धर्म पालन हेतु गृहस्थ आश्रम से बड़ा कोई आश्रम नहीं,, सन्त श्री राम बालक दास 

धर्म पालन हेतु गृहस्थ आश्रम से बड़ा कोई आश्रम नहीं,, सन्त श्री राम बालक दास 
संत श्री राम बालक दास जी

प्रतिदिन की भांति आज भी ऑनलाइन सत्संग श्री राम बालक दास जी के द्वारा उनके विभिन्न वाट्सएप ग्रुप में  सुबह 10 बजे से 11 बजे तक आयोजित किया गया   जिसमे हजारों भक्तों ने अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किया
          आज की ऑनलाइन परिचर्चा में बजरंग साहू जी मुसरा ने जिज्ञासा रखी की
मन कामना सिद्धि नर पावा। जे यह कथा कपट तजि गावा॥
 कहहिं सुनहिं अनुमोदन करहीं। ते गोपद इव भवनिधि तरहीं , इस चोपाई पर प्रकाश डालते हुए बाबा जी ने बताया कि हम मन को निर्मल करके सारे कपट त्याग के इस कथा का स्मरण करते हैं भगवान का भजन करते हैं तो हमारे सारे मनोकामना बिना मांगे ही सिद्ध हो जाते है रिद्धि सिद्धि सभी हमारे आगे पीछे चलने लगते है, और जो भगवतकथा को कहने वाला है सुनने वाला है और इसे जानकर जो इसका पालन करने वाला है वह इस माया रुपी संसार को बड़े ही सरलता से गाय के खुर के  गड्ढे  के सामान पार कर जाता है,


          आगे सत्संग परिचर्चा में कमलेश वाजपेई जी बाँधाबाजार ने जिज्ञासा रखी की गृहस्थ  में रहते हुए भी हम धर्म का पालन कैसे करें, बाबा जी ने बताया कि गृहस्थ आश्रम ही  धर्म को निभाने का आश्रम है, तभी तो हमारे सारे ऋषि-मुनियों ने गृहस्थ में रहकर धर्म का पालन किया, भगवान शिव विष्णु श्रीराम श्रीकृष्ण ने भी गृहस्थ  जीवन में रह के ही धर्म का पालन किया क्योंकि हम गृहस्थ में रहकर ही धर्म का मर्म समझ सकते हैं, गृहस्थ में रहकर दान दक्षिणा भगवान का स्मरण भजन पूजन करना और इसका अनुसरण करते हुए अपने परिवार का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है, आप जो करोगे आपके बच्चे देखेंगे कोई बच्चा जन्म लेते ही धर्म को नहीं समझ सकता आप जब दान करोगे,  पूजा करोगे पाठ करोगे धर्म करोगे तो आपका बच्चा भी उसे देखेगा और समझेगा और जानेगा, गृहस्थ के सारे नियमों का पालन करते हुए जब हम अपने वानप्रस्थ में जाते हैं तो हम अपने धर्म के मर्म को पूरी तरह से समझ चुके होते हैं और उसका आचरण करते हुए अंतिम गति को प्राप्त करते हैं तो हमारा जीवन भी सफल हो जाता है
झलमला से रिचा बहन ने मीठा मोती का प्रसारण करते हुए लिखा कि सच्चा संबंध परमात्मा से हो तो संसार के सभी संबंधों का सुख अपने आप प्राप्त हो जाता है बाबा जी ने इस पर अपने विचार रखे और कहा कि संसार के रिश्ते नाते नश्वर हैं लेकिन परमात्मा से एक भी रिश्ता आपने बना लिया तो कई जन्मों तक वह हमें परमात्मा से बांधकर रखता है अतः चाहे जैसे भी हो एक रिश्ता परमात्मा से जरूर बना कर रखें
 इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ

रिपोर्ट //नरेन्द्र विश्वकर्मा