युक्तियुक्तकरण की सकारात्मक पहल से शासकीय हाईस्कूल तरौद में बेहतर शिक्षा हेतु जगी नई उम्मीद

आर के देवांगन

युक्तियुक्तकरण की सकारात्मक पहल से शासकीय हाईस्कूल तरौद में बेहतर शिक्षा हेतु जगी नई उम्मीद

युक्तियुक्तकरण की सकारात्मक पहल से शासकीय हाईस्कूल तरौद में बेहतर शिक्षा हेतु जगी नई उम्मीद

एकल शिक्षक होने से पढ़ाई में होती थी समस्या, अब युक्तियुक्तकरण होने से विभिन्न विषयों के 04 नए शिक्षकों की हुई पदस्थापना

छत्तीसगढ़:बालोद ।जिले के बालोद विकासखण्ड के ग्राम तरौद में स्थित शासकीय हाईस्कूल विगत 02 सालों से शिक्षकों की कमी से जूझ रहा था। इस स्कूल में लगभग 60 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं, लेकिन स्कूल में केवल एक ही शिक्षक की पदस्थापना होने के कारण बच्चों को पढ़ाई में कई समस्याएं आ रही थी। एकमात्र शिक्षक के भरोसे स्कूल चलाना न केवल बच्चों के भविष्य के लिए हानिकारक था, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा था। लेकिन अब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सुशासन में युक्तियुक्तकरण की पहल ने इस स्कूल में बेहतर शिक्षा हेतु एक नई उम्मीद की किरण जगाई है। हाल ही में इस स्कूल में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के तहत विभिन्न विषयों के चार नए शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। जिससे न केवल स्कूल में पढ़ाई के स्तर में सुधार होगा, बल्कि इससे स्कूली विद्यार्थियों, पालकों, ग्रामीणों और स्कूल समिति के सदस्यों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है। छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को तेजी से पूरा कराया है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में शिक्षकों की कमी और संसाधनों के असमान वितरण की समस्या को दूर करना है। ग्राम तरौद के शासकीय हाईस्कूल इसका एक जीवंत उदाहरण है। पहले जहां एक शिक्षक को सभी कक्षाओं और विषयों को पढ़ाने की जिम्मेदारी थी, वहीं अब चार शिक्षकों की नियुक्ति से न केवल शिक्षण कार्य में सहजता आई है, बल्कि बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी। इस बदलाव से यहाँ पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पालक, ग्राम पंचायत के पदाधिकारी सहित स्कूल की जनभागिदारी समिति के सदस्य बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने युक्तियुक्तकरण की इस पहल को शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम बताया है। सरपंच  धर्मेंद्र कुमार रामटेके ने कहा कि पहले स्कूल में एक ही शिक्षक होने के कारण बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही थी। हमें अन्य स्कूलों से शिक्षक संलग्न कराने शिक्षा विभाग से सम्पर्क करना पड़ता था, गांव के ही पढ़े लिखे युवाओं को शिक्षक के रूप में जिम्मेदारी निभानी पड़ती थी। कई बार हमें डर लगता था कि हमारे बच्चों का भविष्य अंधेरे में न चला जाए। लेकिन अब चार शिक्षकों की नियुक्ति से स्कूल में नई जान आ गई है। इसके लिए हम मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय  के आभारी हैं। इसी तरह, स्कूल की जनभागिदारी समिति की अध्यक्ष  महेश्वरी ठाकुर ने कहा कि शिक्षा बच्चों का मूल अधिकार है, और इस अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए शासन की यह पहल सराहनीय है। अब हमारे स्कूल में विभिन्न विषय के लिए शिक्षक उपलब्ध हैं, जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलेगी। हम शासन का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने हमारे गांव के बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता दी है। ग्रामीण  मलखम राणा ने भी अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे गांव के बच्चे अब बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि शासन ने स्कूलों की समस्याओं को समझा और युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया तुरंत करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अनुठी पहल की है। युक्तियुक्तकरण की यह प्रक्रिया केवल ग्राम तरौद तक सीमित नहीं है। जिले के विभिन्न स्कूलों में इस पहल के तहत शिक्षकों की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने स्वयं इस बात पर जोर दिया है कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षकों और संसाधनों का संतुलित वितरण अत्यंत आवश्यक है। इस असमानता को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को तेजी से लागू किया जा रहा है। ग्राम तरौद के शासकीय हाईस्कूल में चार शिक्षकों की नियुक्ति से जहां एक ओर बच्चों की पढ़ाई में सुधार होगा, वहीं दूसरी ओर स्कूल के समग्र विकास की भी संभावनाएं बढ़ी हैं। ग्रामीणों का मानना है कि अब उनके बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर अपने सपनों को साकार कर सकेंगे। साथ ही, वे उम्मीद करते हैं कि भविष्य में स्कूल में अन्य सुविधाओं जैसे कि लाइब्रेरी, खेल का मैदान और बेहतर बुनियादी ढांचे की भी व्यवस्था की जाएगी, ताकि बच्चे हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकें। मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय के नेतृत्व में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया ने ग्राम तरौद के शासकीय हाईस्कूल में एक सकारात्मक बदलाव लाया है। यह पहल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति जागरूकता और विश्वास को भी मजबूत करेगी। ग्रामीणों और स्कूल समिति के सदस्यों का उत्साह इस बात का प्रमाण है कि शासन की यह पहल जनता के हित में है।


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