आज का राशिफल,चौघड़िया,पंचांग, मुहूर्त,जानिये पंडित पंकज शास्त्री उज्जैन से सिर्फ cgnewsplus24 पर....

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*जय श्री राम* 

*सुप्रभातम्* 

*आज का पंचांग* 

कलियुगाब्द.........................5124 विक्रम संवत्........................2079 शक संवत्..........................1944 मास................................भाद्रपद पक्ष...................................शुक्ल तिथी.................................पंचमी दोप 02.46 पर्यंत पश्चात षष्ठी रवि.............................दक्षिणायन सूर्योदय............प्रातः 06.09.10 पर सूर्यास्त............संध्या 06.44.31 पर सूर्य राशि..............................सिंह चन्द्र राशि.............................तुला गुरु राशि..............................मीन नक्षत्र................................स्वाति रात्रि 12.03 पर्यंत पश्चात विशाखा योग...................................ब्रह्मा रात्रि 08.59 पर्यंत पश्चात इंद्र करण...............................बालव दोप 02.46 पर्यंत पश्चात कौलव ऋतु...................................वर्षा दिन................................गुरुवार 

*आंग्ल मतानुसार :-* 01 सितम्बर सन 2022 ईस्वी । 

*तिथि विशेष (व्रत/पर्व) -* *ऋषि पंचमी -* ऋषि पञ्चमी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी को सम्पादित होता है। प्रथमत: यह सभी वर्णों के पुरुषों के लिए प्रतिपादित था, किन्तु अब यह अधिकांश में नारियों द्वारा किया जाता है। हेमाद्रि ने ब्रह्माण्ड पुराण को उद्धृत कर विशद विवरण उपस्थित किया है। व्यक्ति को नदी आदि में स्नान करने तथा आह्लिक कृत्य करने के उपरान्त अग्निहोत्रशाला में जाना चाहिए, सातों ऋषियों की प्रतिमाओं को पंचामृत में नहलाना चाहिए, उन पर चन्दन लेप, कपूर लगाना चाहिए, पुष्पों, सुगन्धित पदार्थों, धूप, दीप, श्वेत वस्त्रों, यज्ञोपवीतों, अधिक मात्रा में नैवेद्य से पूजा करनी चाहिए और मन्त्रों के साथ अर्ध्य चढ़ाना चाहिए। 

*यह व्रत कैसे करें :-* * प्रातः नदी आदि पर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। * तत्पश्चात घर में ही किसी पवित्र स्थान पर पृथ्वी को शुद्ध करके हल्दी से चौकोर मंडल (चौक पूरें) बनाएं। फिर उस पर सप्त ऋषियों की स्थापना करें। * इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से सप्तर्षियों का पूजन करें। 

*तत्पश्चात निम्न मंत्र से अर्घ्य दें -* 'कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्नणन्त्वर्घ्यं नमो नमः॥ 

* अब व्रत कथा सुनकर आरती कर प्रसाद वितरित करें। * तदुपरांत अकृष्ट (बिना बोई हुई) पृथ्वी में पैदा हुए शाकादि का आहार लें। * इस प्रकार सात वर्ष तक व्रत करके आठवें वर्ष में सप्त ऋषियों की सोने की सात मूर्तियां बनवाएं। * तत्पश्चात कलश स्थापन करके यथाविधि पूजन करें। * अंत में सात गोदान तथा सात युग्मक-ब्राह्मण को भोजन करा कर उनका विसर्जन करें। 

*ऋषि पंचमी की व्रतकथा -* विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण के एक पुत्र तथा एक पुत्री दो संतान थी। विवाह योग्य होने पर उसने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे। एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने पति से सब कहते हुए पूछा- प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है? उत्तंक ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया- पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं। धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी। पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला। शास्त्रों के अनुसार ऋषि पंचमी पर हल से जोते अनाज आदि का सेवन निषिद्घ है। ऋषि पंचमी के अवसर पर महिलाएं व कुंआरी युवतियां सप्तऋषि को प्रसन्न करने के लिए इस पूर्ण फलदायी व्रत को रखेंगी। पटिए पर सात ऋषि बनाकर दूध, दही, घी, शहद व जल से उनका अभिषेक किया जाता है, साथ ही रोली, चावल, धूप, दीप आदि से उनका पूजन करके, तत्पश्चात कथा सुनने के बाद घी से होम किया जाएगा। जो महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत रखेंगी, वे सुबह-शाम दो समय फलाहार कर ही व्रत को पूर्ण करेंगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में हल से जुता हुआ कुछ भी नहीं खाते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर ही व्रत किया जाएगा। वे केवल फल, मेवा व समां की खीर, मोरधान से बने व्यंजनों को खाकर व्रत रखेंगी। 

*अभिजीत मुहूर्त :-*

प्रातः 12.01 से 12.51 तक । 

*राहुकाल :-* दोपहर 02.00 से 03.33 तक । 

*उदय लग्न मुहूर्त :-*

*सिंह* 05:07:58 07:19:46

*कन्या* 07:19:46 09:30:26

*तुला* 09:30:26 11:45:03

*वृश्चिक* 11:45:03 14:01:14

*धनु* 14:01:14 16:06:51

*मकर* 16:06:51 17:53:59

*कुम्भ* 17:53:59 19:27:32

*मीन* 19:27:32 20:58:44

*मेष* 20:58:44 22:39:27

*वृषभ* 22:39:27 24:38:05

*मिथुन* 24:38:05 26:51:47

*कर्क* 26:51:47 29:07:58

*दिशाशूल :-* दक्षिणदिशा - यदि आवश्यक हो तो दही या जीरा का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।

शुभ अंक........................8 शुभ रंग......................पीला ✡

*चौघडिया :-*

प्रात: 10.52 से 12.25 तक चंचल

दोप. 12.25 से 01.59 तक लाभ

 दोप. 01.59 से 03.32 तक अमृत

 सायं 05.06 से 06.39 तक शुभ

सायं 06.39 से 08.06 तक अमृत

रात्रि 08.06 से 09.32 तक चंचल

*आज का मंत्र :-*

॥ ॐ शूर्पकर्णाय नमः ॥ 

*सुभाषितानि :-* दुर्जनः प्रियवादी च नैतद्विश्र्चासकारणम् । मधु तिष्ठति जिह्याग्रे हदये तु हलाहलम् ॥ अर्थात : दुर्जन प्रियबोलनेवाला हो फिर भी विश्वास करने योग्य नहीं होता क्यों कि चाहे उसकी जबान पर भले हि मध हो, पर हृदय में तो हलाहल झहर हि होता है । 

*आरोग्यं :-* *हृदय रोग के लिए प्राणायाम -*

*1. भस्त्रिका प्राणायाम -* भस्त्रिका प्राणायाम आपके शरीर और दिमाग को ताज़ा करता है। यह पूरे शरीर में नई उर्जा का संचार करता है और स्मृति में सुधार करता है। 5-10 मिनट के लिए भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास दिल के दौरे के खतरे को रोकने या कम करने के लिए सबसे अच्छा श्वास अभ्यास है। असल में, यदि आप अंदर से मजबूत हैं, तो किसी भी बीमारी से पीड़ित होने की संभावना बहुत ही कम रहती है। भस्त्रिका प्राणायाम का नियमित अभ्यास प्रतिरक्षा प्रणाली या इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है और रोगों को दूर रखता है। यह आपको तनाव को मुक्त करने में मदद करता है। इसके साथ यह ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है। यह न केवल दिल की बीमारी को रोकने में प्रभावी है बल्कि माइग्रेन और अवसाद जैसे रोगों को दूर करने में भी फायदेमंद है। 

*आज का राशिफल :-* 

*राशि फलादेश मेष :-* *(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)* तीर्थदर्शन की योजना फलीभूत होगी। सत्संग का लाभ मिलेगा। आत्मशांति रहेगी। यात्रा संभव है। व्यवसाय-व्यापार ठीक चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। दूसरों की जवाबदारी न लें। थकान रह सकती है। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।

*राशि फलादेश वृष :-* *(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)* स्थायी संपत्ति के कार्य मनोनुकूल लाभ देंगे। किसी बड़ी समस्या का हल सहज ही प्राप्त होगा। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग मिलेगा। भाग्य अनुकूल है। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। शत्रुओं का पराभव होगा। किसी व्यक्ति की बातों में न आएं। प्रसन्नता रहेगी।

*राशि फलादेश मिथुन :-* *(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)* कार्यस्थल पर परिवर्तन की योजना बनेगी। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में सहकर्मी साथ देंगे। ऐश्वर्य व आरामदायक साधनों पर व्यय होगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। जल्दबाजी से बचें। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी।

*राशि फलादेश कर्क :-* *(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)* स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। फालतू खर्च होगा। किसी के व्यवहार से क्लेश होगा। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। आय में निश्चितता रहेगी। नौकरी में कार्यभार बढ़ेगा। सहकर्मी साथ नहीं देंगे। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे।

*राशि फलादेश सिंह :-* *(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)* चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। किसी अपरिचित व्यक्ति पर अतिविश्वास न करें। किसी भी प्रकार के विवाद में न पड़ें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यापार ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। मित्रों के साथ समय अच्‍छा व्यतीत होगा। 

*राशि फलादेश कन्या :-* *(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)* किसी व्यक्ति विशेष का सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार लाभदायक रहेगा। पारिवारिक सदस्यों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है। शारीरिक कष्ट संभव है। जल्दबाजी से हानि होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। धन प्राप्ति सुगम होगी।

*राशि फलादेश तुला :-* *(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)* डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। शेयर मार्केट में जल्दबाजी न करें। व्यापार लाभदायक रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। लेन-देन में सावधानी रखें। चोट व रोग से कष्ट संभव है। प्रमाद न करें।

*राशि फलादेश वृश्चिक :-* *(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)* रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। पार्टी व पिकनिक का आयोजन हो सकता है। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। 

*राशि फलादेश धनु :-* *(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)* विवाद को बढ़ावा न दें। कानूनी अड़चन से सामना हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बुरी खबर मिल सकती है, धैर्य रखें। दौड़धूप से स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। आय बनी रहेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। जोखिम न लें।

*राशि फलादेश मकर :-* *(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)* यात्रा मनोरंजक रहेगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। कारोबार में वृद्धि होगी। विरोधी सक्रिय रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। समय अनुकूल है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। परिवार के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। जल्दबाजी न करें। 

*राशि फलादेश कुंभ :-* *(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)* भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। किसी बड़े काम को करने की योजना बनेगी। आत्मसम्मान बना रहेगा। व्यापार लाभदायक रहेगा। घर-परिवार में कोई मांगलिक कार्य का आयोजन हो सकता है। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। मित्रों के साथ अच्‍छा समय बीतेगा।

*राशि फलादेश मीन :-* *(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)* मित्रों का सहयोग करने का मौका प्राप्त होगा। मेहनत का फल मिलेगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। लेन-देन में सावधानी रखें। अपरिचितों पर अंधविश्वास न करें। कारोबार ठीक चलेगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। भाग्य अनुकूल है। समय का लाभ लें। 

*आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो

पंडित पंकज शास्त्री उज्जम वैदिक पूजन के लिये सम्पर्क9425380177।*

*शुभम भवतु * 

*भारत माता की जय*

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