*गोंडवाना भवन परिसर क्षेत्र मोहला में मनाया गया शहीद वीर नारायण सिंह दिवस*
शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस पर विशाल कार्यक्रम, सर्व आदिवासी समाज ने क्षेत्रीय मुद्दों पर उठाई आवाज
मोहला
छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, आदिवासी जननायक और जनविद्रोह के अग्रदूत शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस पर आज जिले में भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। सर्व आदिवासी समाज जिला मोहला–मानपुर–अंबागढ़ चौकी के नेतृत्व में आयोजित यह कार्यक्रम गोंडवाना भवन मैदान, मोहला (थाना के पीछे) में हजारों लोगों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। जहां शहीद वीर नारायण सिंह , लाल श्याम शाह और देवी देवताओं की पूजा अर्चना के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई।

कार्यक्रम में वीर नारायण सिंह के बलिदान को नमन करते हुए समाज ने आदिवासी अस्मिता, संरक्षण और अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर एकजुटता दिखाई। इस अवसर पर क्षेत्रीय समस्याओं के समाधान हेतु एक ज्ञापन राज्यपाल महामहिम रेमन डेका के नाम प्रेषित किया गया।
ज्ञापन में प्रमुख 10 मांगें
सर्व आदिवासी समाज द्वारा जिला क्षेत्र से संबंधित निम्नांकित विषयों पर त्वरित कार्यवाही की मांग की गई—
1. 2 जून 2025 को जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति में लंबित प्रकरणों की शीघ्र जांच की जाए।
2. ग्राम सभाओं द्वारा प्रस्तुत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र (CFR) पर SDLC/DLC स्तर पर त्वरित अनुमोदन किया जाए।
3. क्षेत्र में जारी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामलों पर कठोर और समयबद्ध कार्रवाई की जाए।
4. जिले में पेशा कानून (PESA Act) का कड़ाई से पालन एवं ग्राम स्तरीय प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए।
5. तृतीय/चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय जिला रोस्टर लागू कर स्थानीय बेरोजगार युवाओं को प्राथमिकता दी जाए।
6. मोहला–मानपुर–अंबागढ़ चौकी क्षेत्र से वन विकास निगम को हटाकर वन विभाग को प्रत्यक्ष नियंत्रण सौंपा जाए।
7. जिले में हो रहे धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग।
8. हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम एवं हिन्दू विवाह अधिनियम 2(i) में जनजातीय हितों के संरक्षण से जुड़ी प्रावधानों को कड़ाई से लागू किया जाए।
9. मोहला फौव्वारा चौक का नाम बदलकर "वीर नारायण सिंह शहादत चौक" रखा जाए तथा वहाँ उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए।
10. कांकेर जिला सर्व आदिवासी समाज अध्यक्ष जीवन ठाकुर की रायपुर जेल में हुई संदिग्ध मृत्यु की निष्पक्ष जांच एवं दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

वीर नारायण सिंह का ऐतिहासिक महत्व
1856–57 में अंग्रेजों व व्यापारी वर्ग द्वारा अन्न के कृत्रिम अकाल के बीच, वीर नारायण सिंह ने भूख से जूझ रहे लोगों को अनाज उपलब्ध कराया।
यह कदम जनहित में उठाए गए सबसे साहसी निर्णयों में से एक था, जिसने उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम जनविद्रोही, आदिवासी समाज का गौरव और अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक बना दिया।
1857 में रायपुर में दी गई उनकी फाँसी आज भी छत्तीसगढ़ की स्वतंत्रता चेतना का अमिट अध्याय है।
उनका जीवन संदेश देता है कि—
अन्याय के खिलाफ संगठित संघर्ष ही सच्ची वीरता है।
समुदाय और अस्मिता की रक्षा सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।
जननायकों की विरासत समाज को एकजुटता और संघर्ष का मार्ग दिखाती है।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बढ़ाई भव्यता
आयोजन के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनमें आदिवासी कला, नृत्य और संगीत की झलक देखने को मिली।
इसके साथ ही गौ सेवा आयोग द्वारा भी समाज को महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गईं।
कार्यक्रम शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान को आत्मसात करते हुए आदिवासी समाज की एकता, अधिकारों की रक्षा और सांस्कृतिक गौरव के पुनर्स्मरण का एक सशक्त उदाहरण बना।

कार्यक्रम में सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष संजीत ठाकुर, लाल लक्ष्मेंद्र शाह पानाबरस राज,गोड़ समाज अध्यक्ष प्रेम सिंह घावड़े, रमेश हिड़ामे गोड़ समाज ब्लॉक अध्यक्ष मोहला , कुंवर सिंह कोरकोट्टा, लखन कलामे जिला पंचायत सदस्य, संत कुमार नेताम, मोची राम चुरेंद्र, राम कृष्ण चंद्रवंशी, मोहमत खान , पवन तुलावी जनपद सदस्य , बिसरी बाई कुंजाम, पुष्पा मंडावी जनपद अध्यक्ष मानपुर, अहिल्या ठाकुर, और क्षेत्र के हजारों ग्रामीण मौजूद रहे।