वन विभाग की टीम ने शुक्रवार को निपानी पहुंचकर चंद्राकर आरा मिल में छापामार कार्रवाई की। इस दौरान मिल के अंदर पांच ट्रैक्टर से अधिक प्रतिबंधित लकड़ी कौहा (अर्जुन) के गोले जब्त किए गए।

वन विभाग की टीम ने शुक्रवार को निपानी पहुंचकर चंद्राकर आरा मिल में छापामार कार्रवाई की। इस दौरान मिल के अंदर पांच ट्रैक्टर से अधिक प्रतिबंधित लकड़ी कौहा (अर्जुन) के गोले जब्त किए गए।
वन विभाग की टीम ने शुक्रवार को निपानी पहुंचकर चंद्राकर आरा मिल में छापामार कार्रवाई की। इस दौरान मिल के अंदर पांच ट्रैक्टर से अधिक प्रतिबंधित लकड़ी कौहा (अर्जुन) के गोले जब्त किए गए।

वन विभाग की टीम ने शुक्रवार को निपानी पहुंचकर चंद्राकर आरा मिल में छापामार कार्रवाई की। इस दौरान मिल के अंदर पांच ट्रैक्टर से अधिक प्रतिबंधित लकड़ी कौहा (अर्जुन) के गोले जब्त किए गए।

बालोद- वन विभाग की टीम ने शुक्रवार को निपानी पहुंचकर चंद्राकर आरा मिल में छापामार कार्रवाई की। इस दौरान मिल के अंदर पांच ट्रैक्टर से अधिक प्रतिबंधित लकड़ी कौहा (अर्जुन) के गोले जब्त किए गए। इसके अलावा भारी मात्रा में चिरान भी जब्त किया गया। कार्रवाई देर शाम तक चलती रही। लकड़ी जब्ती बनाने का काम भी देर शाम तक चलता रहा।वहीं आरा मिल को सीन भी कर दिया गया है। वन विभाग बालोद से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार को बालोद वन विभाग की टीम ने एसडीओ एनपी डाहिरे व रेंजर रियाज खान के नेतृत्व में वन विभाग के अनेक कर्मचारी ग्राम निपानी स्थित चंद्राकर आरा मिल पहुंचे। बताया जाता है कि यहां पर प्रतिबंधित लकड़ी कौहा (अर्जुन) फाड़े जाने की काफी लंबे समय से शिकायत थी। कार्रवाई करने पहुंचे अफसरों को यहां पर भारी मात्रा में प्रतिबंधित लकड़ी मिली। इस संबंध में रेंजर खान ने बताया कि लगभग पांच ट्रैक्टर ट्राली कौहा के गोले यहां पर जब्त किए गए हैं।

बड़े पैमाने पर कट रहे पेड़

ज्ञात हो कि जिले में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित पेड काटे जा रहे हैं। इन पेड़ों को आरा मिलो में पहुंचाया जा रहा है। बताया जाता है कि यह प्रतिबंधित लकड़िया रात में आरा मिलों में पहुंचती है। जिले के गुण्डरदेही, डौंडीलोहारा ब्लाक मुख्यालयों में भी कई ऐसे आरा मिल है। जहां रात 12बजे के बाद से सुबह तक प्रतिबंधित लकड़ी अर्जुन के पहुंचने की चर्चा है।

 लकड़ी दलालों को पालते हैं आरा मिल मालिक

 बताया जाता है कि जिले के डौंडीलोहारा व गुंडरदेही स्थित एक आरा मिल के मालिक क्षेत्र में कई लकड़ी दलाल पाल रखे हैं। दलाल द्वारा किसानों से संपर्क कर प्रतिबंधित कौहा के पेड़ों को काटकर मिल में पहुंचाया जाता है। यह भी बताया जाता है कि गुंडरदेही सहित आसपास के कई जगहों पर मिलता है । गुंडरदेही में जलाऊ लकड़ी को खपाया जाता है। और बाकी बड़े गोले को अन्य दूसरे शहरों के मिलों में पहुंचा दिया जाता है।