भारत-चीन शांति बनाए रखने पर हुए राजी, लेकिन चुशूल में नहीं रुक रहीं पीएलए की हरकतें ..

भारत-चीन शांति बनाए रखने पर हुए राजी, लेकिन चुशूल में नहीं रुक रहीं पीएलए की हरकतें ..

पूर्वी लद्दाख में सीमा पर बढ़े तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगही के बीच की बैठक करीब 2 घंटे 20 मिनट तक चली। इस दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अपेन चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगहे से स्पस्ट तौर पर कहा कि पूर्वी लद्दाख में गतिरोध से पहले की स्थिति कायम करें। उन्होंने साफ कहा, शांति के लिए चीन को सेना पीछे हटानी होगी। बता दें कि लद्दाख में सीमा पर जारी तनाव के बीच चीनी समकक्ष वेई वेंगहे के आग्रह पर शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उनसे मुलाकात की। 

 

गलवां घाटी व पैंगोंग झाल के दक्षिणी इलाके में झड़प के बाद हुई यह पहली बैठक थी। इसका मुख्य मुद्दा एलएसी पर तनाम कम करने पर ही टिका रहा। इस दौरान दोनों देश शांति बनाए रखने पर तो राजी हुए लेकिन चुशूल में पीएलए की हरकतें नहीं रुक रहीं। इसके बाद सेना की तरफ से लद्दाख के चुशूल में तैनाती को बढ़ाया गया है।

गौरतलब है कि 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान चुशूल ही वह जगह थी जहां से चीन ने अपना मुख्य हमला शुरू किया था। भारतीय सेना ने चुशूल घाटी के दक्षिण पूर्वी छोर के पहाड़ी दर्रे रेजांग ला से वीरतापूर्वक युद्ध लड़ा था।  

 

रूस से तेहरान रवाना हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को रूस से ईरान की राजधानी तेहरान रवाना हो गए हैं। वहां वह अपने ईरानी समकक्ष ब्रिगेडियर जनरल अमीर हातमी के साथ बैठक करेंगे। इससे पहले राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने के लिए रूस के तीन दिवसीय दौरे पर थे। 

इस दैरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगी को स्पष्ट संदेश दिया कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का कड़ाई से सम्मान करे और यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश न करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

दोनों मंत्री शंघाई कोऑरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को पहुंचे हैं। बैठक को लेकर रक्षा मंत्री के कार्यालय द्वारा शनिवार को जानकारी दी गई। कार्यालय ने बताया कि दोनों मंत्रियों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के साथ-साथ भारत-चीन संबंधों के विकास के बारे में स्पष्ट और गहन चर्चा की। बातचीत के दौरान रक्षा मंत्री ने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा यथास्थिति को बदलने का प्रयास करना द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है।

 

कार्यालय ने कहा, 'रक्षा मंत्री ने पिछले कुछ महीनों से भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में गलवां घाटी सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हुए घटनाक्रम को लेकर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया। मंत्री ने जोर देकर कहा कि चीनी सैनिकों की कार्रवाई, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात करना, उनका आक्रामक व्यवहार और एकतरफा रूप से यथास्थिति को बदलने का प्रयास द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है।'

 

 

बैठक में रक्षा मंत्री ने साफतौर पर कहा कि भारतीय सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति बहुत ही जिम्मेदार रुख अपनाया है। लेकिन ठीक इसी समय, भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के हमारे संकल्प को लेकर किसी भी तरह का कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

 

राजनाथ ने कहा कि दोनों पक्षों को नेताओं की आम सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों के आगे के विकास के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा का रखरखाव आवश्यक है। दोनों पक्षों को मतभेदों को गतिरोध में बदलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।

रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि वर्तमान स्थिति को जिम्मेदारी से संभाला जाना चाहिए। किसी भी पक्ष को आगे की ऐसी कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए जो या तो स्थिति को जटिल कर दे या सीमावर्ती क्षेत्रों के मामलों को बढ़ा दे। राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों को राजनयिक और सैन्य माध्यमों से बातचीत जारी रखनी चाहिए। ताकि सेनाओं को पीछे हटाकर जल्द से जल्द एलएसी पर पूर्ण शांति की बहाली सुनिश्चित की जा सके।