आदिवासी समाज की अतीत एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यंत वैभवशाली :- चन्द्रेश ठाकुर शासकीय महाविद्यालय अरमरीकला में ’जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत’ विषय पर कार्यक्रम का किया गया आयोजन अतिथियों एवं वक्ताओं ने देश व समाज के नवनिर्माण में जनजातीय समाज के योगदानों के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी
आदिवासी समाज की अतीत एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यंत वैभवशाली :- चन्द्रेश ठाकुर
शासकीय महाविद्यालय अरमरीकला में ’जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत’ विषय पर कार्यक्रम का किया गया आयोजन
अतिथियों एवं वक्ताओं ने देश व समाज के नवनिर्माण में जनजातीय समाज के योगदानों के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी
बालोद,:- 28 अक्टूबर 2024 गोण्डवाना समाज के अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के संभागीय अध्यक्ष एवं जिला जनसंपर्क अधिकारी श्री चंद्रेश ठाकुर ने कहा कि आदिवासी समाज की अतीत एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यंत वैभवशाली है।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी पुस्तक ’डिस्कवरी आॅफ इण्डिया’ में कहा कि आदिवासियों की संस्कृति विश्व की समस्त संस्कृतियांे की जननी है।
ठाकुर शनिवार 26 अक्टूबर को मदनलाल साहू शासकीय महाविद्यालय अरमरीकला में जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत एवं उनके ऐसिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
वे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. यशवंत कुमार साव ने किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में हल्बा समाज के अधिकारी-कर्मचारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त आईपीएस श्री आरएस नायक एवं सहवक्ता के रूप में वनवासी समाज के सचिव श्री कृष्णा साहू उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि नई पीढ़ी को जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत एवं उनके सांस्कृतिक विरासत तथा राष्ट्र व समाज के निर्माण में उनके आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक योगदानों एवं विशेषताओं की जानकारी देने हेतु शिक्षण संस्थानों में इस विषय पर कार्यक्रम आयोजित की जा रही है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि राष्ट्र व समाज के ऊपर जब भी विपत्ति आई है आदिवासी समाज के लोगों ने उस विषम परिस्थितियों में देशवासियों के साथ मिलकर उन चुनौतियों का डटकर मुकाबला किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास का यदि गंभीरता से छीद्रान्वेषण किया जाए तो देश में फिरंगियों के विरूद्ध स्वाधीनता संग्राम की बिगुल आदिवासियों ने ही फंूका। उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति के पूर्व झारखंड में तिलका मांझी एवं छत्तीसगढ़ में परलकोट के जमींदार शहीद गैंदसिंह नायक जैसे अमर शहीदों ने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का शंखनाद शुरू कर दिया था।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. यशवंत कुमार साव ने भी जनजातीय समाज के गौरवशाली इतिहास एवं राष्ट्र व समाज के लिए उनके सांस्कृतिक आध्यात्मिक योगदानों पर भी विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री आरएस नायक ने स्वाधीनता संग्राम में समाज के नायकों के योगदान के संबंध में विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनके योगदानों को अद्वितीय एवं अप्रीतिम बताया।
इस अवसर पर उन्होंने महाविद्यालय के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
समारोह के सहवक्ता वनवासी समाज के सचिव श्री कृष्णा साहू ने जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत, सांस्कृतिक विरासत, स्वाधीनता आंदोलन में उनका योगदान, उनके स्वभावगत विशेषता, राष्ट्र व समाज के नवनिर्माण में उल्लेखनीय एवं महत्वपूर्ण योगदानों के संबंध में बहुत ही रोचक एवं पे्ररणास्पद जानकारी दी।
इस अवसर पर जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत विषय पर आधारित रंगोली एवं निबंध आदि प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान अर्जित करने वाले विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र भेंटकर सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक श्री प्रमोद कुमार भारती एवं आभार प्रदर्शन डाॅ. रामेश्वर प्रसाद ठाकुर ने किया।
रिपोर्ट खास :- अरुण उपाध्याय बालोद
मो नम्बर :- 94255 72406