बकाया डीए डीआर व एरियर पर कर्मचारी संघों की चुप्पी से कर्मचारियों और पेंशनरों में बेचैनी
आर के देवांगन

बकाया डीए डीआर व एरियर पर कर्मचारी संघों की चुप्पी से कर्मचारियों और पेंशनरों में बेचैनी
छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के पूर्व प्रवक्ता, भारतीय मजदूर संघ छत्तीसगढ़ पूर्व जिला मंत्री कर्मचारी नेता वीरेन्द्र नामदेव ने राज्य में केन्द्र के समान केन्द्र के देय तिथि से एरियर सहित बकाया डीए डीआर को लेकर प्रदेश सरकार के उपेक्षात्मक रवैये पर प्रदेश में कर्मचारी संगठनों की चुप्पी को आश्चर्यजनक बताया है और इसके कारण प्रदेश के कर्मचारियो और पेंशनरों के साथ साथ संपूर्ण कर्मचारी जगत में बेचैनी व्याप्त है। अनेक पूर्व कर्मचारी नेताओं ने संप्रति कर्मचारी संगठन के प्रमुख नेताओं को नसीहत दिया है कि वे अपने सभी गिले शिकवे, मनभेद, मतभेद को भूलकर एकजुट होकर सरकार को विधानसभा चुनाव के दौरान "मोदी के गारंटी" के तहत किए वादे को याद दिला कर जबरदस्त आंदोलन का शंखनाद करें ताकि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को मध्यप्रदेश और अन्य भाजपा राज्यों की भांति कर्मचारियों और पेंशनरों को एरियर सहित डीए डीआर देने हेतु सहर्ष तैयार होने के लिए बाध्य हो जाए।
जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि मध्यप्रदेश में अप्रैल 25 में मोहन यादव सरकार ने राज्य कर्मचारियों के डीए में 5 फीसदी ( जुलाई 2024 से 3% और जनवरी 2025 से 2%) की वृद्धि की थी जिसके बाद डीए 55 फीसदी पहुंच गया है।नई दरें 1 जुलाई 2024 से लागू होंगी, ऐसे में जुलाई से मार्च तक एरियर भी मिलेगा। 9 महीने के एरियर का भुगतान जून से अक्टूबर 2025 के बीच 5 समान किस्तों में किया जाएगा। इसका लाभ प्रदेश के 7.50 लाख अधिकारियों कर्मचारियों को होगा। परंतु वहां के पेंशनरों को भी बिना एरियर केवल 53% डीआर ही मिलेगा क्योंकि उनका कहना है कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49(6) के तहत छत्तीसगढ़ सरकार इससे अधिक के लिए तैयार नहीं है। छत्तीसगढ़ में भी मार्च 25 से पेंशनर 53% डी आर ले रहे है। दोनों राज्यों के पेंशनर 8 महीने के एरियर से वंचित कर दिए गए हैं।
वही छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय सरकार ने पेंशनरों को छोड़कर सभी कर्मचारियों के लिए मार्च 2025 से 3 फीसदी डीआर का लाभ देने का आदेश जारी किया था जिसमें केवल 1 माह मार्च 25 का ही एरियर का भुगतान करने का उल्लेख किया गया है जबकि इसे केन्द्र के समान जुलाई 24 से भुगतान करने का आदेश किया जाना था,परंतु कर्मचारी संगठनों ने पूर्व की भांति एरियर के मामले में चुप्पी साधे रहे। केवल शासन प्रशासन को पत्र लिखकर अखबारों में समाचार विज्ञप्ति जारी कर शांत हो गए और सरकार से जनवरी 25 से बकाया 2% डीए लेने पर भी आज तक शांत बने हुए हैं। कर्मचारियों के प्रतिनिधि संगठन के रूप में धड़ों में बटे संघों की वास्तविकता से सरकार अनजान नहीं हैं इसलिए सरकार कर्मचारी संगठनों को विश्वास में लिए बगैर हर निर्णय अपनी मर्जी ले रही है। हम सब लाचार असहाय मूक दर्शक बने हुए हैं जो सचमुच में कर्मचारी जगत के लिए दुखद शोचनीय स्थिति है।
जारी विज्ञप्ति में पूर्व कर्मचारी नेता छत्तीसगढ़ राज्य कर्मचारी संघ के पूर्व प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव, प्रदेश महामंत्री पूरन सिंह पटेल, मंत्रालय संचालनालय संयुक्त कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष जे पी मिश्रा, डिप्लोमा अभियंता संघ के पूर्व वित्त मंत्री अनिल गोलहानी, प्रवीण त्रिवेदी, अनिल पाठक , बी एस दसमेर, आर जी बोहरे,बी एल यादव, हरेंद्र चंद्राकर, आर के दीक्षित,सी एल चंद्रवंशी, नरसिंग राम , ओ डी शर्मा, नागेन्द्र सिंह आदि ने विभिन्न संगठनों के प्रमुख नेताओं से अनुरोध किया है कि इसे नसीहत न समझे, यह बात किसी संघ संगठन को इंगित करके नहीं है,हमारे इस व्यक्तव्य से नाराज न हो और इसे बुजुर्गो की सलाह और सीख मानकर एकजुट होकर केवल महंगाई भत्ता को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य के कर्मचारी साथियों के विश्वास पर खरा उतरने के लिए एक प्रयास तो करे अन्यथा वह दिन दूर जब प्रदेश के कर्मचारी हमसे आपसे दूर होने पर सोचने लगे। अभी भी मौका है आसमान पर एक पत्थर जरा जोर से उछाल कर मारो तो साथियों। लक्ष्य पूरा जरूर होगा। देश के हित में करेंगे काम के लेंगे पूरे दाम के नारे हकीकत में बदल जाएंगे। लेकिन इसके लिए ईमानदारी के साथ त्याग, तपस्या और बलिदान की भावना से काम करने की जरूरत पर बल दिया है।
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