यह देश सांटा का नहीं संतों का देश है
यह देश सांटा का नहीं संतों का देश है
श्री गीता जयंती मोक्षदा एकादशी के पावन पर्व पर श्री पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़ के संत श्री राम बालक दास जी द्वारा सीता रसोई संचालन वाट्सएप ग्रुप में एवम पाटेश्वर धाम के युट्युब चैनल
Ram balak das
पर ऑनलाइन सत्संग परिचर्चा का आयोजन सुबह 10 बजे से 11 बजे तक एवम दोपहर 1 बजे से 2 बजे तक प्रतिदिन की भांति किया गया
आज के सत्संग में 25 दिसंबर क्रिसमस मनाए जाने पर बोलते हुए बाबाजी ने बताया कि यह परंपरा विदेशों की परंपरा है हमें 25 दिसंबर को तुलसी पूजन कार्यक्रम का आयोजन करना चाहिए यह भारत की व्यवस्था है प्लास्टिक का पेड़ बनाकर उसमें बिजली लगाकर और नाना प्रकार के विदेशी परंपरा से केक काटना शराब पीकर नृत्य करना यह हमारे देश की परंपरा नहीं है तुलसी का पूजन हमें ऑक्सीजन प्रदान करता है धार्मिक भावना को जगाता है और यह हमारी सनातन परंपरा है इसी तरह उन्होंने कहा यह देश सांटा का नहीं संतों का देश है
सत्संग परिचर्चा में रामफल जी के द्वारा जिज्ञासा रखी गई कि राम जी को वनवास देते समय माता कैकई ने विशेष उदासी शब्द का उपयोग क्यों किया इस प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए श्री राम बालक दास जी ने बताया कि श्री राम जी को वनवास मांगने के पीछे माता कैकेई का उद्देश्य जनकल्याण विश्व कल्याण की भावना थी प्रथम वर में भरत के लिए टीका अर्थात जो भी टीका टिप्पणी हो मेरे और मेरे पुत्र भरत की हो राम को सम्मान मिले राम राजा राम बने राम जन जन के प्रिय बने राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए दूसरे वर में तापस वेश विशेष उदासी अर्थात विशेष कार्य करने के लिए विशेष बनवास जिसमें नगर में जाना वर्जित हो वस्त्र विन्यास नहीं बल्कि कुश पत्ते बिछाकर सोना पड़े साथ ही केवल फल कंदमूल पर ही 14 वर्ष बिताना होगा यह कठिन तपस्या को विशेष उदासी नाम दिया गया
सत्संग में सुंदर रामायण की चौपाइयां भजन के द्वारा सभी भक्तों एवं माताओं और नन्हे-मुन्ने बच्चों ने खूब आनंद लिया
बाबा जी के द्वारा
पिंजरे के पंछी तेरा दर्द न जाने कोय गीत सुनकर सबकी आंखें भर आई इस तरह आज का सत्संग संपन्न हुआ
नरेन्द्र विश्वकर्मा मो.7028149519