नवदुर्गा देती है नवग्रह की  बाधा से मुक्ति

नवदुर्गा देती है नवग्रह की  बाधा से मुक्ति

नवदुर्गा देती है नवग्रह की  बाधा से मुक्ति
 

प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन सीता रसोई संचालन ग्रुप में संत राम बालक दास जी के द्वारा आज भी किया गया, नवरात्रि पर्व पर प्रतिदिन मां भगवती दुर्गा के विभिन्न  रूपों से परिचित कराते हुए श्री राम बालक दास उनके स्वरूपों का वर्णन कराते हुए उनके महत्व को विदित कराते हुए माता के पूजा विधान से सभी को अवगत भी करवाते हैं  और नवरात्र पर्व से  संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान भी  कर रहे हैं
       नवरात्र पर अपनी जिज्ञासा रखते हुए परम जिज्ञासु विद्वान साहित्यकार श्री पाठक परदेशी  जी पूछा की नवरात्रि में माता के मंदिर में अखंड ज्योति कलश स्थापना के साथ फुलवा अर्थात जवारा जगाने के महत्व क्यू है, उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं बाबा जी ने बताया कि मां भगवती दुर्गा आदि अनादि काल से ही सृष्टि की पालन कर्ता रही है संसार को जन्म देने वाली है जब प्रथम सृष्टि की रचना माता भगवती ने की तो सर्वप्रथम उन्होंने वनस्पति  को उत्पन्न किया जिसमें उन्होंने सर्वप्रथम जौ की उत्पत्ति की इसीलिए सबसे पहले खेती जौ की मानी जाती है, इसीलिए जब भी नवरात्र में जोत जलाई जाती है तो जौ  को अवश्य बोया जाता है इसके लिए गाय के गोबर की खाद में जवारा  को उत्पन्न किया जाता है यह आने वाले 6 माह का हमें भविष्य ज्ञान प्रदान करती है जवारा  जब बहुत ही ज्यादा घनी और हरी होती है तो आने वाला समय बहुत ही  समृद्धि  संपन्न होता है
          ऑनलाइन सतसंग को आगे बढ़ाते हुए पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने जिज्ञासा रखी की कहा जाता है कि विभिन्न देवताओं की देह से निकले हुये तेज से देवी के अलग - अलग अंग बने थे। इस कथा के बारे में बताने की कृपा करेंगे बाबा जी।, कथा को बताते हूए बाबा जी ने बताया कि मां भगवती दुर्गा जी की उत्पत्ति ऐसे समय में हुई जब समस्त संसार दुर्गति से घिरा था इसीलिए इनका नाम भी दुर्गा रखा गया यह ऐसा काल रहा जब नारायण शिव ब्रह्मा जी किसी का भी अवतार पृथ्वी में संभव नहीं था चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था दानव उत्पात मचा  रखे हुए थे तभी सभी  देवी देवताओं ने निर्णय लिया कि उनकी शक्ति का एकीकरण होना चाहिए इस स्वरूप को सभी ने अपने अपने दिव्य पुंज प्रदान किए किसी ने इस महा पुंज महा शक्ति को तेज तो,किसी ने अपनी भाव  प्रदान किया किसी ने अपने अंग आभूषण तो किसी ने अपने सर्वशक्तिमान अस्त्र-शस्त्र उन्हें प्रदान किए किसी ने ज्योति तो किसी ने तेज किसी ने त्रिशूल तो किसी ने पाश,किसी ने गदा,किसी ने पद्म किसी ने नाग,किसी ने परशु किसी ने भाल किसी ने कपाल प्रदान किए और इस प्रकार महा शक्ति महा पुंज का स्वरूप माँ दुर्गा को प्राप्त हुआ 
      पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने नव दुर्गा के पर्व पर आगे जिज्ञासा रखते हुए प्रश्न किया कि  दुर्गा जी के नौ स्वरूप, नौ दिन और नौ ग्रह का आपस में क्या कोई संबंध है, बाबा जी ने इस पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि अवश्य रूप से ही माता के नौ रूपों का नौ ग्रहों से संबंध है माता सिद्धीदात्री से केतु ग्रह का शुभ जुड़ा हुआ है इनकी उपासना करने से केतु का प्रभाव नियंत्रित होता है, माता महागौरी राहु के प्रभाव को कम करती है माता ब्रह्मचारिणी मंगल दोष को दूर करती है माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना से चंद्रमा शीतल होता है माता कालरात्रि को भजने से शनि ग्रह का प्रभाव कम होता है माता महागौरी को पूजने से राहु का प्रभाव नियंत्रित होता है मां कात्यायनी की पूजा से गुरु  के यदि कोई दोष है तो वह दूर हो जाते हैं माता स्कंद पंचमी मैया को जपने से बुध के प्रभाव से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है चंद्रघंटा माता शुक्र के प्रभाव को नियंत्रित करती है
 इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ
 जय गौमाता जय गोपाल जय सियाराम

रिपोर्ट //नरेन्द्र विश्वकर्मा