जेल समीक्षा एवं विधिक जागरूकता शिविर में पहुॅचे जिला सत्र न्यायाधीश, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अधिकारी
जेल समीक्षा एवं विधिक जागरूकता शिविर में पहुॅचे जिला सत्र न्यायाधीश, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अधिकारी
कैदियों को बुरी आदतों का परित्याग करने तथा जेल से छुटने के बाद एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दी समझाईश
बालोद :- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बालोद द्वारा प्रत्येक तीन माह में आयोजित की जाने वाली जेल समीक्षा एवं विधिक जागरूकता शिविर में शामिल होने आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश डाॅ. प्रज्ञा पचैरी, कलेक्टर डाॅ. गौरव कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र कुमार यादव सहित अन्य अधिकारी जिला जेल बालोद पहॅुचे। इस दौरान अधिकारियों ने जेल के विभिन्न कक्षों का अवलोकन कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
इस अवसर पर कैदियों को सम्बोधित करते हुए कलेक्टर डाॅ.सिंह ने कहा कि यह माना गया है कि कोेेेई भी व्यक्ति आदतन अपराधी नहीं होता है। उन्होंने कहा कि कैदियों को उनके घर एवं परिवार से अलग कारागृह में रखने का मतलब केवल सजा देना ही नहीं होता। यह व्यवस्था इसलिए की गई है कि संबंधित व्यक्ति एकांत में रहकर अपने किए गए अपराध पर चिंतन कर सके। डाॅ. सिंह ने कहा कि जेल एक सुधारगृह है, इसलिए जेल से निकलने के बाद कोई भी कैदी ऐसा कार्य न करें, जिससे उन्हें पुनः जेल में आना पड़े। उन्होंने सभी कैदियों को जेल में रहते हुए अपनी बूरी आदतों का परित्याग करने तथा जेल से छुटने के बाद देश व समाज के लिए जिम्मेदार नागरिक बनने की समझाईश भी दी। इस दौरान कलेक्टर ने कैदियों से चर्चा कर उनकी माॅगों एवं समस्याओं के संबंध में जानकारी ली। जेल के कुछ कैदियों ने कलेक्टर एवं अधिकारियों के समक्ष अपने शारीरिक परेशानियों के संबंध में जानकारी दी। कलेक्टर डाॅ. सिंह ने तत्काल मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला अस्पताल को तलब कर कैदियों की समुचित ईलाज की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कैदियों के ईलाज हेतु आवश्यकतानुसार जेल में ही आॅपरेशन आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दिए। इसके अलावा कैदियों को शारीरिक रूप से फीट रखने के लिए प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक के माध्यम से प्रतिदिन योग कराने के निर्देश भी दिए। डाॅ. सिंह ने अधिकारियों को कैदियों के अभिरूचि के अनुसार शासन के विभिन्न स्वरोजगारमूलक योजनाओं के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने के निर्देश भी दिए। कौशल विकास के सहायक संचालक को तलब कर बांस से बनी चीजों के निर्माण हेतु शिल्पकला का प्रशिक्षण तथा राजमिस्त्री, इलेक्ट्रिशियन आदि का भी प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए। जिससे कि जेल से रिहा होने के बाद कैदी अपने अभिरूचि के कार्य में दक्ष होने के साथ-साथ इसके माध्यम से कुछ आमदनी भी प्राप्त कर सकें। इस दौरान एक कैदी के द्वारा नर्सिंग पाठ्यक्रम में अध्ययनरत अपने बच्चों के पढ़ाई हेतु आर्थिक सहायता प्रदान करने की मांग की गई। कलेक्टर डाॅ. सिंह ने श्रम विभाग की योजना के माध्यम से उनके बच्चों के पढ़ाई हेतु मदद करने का आश्वासन दिया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं अधिकारियों ने जिला जेल के बैरकों के अलावा, रसोईकक्ष, चिकित्सा कक्ष आदि का भी अवलोकन किया। कलेक्टर डाॅ. सिंह ने जेल में कैदियों को अच्छी पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी जेल प्रशासन के अधिकारियों को दिए। इस दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती श्यामवती मरावी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती सुमन सिंह, एस.डी.एम. गंगाधर वाहिले, जेलर श्रीमती एस.शोभारानी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
रिपोर्ट :- अरुण उपाध्याय बालोद