छत्तीसगढ़  प्रान्त में बन रहा करोड़ो की लागत से माँ कौशल्या की जन्मभूमि मन्दिर तीर्थ ,,लोग 1000 प्रतिवर्ष देने का संकल्प करके सदस्यता ले रहे है,,

छत्तीसगढ़  प्रान्त में बन रहा करोड़ो की लागत से माँ कौशल्या की जन्मभूमि मन्दिर तीर्थ ,,लोग 1000 प्रतिवर्ष देने का संकल्प करके सदस्यता ले रहे है,,

संत राम बालक दास जी का ऑनलाइन सत्संग भक्त जनों की जिज्ञासाओं का समाधान केंद्र तो बना हुआ है साथ ही धार्मिक चेतना का अद्भुत समागम भी है, छत्तीसगढ़ की महान जन्म भूमि पर जन्म लिए माता कौशल्या का विश्व मे एकमात्र मंदिर जो कि पाटेश्वर धाम बालोद जिला में निर्मित हो रहा है उसमें सभी भक्तगण बढ़-चढ़कर अपने संकल्प के साथ जुड  रहे हैं जिसमें प्रति वर्ष  1000 रु मात्र का योगदान  देने का संकल्प सबके द्वारा लिया जा रहा है

 बाबा जी द्वारा आयोजित ऑनलाइन सत्संग में आज पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की    बाबाजी, मंदिरों देवालयों में घण्टा, घड़ियाल, शंख बजाने के महत्व पर कृपया प्रकाश डालने की कृपा करें।,

बाबा जी ने बताया कि हमारे जीवन में हर ध्वनि का अलग ही महत्व है कहते हैं ना हर स्वर में ईश्वर का निवास है, हमारे प्राण तंत्र कर्म तंत्र ज्ञानेद्रीय और हमारे शरीर के समस्त 32 तंत्र स्वर पर ही आधारित है और इसीलिए हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने शोध करके एक ऐसा स्व तंत्र बनाया जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रह सकें जैसे घंटी बजाना शंख बजाना यह हमारे स्वास्थ  के लिए आवश्यक है ऐसा नहीं है कि घंटी बजा कर हम भगवान को बताते है  कि हम आ गये है , बल्कि  यह हमारे धार्मिक चेतना का जागरण है जब हम मंदिर आदि में प्रवेश करते हैं तो भगवान के समक्ष घंटा घड़ियाल संख आदि बजाते हैं ताकि हमारे मन मंदिर में यह चेतन निर्मित हो कि हम भगवान की शरण में आ चुके हैं, और हमारे मन में जो नकारात्मक सोच है बुरी चेतना है उसका प्रभाव घंटी बजाने से दूर हो जाता है ,भगवान को भोग लगाते हैं, संध्या काल को दिया लगाते हैं या सुबह आरती के समय शंख घड़ियाल घंटे का वादन किया जाता है ताकि हमारे मन में उत्पन्न होने वाले दुष्प्रभाव को दूर किया जा सके और घंटे की नाद से घर में होने वाले नकारात्मक प्रभावों दूर होता है, घंटी शंखनाद की ध्वनि आपके मन को इधर-उधर नहीं भटका कर  मन को एकाग्र चित्त करती है घर में आने वाली हलचल और नकारात्मक ऊर्जा को यह दूर करती है ताकि आप ईश्वर के समक्ष खड़े होकर पूर्ण समर्पित हो जाए शंख का प्रयोग हर घर में कीया जाता है हम प्राचीन समय से ही देख रहे हैं कि शंखनाद को किसी भी शुभ कार्य में बजाया ही जाता है शंख युद्ध स्थल में युद्ध प्रारंभ के समय भी बजाया जाता  था ताकि वहां पर होने वाली अराजकता का प्रभाव कम से कम हो इसीलिए हर घर में कोई भी अराजकता या अपराधी प्रवृत्ति को कम करने के लिए यह शंख ध्वनि को  किया जाता है, इस तरह से हमारे धार्मिक ध्वनियो नादो का हमारे दैनिक जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव होता है, शंख को बजाने से शरीर तंत्र भी चुस्त-दुरुस्त रहता है, शंख बजाने से ह्रदय संबंधी रोगों से भी बहुत लाभ होता है

रिपोर्ट//नरेन्द्र विश्वकर्मा