अनूठी पहल-चारभाठा के आश्रित ग्राम पिनकापार में ग्रामीणों ने एक अनुकरणीय पहल की है। इस प्रयत्न का गांव ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी प्रशंसा की जा रही है

अनूठी पहल-चारभाठा के आश्रित ग्राम पिनकापार में ग्रामीणों ने एक अनुकरणीय पहल की है। इस प्रयत्न का गांव ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी प्रशंसा की जा रही है
अनूठी पहल-चारभाठा के आश्रित ग्राम पिनकापार में ग्रामीणों ने एक अनुकरणीय पहल की है। इस प्रयत्न का गांव ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी प्रशंसा की जा रही है

अनूठी पहल-चारभाठा के आश्रित ग्राम पिनकापार में ग्रामीणों ने एक अनुकरणीय पहल की है। इस प्रयत्न का गांव ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी प्रशंसा की जा रही है 

 

बालोद- जिले के ग्राम पंचायत चारभाठा के आश्रित ग्राम पिनकापार में ग्रामीणों ने एक अनुकरणीय पहल की है। इस प्रयत्न का गांव ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी प्रशंसा की जा रही है। इस गांव में शीतला मंदिर जाने के लिए सुगम मार्ग नहीं था। इसके लिए गांव के सभी मजदूरों ने एक दिन का श्रमदान किया। और शीतला मंदिर जाने के मार्ग को बना डाला। अब ग्रामीण आसानी से गांव से शीतला मंदिर जा सकते हैं।ग्राम पंचायत चारभांठा के आश्रित ग्राम पिनकापार मे 110 मजदूरों ने श्रमदान कर एक दिन की बिना मजदूरी के अपने श्रम दान के माध्यम से शीतला मंदिर का मार्ग को बनाया। इतना ही नहीं नाली में पत्थर लगाकर पिचिंग का कार्य भी किया गया। जिससे अब ग्रामीणों को मंदिर में आने जाने मे कोई दिक्कत नहीं होगी। इसमें मुख्य रूप से सरपंच संजय चंद्राकर और पंच सहित संतोष ठाकुर, गिरवर ठाकुर, केदार, वासुदेव साहू, हेमंत साहू, याद राम, भूपेन्द्र आदि लोग भी शामिल थे। 

सरपंच की पहल पर ग्रामीणों ने किया श्रमदान

 इस संबंध में ग्राम पंचायत के सरपंच संजय चंद्राकर ने बताया कि गांव में शीतला मंदिर में कई आवश्यक कार्य पड़ते रहते हैं। त्योहारों के समय शीतला मंदिर में जाने की परंपरा तो है ही, लेकिन बीच-बीच में भी कई कार्यों से निकला मंदिर जाना पड़ता है। अभी तक शीतला मंदिर जाने के लिए सुगम रास्ता नहीं था। बारिश के दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इस बात को लेकर ग्रामीण काफी समय से प्रयासरत थे। लेकिन मार्ग का निर्माण नहीं हो पा रहा था। वहीं, कुछ दिन पूर्व पुनः गांव में इस बात को लेकर चर्चा हुई और सभी ग्रामीण मजदूर एक दिन का श्रमदान करने पर सहमत हुए। इसके बाद सभी मजदूरों ने एक दिन का श्रमदान 1aकर मार्ग का निर्माण किया। 

ग्रामीणों में हर्ष का माहौल 

सरपंच संजय चंद्राकर ने बताया कि श्रमदान के दौरान सभी मजदूरों ने बराबर श्रमदान किया। किसी के भी कार्य को लेकर कोई मतभेद नहीं रहा। लोगों में इस बात को लेकर बहुत खुशी है कि लंबे समय से शीतला मंदिर में जाने की हो रही परेशानी अब दूर हो गई है। ग्रामीणों ने यह भी संकल्प दोहराया कि आने वाले समय में जब कभी भी इस तरह का कार्य करना होगा तो सभी ग्रामीण एकमत से श्रमदान कर निर्माण कार्य करेंगे, चाहे इसके लिए कोई भी कार्य हो। ग्रामीणों ने कहा कि शीतला मंदिर का मार्ग बन जाने पर गांव में खुशी का माहौल है।

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