समाज का जन्मदिन हास्यास्पद, समाज के प्रवाह के साथ छेड़छाड़ और घोर अवमूल्यन है : महेंद्र साहू
समाज का जन्मदिन हास्यास्पद, समाज के प्रवाह के साथ छेड़छाड़ और घोर अवमूल्यन है : महेंद्र साहू
किसी भी धार्मिक पर्व दिवस के दिन को समाज की उत्पत्ति दिवस के रूप रेखांकित करने का प्रयास सोंचनीय है। इससे देश में साहू समाज के सम्मान का स्तर कमजोर होगा। जिसकी भरपाई शायद आने वाला कल न कर पाए! उक्त विचार साहू समाज के जिलाध्यक्ष द्वारा गणेश चतुर्थी के दिन घालमेल करके साहू समाज का जन्मदिन मनाने के निर्णय के बाद सामाजिक चिंतक और मोहला-मानपुर क्षेत्र सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र साहू ने कहे.
अखिल भारतीय तेली समाज बेहद मजबूत है और छत्तीसगढ़ में राजनीतिक रूप से वर्तमान में साहू समाज ने बड़ा दबदबा बनाया हुआ है। इतने बड़े समाज का विशाल इतिहास, इतिहास में महान लोगों का संघर्ष, महान लोगों का योगदान, आदि आदि। तो फिर इतिहास को मिथ ( शास्त्र ) के साथ जोड़ने का प्रयास तो अनुचित और नई पीढ़ी के दिमाग को गुलामी के एक और दलदल में धकेलने जैसा है। जो आज वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग, कानून आदि सेक्टर को अपना रहे हैं। गलत इतिहास बताना भी " भूख लगने पर जहर खिलाने जैसा होता है।"
संत कर्मा माता को वैसे भी भक्त कर्मा माता बनाकर उनके मानवता के लिए किए गए समानता के संघर्ष को षड्यंत्र के तहत बौना कर दिया गया है। और एक बड़ा वर्ग झूठ के यशोगान में लगा हुआ है।
शुक्र है कबीर अभी भी अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण किसी के घेरे में नही आये हैं। क्योकि स्फटिक सा शुद्ध उनका विचार, आडम्बरों के पैरोकारों पर जबरदस्त हमला करता है। हालांकि वे तेली जाति में जन्मे नही थे, मगर उनके विचार आज विश्व के सभी देश, सभी धर्म, सभी वर्गों और सभी जातियों में अपनी जगह बनाये हुए है। और पुरातनपंथी तथा ढोंगियों की आंख में आज भी किरकिरी बने हुए हैं। दानवीर भामाशाह का माइथोलोजी में घालमेल इसलिए नही हो पा रहा है क्योंकि उनके साथ समकालीन भारत का मजबूत इतिहास उनके साथ खड़ा है, जिनके साथ उन्होंने ऐतिहासिक योगदान दिया था।
फिलहाल गणेश चतुर्थी के दिन तेली जाति के उत्पति के उत्सव की कोशिशें, कमजोर अतीत पे सिसकते इंसान की तरह है जो किसी भी तारीख को अपना जन्मदिन मनाने तैयार हो जाये।
याद रखें इतिहास वही बनाते हैं, जिन्हें अपना इतिहास पता होता है।