सामाजिक दायित्वों का दुरुपयोग कर रहे पदाधिकारी : धर्मगुरू नसी साहेब
सामाजिक दायित्वों का दुरुपयोग कर रहे पदाधिकारी : धर्मगुरू नसी
साहेब गुरू सतनाम रावटी में ग्राम डुंडेरा पहुंचे गुरूद्वारा भंडारपुरी धाम से आए धर्मगुरू नसी साहेब ने गुरूवाणी के माध्यम से बताया कि गांव गांव में बने निन्यानबे प्रतिशत सामाजिक समिति सहित राजमहंत, जिला महंतों का दायित्व स्टेटस सिम्बॉल बनकर रह गया है और उनका कार्य वार्षिक जयंती समारोह तक सिमट कर रह गया है। पदाधिकारी अपने विचार को समाज पर थोंप रहे है और सतनाम धर्म के मूल उद्देश्य को किनारे कर दिए हैं। कोई भी पदाधिकारी लोगों को सात्विक खानपान, सात्विक आचार - विचार - व्यवहार के साथ सतमार्ग पर ले जाने के लिए समाजिक जिम्मेदारी नहीं निभा रहे जिससे धर्मांतरण जैसी समस्या चरम पर है। इससे लोगों में व्यभिचार, दुराचार बढ़ रहा है और लोग सतनाम के मार्ग से विमुख हो रहे है। सतनाम धर्म में जिम्मेदारी निभाने वाले भंडारी, छड़ीदार, मंहतों के दायित्व से सतनाम धर्म के विकास की दशकों पुरानी परंपरा रही जिसे ही आगे बढ़ाना आवश्यक है इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार के पदों का गठन सिर्फ व्यक्ति विशेष को प्रतिष्ठित करने का एक जरिया है जो बंद होना चाहिए।
हम स्वयं रावटी समापन के बाद समीक्षा कर उन सभी पदाधिकारियों को हटाऐंगे जो जिम्मेदारियों को सिर्फ प्रतिष्ठा के रूप में उपभोग कर रहे है। छत्तीसगढ़ के सतनामी समाज का प्रभाव सत्य अहिंसा वादी महात्मा गांधी पर भी पड़ा उन्होंने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान असत्य न बोलने, असत्य ना देखने और असत्य न सुनने वाले तीन बंदर की प्रतिमा को गुरूद्वारा भंडारपूरी धाम के मोतीमहल के गुंबद में देखा था, जिसे उन्होंने लोगों को बताया और आज वह गांधी जी के विचारों के रूप में विश्वविख्यात है पर सत्य यह है कि वह सतनाम धर्म के गुरूओं द्वारा मानव समाज को दिया गया सतनाम पथ प्रतीक है।