मौसी गुंडिचा के घर से आज श्री मंदिर वापस लौटेंगे महाप्रभु, रूठी हुई पत्नी को मनाएंगे भगवान जगन्नाथ

मौसी गुंडिचा के घर से आज श्री मंदिर वापस लौटेंगे महाप्रभु, रूठी हुई पत्नी को मनाएंगे भगवान जगन्नाथ
मौसी गुंडिचा के घर से आज श्री मंदिर वापस लौटेंगे महाप्रभु, रूठी हुई पत्नी को मनाएंगे भगवान जगन्नाथ

मौसी गुंडिचा के घर से आज श्री मंदिर वापस लौटेंगे महाप्रभु, रूठी हुई पत्नी को मनाएंगे भगवान जगन्नाथ

पुरी (एजेंसी)। महाप्रभु जगन्नाथ आज अपनी मौसी मां गुंडिचा के घर से अपने श्री मंदिर वापस लौटेंगे। 7 दिनों तक मौसी के घर आराम करने के बाद श्री जगन्नाथ, स्वामी बलभद्र और भगवती सुभद्रा आज रथारूढ़ होकर वापस लौटेंगे।

इस यात्रा को बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है। इसी के साथ रथयात्रा महोत्सव 2023 का समापन होगा। ज्ञात हो कि 20 जून को तीनों भगवान श्री मंदिर से गुंडिचा मंदिर गए थे। जहां 7 दिनों तक भगवान का खूब आतिथ्य सत्कार हुआ।

इस बीच भगवान को उनकी मौसी ने उनके पसंदीदा पकवान खिलाए और खूब लाड़ किया। अब आज तीनों भगवान मंदिर वापल लौटेंगे।

हेरा पंचमी को भगवान का रथ तोड़ने पहुंचे थे मां लक्ष्मी के दूत इससे पहले हेरा पंचमी (24 जून) को एक बेहद खास परंपरा निभाई गई थी। जिसमें देवी लक्ष्मी के दूतों ने महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के रथ नंदीघोष को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था।

दरअसल, भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसी मां के घर चले गए थे। जिससे नाराज मां लक्ष्मी ने हेरा पंचमी के दिन अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अपने दूतों को जगन्नाथ जी के रथ को तोड़ने का आदेश दिया था। रूठी हुई मां लक्ष्मी को मनाएंगे भगवान जगन्नाथ जब भगवान श्री मंदिर पहुंचेंगे तब एक और सुंदर रस्म निभाई जाएगी।

जिसमें भगवान जगन्नाथ रूठी हुई मां लक्ष्मी को मनाएंगे। इस रस्म में मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को आता देख मंदिर के पट बंद कर लेती हैं। लेकिन वे अपने जेठ बलभद्र जी, देवी सुभद्रा और सुदर्शन को मंदिर में प्रवेश करने देती हैं।

परंतु भगवान जगन्नाथ को मंदिर के बाहर ही रहना पड़ता है। काफी देर के मान-मनव्वल के बाद भगवान जगन्नाथ देवी लक्ष्मी के लिए साड़ी और रसगुल्ले मंगाते हैं और उन्हें भेंट करते हैं।

जिसके बाद मां लक्ष्मी मान जाती हैं और भगवान को मंदिर में प्रवेश मिलता है। इसके साथ ही रथयात्रा महोत्सव का समापन होता है। जिसके बाद भगवान 6 महीने के लिए क्षीरसागर में विश्राम के लिए चले जाते हैं।