गोबर से बने ‘‘बालोद दीपक‘‘ का विक्रय राजधानी सहित अन्य जिलों में भी होगा - कलेक्टर ने दीयों का अवलोकन कर स्वसहायता समूह का किया उत्साहवर्धन

गोबर से बने ‘‘बालोद दीपक‘‘ का विक्रय राजधानी  सहित अन्य जिलों में भी होगा - कलेक्टर ने दीयों का अवलोकन कर  स्वसहायता समूह का किया उत्साहवर्धन
गोबर से बने ‘‘बालोद दीपक‘‘ का विक्रय राजधानी  सहित अन्य जिलों में भी होगा - कलेक्टर ने दीयों का अवलोकन कर  स्वसहायता समूह का किया उत्साहवर्धन
गोबर से बने ‘‘बालोद दीपक‘‘ का विक्रय राजधानी  सहित अन्य जिलों में भी होगा - कलेक्टर ने दीयों का अवलोकन कर  स्वसहायता समूह का किया उत्साहवर्धन


बालोद//दीपावली का त्यौहार इस वर्ष गोबर से बने ‘‘बालोद दीपक‘‘ से भी रोशन होगा। जिले के डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम गुजरा की संगम स्वसहायता समूह की महिलाएॅ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के मार्गदर्शन में गोबर से रंगबिरंगे आकर्षक दीये बना रही हैं। इसका नाम ‘‘बालोद दीपक‘‘ रखा गया है। कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने आज जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री लोकेश कुमार चन्द्राकर के साथ ग्राम गुजरा पहुॅचकर स्वसहायता समूह द्वारा बनाए जा रहे गोबर के दीयों का अवलोकन किया। कलेक्टर ने समूह की मेहनत और कला की प्रशंसा कर उनका उत्साहवर्धन किया। 
कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि गोबर से बने ‘‘बालोद दीपक‘‘ का विक्रय राजधानी रायपुर सहित अन्य जिलों में भी किया जाएगा। उन्होंने शीघ्र ही ‘‘बालोद दीपक‘‘ का पैकेजिंग के निर्देश दिए। कलेक्टर ने स्थानीय स्तर तथा नगरीय क्षेत्रों में स्टॉल लगाकर ‘‘बालोद दीपक‘‘ का विक्रय शुरू कराने की बात कही। संगम स्वसहायता समूह की सदस्यों ने कलेक्टर को बताया कि वे लगभग एक माह पूर्व गोबर के दीये बनाना शुरू किए हैं। अब तक पॉच हजार से भी अधिक दीया बना लिए हैं और विक्रय भी शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि गोबर के दीया के अतिरिक्त गोबर से स्वास्तिक, शुभ-लाभ व मोमबत्ती दीया भी बनाए हैं। समूह की सदस्यों ने बताया कि अब एक दिन में लगभग एक हजार दिये बना लेते हैं। कलेक्टर ने गोबर से सजावट की सामग्रियॉ भी निर्मित करने समूह को प्रोत्साहित किया। 
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के सहायक परियोजना अधिकारी श्री नितेश साहू ने बताया कि गोबर से दीये और अन्य सामग्रियों के निर्माण हेतु जिले के पॉचो विकासखण्ड में यह आजीविका गतिविधि संचालित की जा रही है, जिसमें पचास महिलाएॅ शामिल हैं। जिनके द्वारा दीया, नारियल कलश, कछुआ दीया, गुल्लक आदि आकृति भी बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में अब तक पचास हजार दीये, पन्द्रह सौ ओम, पन्द्रह सौ श्री एवं दो हजार शुभ-लाभ तैयार किया जा चुका है तथा सामाग्री निर्माण का कार्य प्रगति पर है। इस अवसर पर समूह की सदस्य आदि उपस्थित थे।