कोरोनाः भ्रामक या गलत जानकारी देने पर होगी सीधे एफआइआर..
एपिडेमिक डिसीजेज एक्ट के तहत होगी एफआईआर दर्ज : कलेक्टर डॉ. भारतीदासन
रायपुर -
कोरोना के मामले में किसी भी तरह की गलत या भ्रामक जानकारी देने वालों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाएगी। कलेक्टर डॉ एस. भारतीदासन ने वर्तमान में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण को ध्यान में रखते हुए अधिक से अधिक लोगों से स्वास्थ्य परीक्षण कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से कोरोना वायरस महामारी से बचाव और रोकथाम के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की पहचान और तत्परतापूर्वक जॉच बहुत आवश्यक है।
कोरोना पॉजिटिव पाए गए व्यक्तियों के कॉन्टेक्ट्स ट्रेसिंग करने पर उनके प्राइमरी और सेकेंडरी कॉन्टेक्ट्स की कोविड-19 जांच तत्परतापूर्वक कराना आवश्यक है। कॉन्टेक्ट्स ट्रेसिंग के दौरान पाए गए हाई रिस्क कॉन्टेक्ट्स की कोविड-19 जांच तत्काल करानी है। इसके साथ ही किसी भी दशा में जानकारी मिलने पर 12 घंटे की अवधि में अनिवार्यतः जांच कराने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायपुर को निर्देशित किया गया है।
मोबाइल स्विच ऑफ करना भी गलत है
कलेक्टर डॉ भारतीदासन ने कहा कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और संबंधित इंसिडेंट कमांडर ने बताया है कि कोविड-19 जांच के लिए सैंपल लेने के दौरान कुछ व्यक्तियों द्वारा गलत अथवा अपूर्ण मोबाइल नंबर या पता दिया जाता है। इसी प्रकार कुछ व्यक्तियों द्वारा जांच सैम्पल देने के पश्चात या पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया जाता है। इससे उनकी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग नहीं हो पाती है।
मरीजों को अस्पताल पहुंचाने या होम आइसोलेशन की अनुमति देने के कार्य में संलग्न अधिकारियों, कर्मचारियों के काम में बाधा उत्पन्ना होती है। इस तरह ट्रेस नहीं किए जा सके कोरोना पॉजिटिव मरीजों से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। इन परिस्थितयों को देखते हुए कोविङ-19 जांच के लिए सैम्पल लेने के दौरान गलत अथवा अपूर्ण मोबाइल नंबर या पता दिया जाना और सैंपल देने के पश्चात या पॉजिटिव रिपोर्ट आने के पश्चात मोबाइल जानबूझकर स्विच ऑफ करना आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है।