जहां सत्संग होता है वहां स्वयं भगवान वास करते हैं। संत रामबालकदास महात्यागी
जहां सत्संग होता है वहां स्वयं भगवान वास करते हैं,हमें भी इस सत्संग का हिस्सा प्रतिदिन बनने का सौभाग्य मिलता है
जहां सत्संग होता है वहां स्वयं भगवान वास करते हैं। संत रामबालकदास महात्यागी कहा जाता है जहां सत्संग होता है वहां स्वयं भगवान वास करते हैं,हमें भी इस सत्संग का हिस्सा प्रतिदिन बनने का सौभाग्य मिलता है, प्रतिदिन पाटेश्वर धाम छत्तीसगढ़ के महान संत श्री राम बालक दास जी ऑनलाइन सत्संग का आयोजन अपने सीता रसोई संचालन वाट्सएप ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे करते हैं जिसमें सभी भक्त जुड़कर ना केबल सत्संग का आनंद लेते हैं बल्कि मधुर मधुर भजनों का भी आनंद लेते हैं एवं अपनी जिज्ञासाओं को भी भक्तगण संत श्री के समक्ष रखकर उनका समाधान प्राप्त करते हैं
आज की सत्संग परिचर्चा में टीकेश प्रसाद निषाद जी ने, भगवान श्री कृष्ण के जीवन प्रसंग पर अपनी जिज्ञासा रखते हुए बाबा जी से पूछा कि माता देवकी के छह पुत्रों की हत्या कंस द्वारा कि गई, इसके पीछे भी कोई लीला है क्या,
इस प्रसंग को स्पष्ट करते हुए बाबा जी ने बताया कि जब कंस को ज्ञात था कि देवकी का आठवां पुत्र ही उसका वध करेगा तो भी उसने उसके छह पुत्रों को मार दिया, इसके पीछे तीन प्रमुख कारण है जैसा कि संतों से हमें ज्ञात है कहते हैं कि कंस इतना भी बड़ा पापी नहीं था कि परमेश्वर को आकर उसका संहार करना पड़े, जब कोई बहुत बड़ा दुराचारी होता है बहुत ज्यादा पाप करता है तो ही भगवान स्वयं उसकी मौत बनकर प्रस्तुत होते हैं कंस जो यदुवंशी को गौ रक्षा के लिए और गोपालन के लिए प्रतिबद्ध थे उनको बहुत अधिक यातनाएं प्रदान करता था उनसे टैक्स और कर वसूला करता था, भगवान ब्रह्मा जी की प्रेरणा से नारद जी को वहां पर भेजा गया कि इसके पाप का बोझ बढ़ना चाहिए ताकि यदु वंश का उद्धार हो सके, नारद जी ने वहां उपस्थित होकर कंस की बुद्धि को पलटने का प्रयत्न किया और माता देवकी के 6 शिशुओं का वध हुआ, कहा जाता है कि शिशु हत्या से बढ़कर कोई दूसरा पाप नहीं है यह अक्षम्य अपराध है जो कि स्वयं भगवान भी क्षमा नहीं करते, नारद जी जो कि संत हैं तो वह कैसे किसी को शिशु हत्या के लिए प्रेरित कर सकते हैं इसे हम स्पष्ट रूप से देखने का प्रयत्न करते हैं, माता देवकी के गर्भ में जिन 6 शिशुयों की स्थापना हुई थी वह महान ऋषि मुनि थे जिन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ था परंतु एक बार उनको नर्क पीड़ा भोगनी होती है, अतः उन्हें मां के गर्भ में पुनर्जन्म लेना होता है और मृत्यु के साथ जन्म का भी कष्ट झेलना होता है इसीलिए ऋषि मुनि महान पुरुष माता देवकी के गर्भ में आए एवं भगवान श्री कृष्ण का भाई बनने का सौभाग्य भी इन्हें प्राप्त हुआ और जन्म होते ही मृत्यु को प्राप्त होते मोक्ष गति को प्राप्त की, और कंस के पापों का भार भी बढ़ाना था ताकि यदुवंश को उसके पीड़ा से मुक्त कराया जा सके इस हेतु नारद जी एवं ब्रह्मा जी द्वारा रचित यह सारी लीला थी, श्री कृष्ण जी का अवतार केवल कंस को मारने हेतु नहीं भगवान श्री कृष्ण का अवतार गायों के उद्धार के लिए गौचरण के संदेश के लिए गोपालन के लिए हुआ संसार में जो निराशा छा गई थी उसमे रस भरने के लिए भगवान श्री कृष्ण का अवतार हुआ उन्होंने बांसुरी बजा कर गोपियों के संग रास रचा कर अद्भुत रस का संचार ब्रह्मांड में किया
नारद जी द्वारा रची गई लीला से वर्तमान में हमें संदेश प्राप्त होता है कि जो भी व्यक्ति शिशु हत्या करता है और जो व्यक्ति अभी कन्याओं को गर्भ में ही मार देते हैं वह महा पापी होते हैं उनका यह अपराध स्वयं भगवान भी क्षमा नहीं करते
इस प्रकार जन जागरण के लिए संदेश देने वाला यह सत्संग पूर्ण हुआ
नरेंद्न विश्वकर्मा मो. 7028149519