सहकारिता सप्ताह के तहत वनग्राम आमापानी में आयुर्वेद कार्यशाला आयोजित की गई

संपादक आर के देवांगन

सहकारिता सप्ताह के तहत वनग्राम आमापानी में आयुर्वेद कार्यशाला आयोजित की गई
सहकारिता सप्ताह के तहत वनग्राम आमापानी में आयुर्वेद कार्यशाला आयोजित की गई

आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है
बालोद :- बिना संस्कार नहीं सहकार, बिन सहकार नहीं उद्धार की उक्ति को चरितार्थ करते हुए आज कार्तिक पूर्णिमा,  गुरुनानक जयंती एवं अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह के अवसर पर जिला बालोद के विकासखंड गुरूर स्थित वनग्राम आमापानी में आयुर्वेदिक जड़ी- बूटी तथा विविध औषधियों के पहचान हेतु कार्यशाला आयोजित की गई ! आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बूटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं । अतः यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है । इसी परिप्रेक्ष्य में वनौषधियों तथा लगभग 42 प्रकार की जड़ी बूटियों से युक्त च्यवनप्राश बनाने की पूरी प्रक्रिया हेतु 2 दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई ! 2 दिवसीय कार्यशाला के समन्वयकर्ता गाँव के शासकीय प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ईश्वरी कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि विकसित भारत के निर्माण में सहकारिता की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है | एक दूसरे के सहयोग से सभी के लिए रोजगार के समान अवसर निर्मित करने तथा पर्यावरण संरक्षण के साथ भारत के ऋषि परंपरा को जनसमुदाय तक पहुँचाने के लक्ष्य से इस कार्य की शुरुआत की गई है | आयुर्वेद भोजन तथा जीवनशैली में सरल परिवर्तनों के द्वारा रोगों को दूर रखने के उपाय सुझाता है । आयुर्वेदिक औषधियाँ स्वस्थ लोगों के लिए भी उपयोगी हैं ।

प्रशिक्षित वैद्यराज के मार्गदर्शन में लोगों ने वनौषधियों एवं जड़ी-बूटियों को जाना

प्राचीन वैदिक काल में ऋषि परंपरा के तहत गुरुओं ने अपने शिष्यों के अन्तर्निहित प्रतिभाओं की पहचान करते हुए उन्हें किसी एक विधा में सिद्धहस्त कर हमारे लिए एक आदर्श के रूप में प्रतिष्ठापित कर दिया है | बदलते आधुनिक समय के बावजूद लोगों ने अपने जीवन शैली में आयुर्वेद की उपयोगिता बनाए रखी है | अनेकों लोगों को अपने नाड़ी ज्ञान से दु:साध्य रोगों से आराम दिलाते बालोद जिले के गुरुर विकासखंड स्थित ग्राम ठेकवाडीह निवासी वैद्यराज महेंद्र कुमार साहू के मार्गदर्शन एवं संयोजन में वनग्राम आमापानी, बरपानी तथा चिटौद के लोगों ने बलदेव कुमार साहू के आवास में आज वनौषधियों एवं जड़ी-बूटियों का प्रत्यक्ष परिचय हासिल किया | इनमें आँवला, तुलसी, भूईं आँवला, मीठा लीम, गिलोय, शंखपुष्पी, अडूसा,  विदारी कन्द, सफ़ेद चन्दन, वासाका,अकरकरा, मुनक्का, शतावरी, छोटे हर्रा, ब्राह्मी, बेल, कमल केशर, गोखरू, कचुर, जटामांसी, नागरमोथा, लौंग, पुष्करमूल, काकड़ा सिंघी, पुनर्नवा, जीवन्ति, दसमूल, अश्वगंधा, सोंठ, मुलेठी, कंटकारी, वंशलोचन, पिपली, दालचीनी, तेजपत्ती, नागकेशर, इलायची, शहद, घी इत्यादि महत्वपूर्ण रहे | इस कार्यशाला में धनेश्वरी मरकाम, सुशीला पड़ौटी, दूज़बाई नेताम, सुकारो मरकाम, बिसनाथ नेताम, खिलेश्वरी साहू, जाह्नवी साहू, महेश्वर साहू, टीकाराम साहू, अश्वनी कुमार साहू, हीरामन मरकाम, देवेंद्र मरकाम ने सहभागिता की ||

गुरुकुल शिक्षा की भांति विद्यालयीन बच्चों ने भी च्यवनप्राश बनाने में हाथ बँटाये

प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति के गुरु-शिष्य परंपरा की यादों को जीवंत बनाते हुए गाँव के अध्ययनरत बच्चों हितेश. भुवन, भूपेंद्र, गरिमा, हार्दिक, भावेश, दिव्या, चेरणराज, युवराज आदि ने इन वन औषधियों तथा जड़ी-बूटियों को प्रत्यक्ष रूप से देखा व इनके नाम जाने व च्यवनप्राश बनाने की विधि में साथ निभाए | इसके पहले उन्होंने अपने गाँव के जंगल में इनमें से कई औषधियों को भ्रमण कर अवलोकन किया था | 

सहकार भारती छत्तीसगढ़ के प्रांतीय पदाधिकारी एवं जिला वैद्यराज संघ ने किया अवलोकन

आँवला पूजन के अवसर पर आँवला से बने च्यवनप्राश के निर्माण प्रक्रिया को अध्ययन करने सहकार भारती के प्रांतीय मंत्री संजय वस्त्रकार, दुर्गुकोंदल से शिक्षिका उत्तरा वस्त्रकार, रीता वस्त्रकार तथा बालोद जिला वैद्यराज संघ के अध्यक्ष चिंताहरण साहू भी कार्यशाला में उपस्थित रहे | उन्होंने स्थानीय जंगलों में उपलब्द्ध विविध प्रकार के औषधियों, जड़ी-बूटियों के बारे में जनसामान्य को जागरूक करने के इस पहल की सराहना की | सहकार भारती छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष डॉ.लक्ष्मीकांत द्विवेदी, महामंत्री करूणानिधि यादव, संगठन मंत्री हेमन्त कुमार पाण्डेय, मीडिया प्रभारी दीपक मिश्रा, बालोद जिला अध्यक्ष ,धमतरी जिला अध्यक्ष हिरेंद्र साहू व नरोत्तम साहू ने इस पहल के लिए शुभकमनाएं प्रेषित की है |