और छोटी बेटी धर्माबाई से राठौर समाज का वंश चला आ रहा है। इसलिए साहू और राठौर दोनों तैलिकवंशीय समुदाय के वैश्य समाज है।

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