पवित्र रक्षाबंधन पर्व की कोटि कोटि बधाइयाँ

पवित्र रक्षाबंधन पर्व की कोटि कोटि बधाइयाँ
पवित्र रक्षाबंधन पर्व की कोटि कोटि बधाइयाँ

पवित्र रक्षाबंधन पर्व की कोटि कोटि बधाइयाँ

रक्षाबंधन सभी में एक अनोखा पर्व ही नहीं भारत की संस्कृति तथा मानवीय मूल्यों को उजागर करने वाला अनेक आध्यात्मिक रहस्यों को प्रकाशित करने वाला और भाई बहन के वैरिकोस्मृति दिलाने वाला एक परमात्म उपहार है।

इस पर्व पर रक्षासूत्र बाँधने से पूर्व बहन भाई के मस्तक पर चंदन का तिलक लगाती है जो शुद्ध और जीवन जीने की प्रेरणा देता है। तिलक दाये हाथ से किया जाता है तथा राखी भी दावे परी जाती है। यह विधि हमे यह प्रेरणा देती है कि हम सदा राइट अर्थात् मकारात्मक चिंतन करते हुए राइट अर्थात् श्रेष्ठ कम ही करे जिससे आत्मा अनिष्ट परिणामों में दुखी व अशांत होने से सुरक्षित रहेगी। मिठाई खिलाने के पीछे भी घर को और संबंधों को मीठा बनाने का राज भरा है।

एक पिता परमात्मा और सारा विश्व एक परिवार है। एक पिता की मनान हम सब आत्मिक नाते भाई भाई है । इस अनुभूति में आत्मिक दृष्टि वृद्धि व कृति बनती है जिससे आत्मा अनेक विकारी दुखदायी वृत्तियों के बंधनों से मुक्त होकर सच्ची स्वतंत्रता का अनुभव करती है। तत्पश्चात ही वह परमपवित्र परमपिता परमात्मा से जन्म जन्मांतर के लिए अविनाशी सच्चे मुख और शांति का व प्राप्त करने की हकदार बनती है।

वर्तमान समय ऐसी ही आध्यात्मिक राखी स्वयं को और सर्व आत्माओं को वाँधने की आवश्यकता है। तब ही हमारा भारत पुनः सर्वगुण संपन्न और स्वर्णिम बन सकेगा।

राखी के पावन धागों से

जीवन बनता ऊंच महान

पावनता की रक्षा करना

राखी दे शिव का फरमान