पंच तत्वों में अग्नि सबसे अधिक प्रचंड और प्रत्यक्ष है,
प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री बालयोगेश्वर महत्यागी राम बालक दास जी के द्वारा उनके विभिन्न ऑनलाइन ग्रुपों में प्रातः 10:00 बजे किया गया
अपने दैनिक जीवन भक्ति कैसे लाएं इसे बताते हैं बाबा जी ने बताया कि में भगवान श्रीराम ने रामचरितमानस में और भगवान श्री ठाकुर जी ने भगवत गीता में सहज कर्म भक्ति के और हमें अग्रसर क्या है जिसका अर्थ होता है, जिस सहज कर्म के द्वारा हम परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं, कठिन योग के कारण आज हिंदू धर्म में इतनी भ्रांतियां एवं दुर्भावना फैली हुई है भगवान श्रीराम ने ही स्वयं सहज प्रेम भक्ति का ही संदेश दिया है माता पिता की सेवा उनकी भक्ति गुरु की भक्ति गुरु माता का सम्मान साथ ही अपने सनातन धर्म के सभी रीति-रिवाजों का पालन करते हुए सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवन में अपने व्यापारिक कर्मों को लाया, उसी प्रकार हम प्रतिदिन रात्रि के समय हमारे द्वारा किए गए दिन भर के कार्यों का चिंतन मनन करते हुए हमारे द्वारा किए गए गलत कार्यों का पश्चाताप करें और उसे दोबारा ना करने का निर्णय करें तो यहां हमारा स्वयं का आंतरिक स्नान होगा
बाबा जी ने बताया कि दीपावली का महत्व पूर्ण धर्म कांड दीपदान ही है, जिसने स्वयं जलकर प्रकाश दिया उसका नाम ही दिया है, दीप ज्योति मंत्र और दीप की स्तुति कर कर उन्हें प्रणाम करके उनको प्रचलित किया जाता है एवं उन्हें पूजन किया जाता है, सनातन धर्म में हर शुभ कार्य में दीप जलाना दीप की पूजा करना, दीपक को साक्षी बनाना, एक तरह से अग्नि को भी महत्व देने का परिचायक है, अग्नि जोकि साक्षात परमात्मा का रूप है, पंच तत्वों में अग्नि सबसे अधिक प्रचंड और प्रत्यक्ष है, उन्हीं को साक्षी मानकर हमारे सारे संस्कार संपन्न किए जाते हैं, तो दीपज्योति एक तरफ जो कि मंगल कारक तो हैँ साथ ही वह भगवत सन्नीद्धि का माध्यम भी है
इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ
Narendra vishwakarma