माॅ अन्नपूर्णा द्वारा भगवान शिव को दी गयी भिक्षा से जुड़ा है छेरछरा पुन्नी का पर्व - संत रामबालकदास
नदियों के किनारे लगने वाले मेले देते हैं सामाजिक समरसता का संदेश
,, पौष माह की पूर्णिमा को होने वाला छेरछेरा पुन्नी पर्व छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इसी दिन माॅ पार्वती ने भगवान शिव को भिक्षा प्रदान की थी जिससे माॅ भगवती की अन्नपूर्णा तथा शिव की भोला भण्डारी नाम की प्रसिद्धि हुयी। छ ग की परंपरा में इस दिन बालक, बालिकायें, युवा, महिलायें सभी वर्ग झुण्ड बनाकर डण्डा, सुआ नृत्य करते हुये छेरछेरा दान मांगते हैं। " छेरछेरा, माई कोठी के धान हेरते हेरा " कहते हुये घर घर अलख जगाते हैं। सभी वर्ग नि:संकोच दान मांगते हैं और देने वाले भी दान करने उतावले रहते हैं।
श्रीमद्भगवद्गीता में युद्ध का अर्थ केवल मारकाट नहीं बल्कि आंतरिक युद्ध से है ,,सुनिए गीता पाठ श्री राम बालक दास जी से
पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में आज छेरछेरा पुन्नी के महत्व पर पुरूषोत्तम अग्रवाल की जिज्ञासा पर संत रामबालकदासजी ने उपर्युक्त बातें कही। नदी किनारे ही मेलों के आयोजन पर बाबाजी ने कहा कि अधिकांश तीर्थस्थल नदी के आसपास ही होते हैं। जहाॅ नदियों का संगम है वहाॅ महातीर्थ है। हमारी परंपरा में नदी, सरोवर, कुण्ड, झील के बिना तीर्थ अपूर्ण हैं। नदियाॅ केवल पुण्यदायी नहीं वरन प्राणदायिनी भी हैं। नदियों से ही जीवों की पवित्रता, धरती का श्रृॅगार तथा श्रृष्टि का कल्याण होता है। प्रकृति प्रेमी ऋषि मुनियों ने सदैव पर्वत, वृक्ष, नदी का सम्मान किया है। प्राचीन समय में घी का दीपक जलाकर नदियों में प्रवाहित किया जाता था। हल्दी, चाॅवल डालकर नदी की शुद्धता तथा सम्मान एवं जलचर जीवों का पोषण किया जाता था लेकिन वर्तमान समय में मेले के आयोजनों द्वारा गंदगी फैलायी जाती है। नदियाॅ सामाजिक समरसता का प्रतीक हैं। सर्वसमाज नदी में डुबकी लगाकर संदेश देता है कि हममें कोई भेद नहीं सभी आपस में एक हैं।
संत श्री राम बालक दास जी ने विशेष सूचना देते हुए बताया कि छेरछेरा पुन्नी अर्थात पौष पूर्णिमा के अवसर पर 17 जनवरी को शाम 3:00 से 6:00 बजे श्री पाटेश्वर धाम से संत श्री राम बालक दास जी अपने यूट्यूब चैनल ramabalakdas पर भक्तों के लिए लाइव रहेंगे इस बीच में आप यूट्यूब पर अपने सवाल महाराज श्री से पूछ सकते हैं और जवाब ले सकते हैं साथ ही 3:00 बजे से 6:00 बजे तक 9425510729 पर वीडियो कॉलिंग ,, वाट्सएप मैसेज,, या फोन करके भी संत श्री से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं
झलमला से बहन रिचा ने मीठा मोती का प्रतिदिन की भांति प्रसारण किया जिसके सुविचार पर बोलते हुए बाबाजी ने कहा कि हम किसी को सम्मान देंगे तभी हमें सम्मान मिलेगा यदि हम दूसरों के प्रति सम्मान की भावना नहीं रखते तो हमें भी किसी से सम्मान की उम्मीद नहीं करना चाहिए इस तरह आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ।
नरेंद्र विश्वकर्मा की खास रिपोर्ट